सोने के बदले कर्ज लेना और मुश्किल
घर में सोना है तो चिंता करने की जरूरत नहीं। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों यानी एनबीएफसी के ऐसे विज्ञापन आम हैं। मगर अब बैंकों व एनबीएफसी से सोने के बदले कर्ज लेने की मौजूदा नीति को काफी बदल दिया गया है। इस कारोबार में लगी मुथूट फाइनेंस और मणप्पुरम गोल्ड जैसी एनबीएफसी के लिए कई कड़े मानदंड लागू
नई दिल्ली, [जागरण ब्यूरो]। घर में सोना है तो चिंता करने की जरूरत नहीं। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों यानी एनबीएफसी के ऐसे विज्ञापन आम हैं। मगर अब बैंकों व एनबीएफसी से सोने के बदले कर्ज लेने की मौजूदा नीति को काफी बदल दिया गया है। इस कारोबार में लगी मुथूट फाइनेंस और मणप्पुरम गोल्ड जैसी एनबीएफसी के लिए कई कड़े मानदंड लागू कर दिए गए हैं।
रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने सोमवार को देर रात इस बारे में विस्तृत अधिसूचना जारी कर दी। सोने के बदले कर्ज देने के समय सोने की कीमत तय करने की नई नीति लागू कर दी गई है। अभी जिस दिन कर्ज दिया जाता है उसी दिन के सोने के भाव को आधार माना जाता है। लेकिन अब पिछले 30 दिनों के दौरान 22 कैरेट सोने का जो औसत बाजार भाव रहेगा उसे आधार माना जाएगा। इस भाव के आधार पर सोने की जो कीमत निकाली जाएगी, उसका 60 फीसद तक कर्ज ग्राहकों को दिया जा सकेगा। इसके अलावा छोटे शहरों में बगैर किसी खास ढांचागत सुविधा के सोने के बदले कर्ज देने वाली शाखाओं पर भी रोक लगा दी गई है। आरबीआइ ने कहा है कि उन्हीं शाखाओं में यह काम होगा जहां सोने को रखने के लिए पर्याप्त सुविधा होगी। जहां सोने को सुरक्षित रखने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होगी, वहां सोने के बदले कर्ज देने का कारोबार नहीं किया जा सकेगा। यह व्यवस्था देखने के बाद ही शाखा खोलने की इजाजत दी जाएगी।
इसके अलावा जो व्यक्ति सोना गिरवी रख कर कर्ज ले रहा है, उसकी पहचान को लेकर मौजूदा नियमों को लेकर भी कड़ाई बरती गई है। आरबीआइ ने सभी बैंकों को कहा है कि वे पहचान सत्यापित करने संबंधी नियमों का कड़ाई से पालन करें। दो-तीन मिनट में सोने के बदले कर्ज देने की स्कीम के विज्ञापनों पर भी अब रोक लगा दी गई है। इन वित्तीय एजेंसियों की तरफ से स्वर्ण आभूषण की नीलामी संबंधी नियमों को बदलते हुए अब यह कहा है कि जिस शहर में कर्ज दिया गया है उसी शहर में उसकी नीलामी की जानी चाहिए। ग्राहक जब स्वर्ण आभूषण को छुड़ाने नहीं आता है तो एनबीएफसी उसकी नीलामी कर देती हैं।