बैंक नॉमिनी डिटेल में देनी होगी अतिरिक्त जानकारी, RBI करने जा रहा है ये बदलाव
RBI nominee New rules 2025 बैंक खाताधारकों को चार नॉमिनी की सुविधा मिलने के बाद अब एक और बदलाव होने जा रहा है। बैंक आपसे सभी नॉमिनी की ईमेल आईडी और उनके फोन नंबर मांग सकते हैं। दरअसल बैंकों के पास बिना क्लेम वाली राशि 78000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। इसे कम करने के लिए आरबीआई ने यह कदम उठाया है।

नई दिल्ली। RBI बैंक खाते में नॉमिनी की डिटेल के मामले में एक अहम बदलाव करने जा रहा है। इस बारे में उसने सभी बैंकों से सुझाव मांगे हैं। पिछले दिनों संसद ने बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2024 को पारित किया है। इस संशोधन के अनुसार अब बैंक में अकाउंट होल्डर चार नॉमिनी के नाम दे सकते हैं।
रिजर्व बैंक चाहता है कि सभी नॉमिनी (RBI nominee rules 2025) की ईमेल आईडी और उनका फोन नंबर बैंक के पास रहे। इस बारे में उसने देश के बैंकों से सुझाव मांगे हैं। इस बदलाव के लिए बैंकिंग कंपनी नॉमिनेशन नियम 1985 में भी संशोधन की जरूरत पड़ेगी।
क्यों ऐसा करना चाहता है आरबीआई
एक रिपोर्ट के अनुसार आरबीआई की इस प्रक्रिया (new bank nominee regulations) का मकसद बैंकों में बिना क्लेम वाले डिपॉजिट को कम करना है। चार नॉमिनी और सबकी ईमेल आईडी तथा फोन नंबर बैंक के पास अगर होंगे तो खाता धारक के नहीं रहने पर बैंक उनमें से किसी भी नॉमिनी के साथ संपर्क कर सकता है। अभी खाता धारक नॉमिनी का नाम तो देते हैं लेकिन उनसे संपर्क के लिए बैंक के पास कोई माध्यम नहीं होता है।
मौजूदा नियमों के अनुसार अगर कोई बैंक अकाउंट 10 साल या उससे अधिक समय से ऑपरेट नहीं हो रहा है, तो उस अकाउंट में जमा रकम रिजर्व बैंक के डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड में ट्रांसफर कर दी जाती है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
Bankbazaar.com के सीईओ आदिल शेट्टी का कहना है कि बैंकों में बिना क्लेम वाले डिपॉजिट 78,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गए हैं। इसका प्रमुख कारण नॉमिनी के साथ बैंकों का संपर्क नहीं कर पाना है। अक्सर परिवार के सदस्यों को डॉर्मेंट अकाउंट के बारे में जानकारी नहीं होती या ऐसे अकाउंट में नॉमिनेशन डिटेल नहीं होती है। इससे क्लेम प्रक्रिया में देरी होती है। मुश्किल समय में परिवार को इमोशनल और फाइनेंशियल दबाव से भी जूझना पड़ता है।
शेट्टी के अनुसार, हर अकाउंट में चार नॉमिनी की अनुमति होने और नॉमिनी के फोन नंबर और ईमेल उपलब्ध होने से बैंकों को उनके साथ संपर्क करने में आसानी होगी। इससे पारदर्शिता आएगी और क्लेम की प्रक्रिया बैंक आसानी से शुरू कर पाएंगे। क्लेम में देरी नहीं होगी और विवाद भी नहीं होगा। अगर किसी एक नॉमिनी के साथ बैंक का संपर्क नहीं हो पा रहा है, तो बैंक दूसरों के साथ संपर्क कर सकता है।
इसके अलावा जब एक से अधिक नॉमिनी होंगे और बैंक के पास उनकी कांटेक्ट डिटेल मौजूद होगी, तो गलत दावा करने के मामले भी कम होंगे। इससे परिवारों में विवाद रुकेंगे और कानूनी हस्तक्षेप की जरूरत कम पड़ेगी। इस सुधार से सेटलमेंट प्रक्रिया तेज होने के साथ बैंकों के प्रति ग्राहकों का भरोसा भी बढ़ेगा। खातेदार के उचित वारिस को बिना परेशानी के पैसे मिल जाएंगे।
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