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    महंगाई के खिलाफ लड़ाई को जटिल बना रही वैश्विक अनिश्चितता, मंदी के हल्के असर को लेकर बन रही आम सहमति

    रिजर्व बैंक ने आठ फरवरी को हुई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के मिनट्स जारी कर दिए हैं। जो सदस्य रेपो रेट बढ़ाने के पक्ष में नहीं थे उनमें जयंत आर वर्मा और आशिमा गोयल के नाम शामिल हैं।

    By Jagran NewsEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Wed, 22 Feb 2023 08:21 PM (IST)
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    RBI Minutes of Meeting: Global uncertainty is complicating the fight against inflation

    मुंबई, जागरण ब्यूरो। वैश्विक अनिश्चतता के लगातार बने रहने से महंगाई के खिलाफ लड़ाई और जटिल हो रही है। आठ फरवरी को हुई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा ने यह राय व्यक्त की थी। आरबीआइ की ओर से बुधवार को जारी एमपीसी मिनट्स के अनुसार, पात्रा का मानना था कि पहले की तुलना में अब मामूली मंदी को लेकर आम सहमति बन रही है। हालांकि, भौगोलिक असमानताएं पूर्वानुमान को जटिल बनाती हैं।

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    वैश्विक मुद्रास्फीति के लिए दृष्टिकोण पहले की तुलना में अधिक अनिश्चित हो रहा है। आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी इस बात का उल्लेख किया है कि गैर-तेल वस्तुओं की बढ़ती कीमतों जैसे विभिन्न वैश्विक कारकों से काफी अनिश्चितता बनी हुई है। आरबीआइ ने प्रमुख महंगाई दर की अनिश्चितता का हवाला देते हुए रेपो रेट में 25 आधार अंक की वृद्धि की थी।

    पिछले वर्ष मई के बाद से रेपो रेट में यह छठी वृद्धि थी। तब से लेकर अब तक रेपो रेट में 250 आधार अंक की वृद्धि हो चुकी है। दास ने कहा था कि 25 आधार अंकों की वृद्धि भविष्य की मौद्रिक नीति कार्रवाइयों और व्यापक आर्थिक स्थितियों के आधार पर रुख को जांचने के लिए भी जगह प्रदान करती है।

    रेपो रेट बढ़ाने के पक्ष में नहीं थे दो सदस्य

    मिनट्स के अनुसार, एमपीसी में शामिल तीन बाहरी सदस्यों में से दो इस महीने रेपो रेट बढ़ाने के पक्ष में नहीं थे। उनमें से एक ने कहा कि यह आवश्यक नहीं था क्योंकि महंगाई बढ़ने की उम्मीदें कम हो रही थीं और आर्थिक विकास ¨चता का विषय बना हुआ था। जो सदस्य रेपो रेट बढ़ाने के पक्ष में नहीं थे, उनमें जयंत आर वर्मा और आशिमा गोयल शामिल थीं। तीसरे बाहरी सदस्य शशांक भिड़े आरबीआइ के तीन सदस्यों के साथ रहे और उन्होंने रेपो रेट में लगातार छठी बार वृद्धि के लिए वोट किया।

    रेपो रेट में बढ़ोतरी उचित नहीं थी

    एमपीसी बैठक में जयंत आर वर्मा ने कहा था कि 2021-22 की दूसरी छमाही में मौद्रिक नीति महंगाई को लेकर संतुष्ट थी और हम 2022-23 में अस्वीकार्य रूप से ज्यादा महंगाई के रूप में इसकी कीमत चुका रहे हैं। उनके विचार में 2022-23 की दूसरी छमाही में मौद्रिक नीति विकास के बारे में संतुष्ट हो गई है और पूरी उम्मीद है कि हम 2023-24 में अस्वीकार्य रूप से कम वृद्धि के संदर्भ में इसकी कीमत नहीं चुकाएंगे। वर्मा का मानना था कि एमपीसी के बहुमत की ओर से स्वीकृत 25 आधार अंकों की वृद्धि कम महंगाई की उम्मीदों और बढ़ी हुई विकास चिंताओं को देखते हुए उचित नहीं थी।

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