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    धोखाधड़ी और इरादतन चूक करने वाले कर्जदारों पर गिरेगी गाज, RBI ने बैंको को दिए ये अधिकार

    By Rammohan MishraEdited By: Rammohan Mishra
    Updated: Mon, 12 Jun 2023 05:52 PM (IST)

    भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि बोर्ड द्वारा तय की जा सकने वाली उचित सीमा और समय-सीमा के साथ ऐसे मामलों में कर्मचारियों की जवाबदेही की जांच के लिए नीतियां एक ग्रेडेड फ्रेमवर्क भी स्थापित करेंगी।( फाइल फोटो)।

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    RBI permits banks to undertake compromise settlement of wilful defaults fraud accounts

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। संकटग्रस्त संपत्तियों से अधिकतम वसूली सुनिश्चित करने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक ने देश की सभी बैंकों को धोखाधड़ी और इरादतन चूक खातों का समझौता निपटान करने की अनुमति दी है। इस अनुमति के बाद, देश की सभी विनियमित संस्थाओं (आरई) को उधारकर्ताओं के साथ-साथ तकनीक राइट-ऑफ के लिए समझौता निपटान करने के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियों को लागू करने की आवश्यकता होगी। आइए, इस खबर के बारे में पूरी तरह से जान लेते हैं।

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    कर्ज लेकर लापरवाही करना पड़ेगा महंगा

    भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि बोर्ड द्वारा तय की जा सकने वाली उचित सीमा और समय-सीमा के साथ ऐसे मामलों में कर्मचारियों की जवाबदेही की जांच के लिए नीतियां एक ग्रेडेड फ्रेमवर्क भी स्थापित करेंगी। देश के सभी बैंक(आरई) इरादतन चूककर्ता या धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत खातों को लिए समझौता समाधान या तकनीक बट्टे खाते में डाल सकते हैं।

    इस अधिसूचना में कहा गया है कि समझौता निपटान के लिए सुरक्षा/संपार्श्विक के वर्तमान वसूली योग्य मूल्य की विवेकपूर्ण गणना के बाद, निपटान राशि की गणना करते समय जोखिम की विभिन्न श्रेणियों के लिए अनुमेय त्याग से संबंधित प्रावधान शामिल होंगे। कहा गया है कि सुरक्षा के वसूली योग्य मूल्य पर पहुंचने की पद्धति भी नीति का हिस्सा बनेगी।

    क्या है इसका मकसद?

    इसका उद्देश्य विनियमित संस्था (आरई) के सर्वोत्तम हित में संकटग्रस्त उधारकर्ता से न्यूनतम खर्च पर संभावित वसूली को अधिकतम करना होगा। समझौता निपटान और तकनीकी बट्टे खाते डालना आरई और उधारकर्ता के बीच भविष्य की आकस्मिक वसूली या आरई द्वारा वसूली से संबंधित किसी भी पारस्परिक रूप से सहमत संविदात्मक प्रावधानों के पूर्वाग्रह के बिना होगा।

    ये साफ तौर पर कहा गया है कि इस तरह के दावों को बैलेंस शीट पर किसी भी तरह से मान्यता नहीं दी जाएगी। वहीं, आरई की बैलेंस शीट पर पहचाने गए ऐसे किसी भी दावे को मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार पुनर्गठित माना जाएगा।