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    आरबीआइ की एमपीसी सदस्य आशिमा गोयल ने कहा- कर संग्रह में बढ़ोतरी के पीछे नोटबंदी का फैसला

    RBI की MPC की सदस्य आशिमा गोयल ने कर संग्रह में आई तेजी का श्रेय नोटबंदी को देते हुए कहा कि सरकार द्वारा उठाया यह कदम देश में एक व्यापक आधार पर कम कर लगाने की आदर्श स्थिति की तरफ ले जाएगा।

    By AgencyEdited By: Krishna Bihari SinghUpdated: Sun, 23 Oct 2022 08:52 PM (IST)
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    RBI की MPC की सदस्य आशिमा गोयल ने कर संग्रह में आई तेजी का श्रेय नोटबंदी को दिया है।

    नई दिल्ली, पीटीआइ। आरबीआइ की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सदस्य आशिमा गोयल ने कर संग्रह में आई तेजी का श्रेय नोटबंदी को दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उठाया यह कदम देश में एक व्यापक आधार पर कम कर लगाने की आदर्श स्थिति की तरफ ले जाएगा। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आठ नवंबर, 2016 को 500 और 1,000 रुपये के तत्कालीन नोटों को चलन से बाहर करने का एलान करते हुए कहा था कि इस अप्रत्याशित कदम से काला धन पर लगाम लगाने के साथ ही डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिलेगा।

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    दीर्घावधि में होंगे फायदे

    एमपीसी की सदस्य आशिमा गोयल ने यह स्वीकार किया कि नोटबंदी के सख्त कदम की कुछ अल्पकालिक लागत चुकानी पड़ी। साथ ही उन्होंने कहा कि दीर्घावधि में इसके कुछ लाभ भी होंगे। डिजिटलीकरण की दर में बढ़ोतरी, अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने और कर चोरी की घटनाओं में कमी जैसे लाभ प्रमुख हैं।

    आय पर कर संग्रह 24 प्रतिशत बढ़ा

    कर विभाग ने गत नौ अक्टूबर को कहा था कि चालू वित्त वर्ष में कंपनियों एवं व्यक्तिगत आय पर कर का कुल संग्रह करीब 24 प्रतिशत बढ़कर 8.98 लाख करोड़ रुपये हो चुका है। जीएसटी का संग्रह लगातार सातवें महीने 1.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है। सितंबर में जीएसटी संग्रह एक साल पहले की तुलना में 26 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1.47 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

    अतिरिक्त समर्थन देने का मकसद होगा पूरा

    आरबीआइ की तरफ से एक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) लाने की योजना के बारे में पूछे जाने पर गोयल ने कहा कि इससे नकदी के इस्तेमाल में कमी और मौजूदा भुगतान प्रणाली को अतिरिक्त समर्थन देने का मकसद पूरा हो सकेगा।

    नई जरूरतों को किया जा सकेगा पूरा

    उन्होंने कहा, 'सीबीडीसी से डिजिटल युग में निश्चित रूप से नई जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा। यह मुद्रा सुदूर इलाकों तक पहुंच आसान बनाने के साथ ही वित्तीय समावेशन को भी गति देगी और उससे जुड़ी लागत में कमी आएगी।' आरबीआइ ने हाल ही में कहा है कि वह अपनी डिजिटल मुद्रा को पायलट स्तर पर पेश करने की तैयारी में है।

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