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    RBI के नए दिशानिर्देश से फिनटेक में हड़कंप, कंपनियां ग्राहकों की मर्जी के बगैर उनके डाटा का नहीं कर सकेंगी इस्तेमाल

    डिजिटल तरीके से लोन देने वाले निकायों पर लगाम लगाने और इस पूरे क्षेत्र को पारदर्शी बनाने का आरबीआइ का नया कदम कुछ फिनटेक कंपनियों को रास नहीं आ रहा है। नए नियम के मुताबिक ग्राहकों के डाटा को बगैर उनकी मर्जी के इस्तेमाल करने की इजाजत होगी।

    By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Mon, 05 Sep 2022 09:39 PM (IST)
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    RBI के निर्देश के मुताबिक अब ग्राहकों के डाटा को बगैर उनकी मर्जी के इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होगी।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। डिजिटल तरीके से लोन देने वाले निकायों पर लगाम लगाने और इस पूरे क्षेत्र को पारदर्शी बनाने का आरबीआइ का नया कदम कुछ फिनटेक कंपनियों को रास नहीं आ रहा है। वजह यह है कि आरबीआइ के निर्देश का पालन करने से उनके लिए अब ना तो ग्राहकों के डाटा को बगैर उनकी मर्जी के इस्तेमाल करने की इजाजत होगी और ना ही वे अब 'बाय नाउ-पे लेटर' (अभी खरीदो बाद में भुगतान करो) जैसी स्कीमों की आड़ में ग्राहकों को परेशान कर सकेंगी।

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    नए दिशानिर्देश से बढ़ेगी लागत 

    नए दिशानिर्देश से इन कंपनियों की लागत काफी बढ़ने की संभावना जताई जा रही है, क्योंकि अब इन्हें ज्यादा तकनीकी निवेश करना होगा। फिनटेक सेक्टर की कुलबुलाहट इस बात से समझी जा सकती है कि भारत पे के सह-संस्थापक अशनीर ग्रोवर ने आरबीआइ के निर्देश को सबसे खराब करार दिया है।

    फिनटेक एप के लिए दुश्वारी ज्यादा

    दैनिक जागरण ने देश की कुछ फिनटेक कंपनियों से इस बारे में बात की। इन कंपनियों के अधिकारी सार्वजनिक तौर पर तो आरबीआइ के निर्देश के खिलाफ तो कुछ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन यह स्वीकार कर रहे हैं कि पहले की तरह काम अब नहीं हो सकेगा। खास तौर पर गैर सरकारी बैंकिंग कंपनियों (एनबीएफसी) से संबंद्धित फिनटेक एप के लिए दुश्वारी ज्यादा है।

    डिजिटल तरीके से वित्तीय लेन-देन पर हो नजर

    आरबीआइ ने साफ कह दिया है कि डिजिटल तरीके से वित्तीय लेन-देन से जुड़े सभी तरह के निगमित निकाय किस दर से ब्याज तय करते हैं, किस दर से दंड लगाती हैं और किस तरह से प्रोसेसिंग फीस लेती हैं, इसकी स्पष्ट तौर पर गणना होनी चाहिए। यह एक तरह से कुछ फिनटेक कंपनियों की तरफ से ग्राहकों से भारी-भरकम कर्ज लेने पर रोक लगाने वाला कदम साबित होगा।

    आमतौर पर स्टार्टअप के तौर पर की गई हैं इन कंपनियों की स्थापना

    एनबीएफसी से संबंद्धित एप आधारित फिनटेक कंपनियां ग्राहकों की पहचान प्रक्रिया को ताक पर रखते हुए उन्हें व्यक्तिगत कर्ज दे रही हैं। खास बात यह है कि ये कंपनियां बहुत ही कम पूंजी आधार वाली हैं। आम तौर पर इनकी स्थापना स्टार्ट-अप के तौर पर की गई है। हालांकि इनके लिए अब कारोबार में टिके रहना मुश्किल होगा। आरबीआइ ने ग्राहकों के अधिकार को बढ़ाने, उनकी सुविधा को बढ़ाने और उन्हें सुरक्षित रखने के जो प्रविधान किए हैं, उससे भी छोटे-छोटे डिजिटल एप आधारित कंपनियों के लिए विपरीत माहौल बनेगा।

    इंटरनेट मीडिया पर ग्रोवर को झेलना पड़ रहा गुस्सा

    अशनीर ग्रोवर ने बेहद तंज भरे लफ्तों में कहा है कि, अगर यूपीआइ दुनिया का सबसे बेहतर तकनीक अविष्कार है तो आरबीआइ का डिजिटल लेंडिंग दिशानिर्देश सबसे खराब है। असलियत में आरबीआइ यह कह रहा है कि, भाई मत करो लेंडिंग-शेंडिंग। बैंक से होती नहीं, हमें समझ में आती नहीं और पेन-पेंसिल की बिक्री भी कम होगी।' ग्रोवर ने यह बात इंटरनेट मीडिया पर की है और उन्हें इस बयान के लिए आम जनता के भारी रोष का भी सामना करना पड़ा है।