Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    RBI MPC Meet Update: लोनधारकों के लिए गुड न्यूज, आरबीआई ने बताया कि नहीं बढ़ेगी EMI

    Updated: Thu, 08 Aug 2024 10:12 AM (IST)

    RBI MPC Meet Update 6 अगस्त 2024 से भारतीय रिजर्व बैंक की एमपीसी बैठक शुरू हुई थी। इस बैठक में देश की महंगाई को कंट्रोल करने के लिए कई फैसले लिए गए हैं। एमपीसी बैठक की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा किया गया है। इस बैठक के फैसलों का एलान भी आरबीआई गवर्नर ने किया है। इस बार भी समिति ने रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया।

    Hero Image
    RBI MPC Meet Update: एमपीसी बैठक के फैसलों का हुआ एलान

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। खाद्य वस्तुओं की बढ़ती महंगाई को देखते हुए आरबीआई की मौद्रिक नीति कमेटी की बैठक में बहुमत से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया गया। इस फैसले से सभी प्रकार के लोन की ब्याज दरें भी पहले की तरह ही रहने की संभावना है। लगातार नौवीं बार कमेटी की बैठक में रेपो रेट के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिसंबर से पहले ब्‍याज दरों में राहत की संभावना नहीं

    दूसरी तरफ, घरेलू आर्थिक सूचकांक में मजबूती को देखते हुए वैश्विक मंदी की आहट और भू-राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 7.2 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर के अपने पूर्वानुमान को कायम रखा है। पिछले तीन दिनों से मौद्रिक नीति कमेटी की बैठक चल रही थी। आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक आगामी दिसंबर से पहले ब्याज दरों में राहत मिलने की संभावना नहीं दिख रही है।

    कमेटी की बैठक समाप्त होने के बाद गुरुवार को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि छह सदस्यों वाली कमेटी में चार सदस्यों ने रेपो रेट को पहले की तरह 6.5 प्रतिशत रखने का फैसला किया। दो ने कम करने की बात कही थी। कमेटी इस पक्ष में दिखी कि जीडीपी विकास दर की तेजी को कायम रखने के लिए महंगाई को काबू में रखना जरूरी है।

    खुदरा महंगाई दर को चार प्रतिशत तक लाना है लक्ष्‍य

    आरबीआई खुदरा महंगाई दर को चार प्रतिशत तक लाना चाहता है जबकि इस साल अप्रैल-जून में खुदरा महंगाई दर 4.8 प्रतिशत रही। दास ने कहा कि खुदरा महंगाई दर में 46 प्रतिशत हिस्सेदारी खाद्य वस्तुओं की होती है जिनमें बढ़ोतरी का रुख जारी है और यह कुल खुदरा महंगाई को प्रभावित करती है। खाने-पीने की चीजें महंगी होने से आम घर का बजट प्रभावित होने लगता है।

    खुदरा महंगाई की कुल दर बढ़ने से श्रमिकों की मजदूरी और जीवनयापन की लागत बढ़ती है। इससे कंपनियां वस्तुओं के दाम बढ़ाने लगती है और कई सेवाएं महंगी होने लगती है। दास ने कहा कि अभी हम खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर में बढ़ोतरी देख रहे हैं, ऐसे में मौद्रिक नीति कमेटी रेपो रेट में बदलाव का साहस नहीं दिखा सकती है।

    बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सब्नविस ने बताया कि आरबीआई की सोच से साफ है कि मुख्य लक्ष्य अभी महंगाई दर को कम करना है और ऐसे में दिसंबर से पहले रेट में कटौती की उम्मीद नहीं की जा सकती है। क्योंकि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में महंगाई दर थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन तीसरी तिमाही में फिर से महंगाई दर बढ़ सकती है।

      

    रेपो रेट में बदलाव नहीं लाने का रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का फैसला होम लोन के मार्केट पर गहरा प्रभाव उत्पन्न करेगा। बजट के बाद मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की घोषणा ने अधिक स्थिरता के साथ घर के मालिकों को राहत दी है। दरों का स्थिर बने रहना रियल एस्टेट और लोन सेक्टर के लिए सकारात्मक संकेत है। इससे लोन देने वालों की ओर से घर के खरीददारों के लिए क्रेडिट आउटफ्लो बढ़ेगा।

    अतुल मोंगा- सीईओ एवं सह-संस्थापक, बेसिक होम लोन

    इसके आगे वह कहते हैं कि हालांकि रेपो दरें कुछ समय के लिए स्थिर बनी हुई हैं, अगले 6-12 महीनों में सेंट्रल बैंक द्वारा दरों में बदलाव की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। दरें बढ़ने से अफॉर्डेबल हाउसिंग सेगमेन्ट को प्रोत्साहन मिलेगा और सरकार के प्रधानमंत्री आवास योजना लक्ष्यों को समर्थन मिलेगा।

    चालू वित्त वर्ष में 7.2 फीसदी की विकास दर पर कायम है रिजर्व बैंक

    दास ने बताया कि मानसून के अब बेहतर होने से खरीफ सीजन में कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी होने की संभावना है जिससे ग्रामीण खपत में बढ़ोतरी होगी। घरेलू मांग से मैन्युफैक्चरिंग में लगातार मजबूती आ रही है और सर्विस सेक्टर भी काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। वस्तु व सेवा दोनों ही निर्यात में बढ़ोतरी हो रही है। बैंकों का खाता-बही मजबूत दिख रहा है। इन तमाम सूचकांक को देखते हुए आरबीआई चालू वित्त वर्ष में विकास दर में 7.2 प्रतिशत के अपने अनुमान पर कायम है।