एमपीसी में हो आरबीआइ का बहुमत
नीतिगत दरें तय करने में रिजर्व बैंक के गवर्नर के अधिकारों पर छिड़ी बहस में केंद्रीय बैंक के पूर्व प्रमुख सी रंगराजन भी शामिल हो गए हैं।
नई दिल्ली। नीतिगत दरें तय करने में रिजर्व बैंक के गवर्नर के अधिकारों पर छिड़ी बहस में केंद्रीय बैंक के पूर्व प्रमुख सी रंगराजन भी शामिल हो गए हैं। रंगराजन ने कहा है कि सरकार गवर्नर के वीटो अधिकार वापस ले सकती है, लेकिन मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) में ज्यादा सदस्य आरबीआइ के ही होने चाहिए।
रंगराजन का बयान ऐसे समय आया है जब सरकार और रिजर्व बैंक एमपीसी के स्ट्रक्चर को अंतिम रूप दे रहे हैं। यह समिति ब्याज दरों पर निर्णय लेगी। रंगराजन ने कहा कि मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क एग्रीमेंट में मुद्रास्फीति के प्रबंधन की जिम्मेदारी आरबीआइ पर डाली गई है। मैं मानता हूं कि एमपीसी में ज्यादातर सदस्य रिजर्व बैंक से होने चाहिए। गवर्नर के वीटो अधिकार वापस लिए जा सकते हैं।
वित्त मंत्रालय की ओर से जल्द इस संबंध में कैबिनेट नोट जारी होने की उम्मीद है। मुमकिन है इसमें छह सदस्यीय एमपीसी के गठन का सुझाव हो। इनमें तीन-तीन सदस्य रिजर्व बैंक और सरकार के हो सकते हैं। रंगराजन ने कहा कि समिति में दोनों पक्षों का बराबर प्रतिनिधित्व होने पर गवर्नर के पास अंतिम फैसला लेने का अधिकार होना चाहिए। मौजूदा व्यवस्था के तहत रिजर्व बैंक के गवर्नर की नियुक्ति सरकार करती है। लेकिन, मौद्रिक नीति पर गवर्नर का नियंत्रण होता है। उसके पास रिजर्व बैंक के सदस्यों की मौजूदा सलाहकार समिति और बाहरी नियुक्तियों पर वीटो अधिकार होता है।
बीते महीने वित्त मंत्रालय ने भारतीय वित्तीय संहिता (आइएफसी) के संशोधित मसौदे को जारी किया था। इसमें वीटो पावर को खत्म करने का सुझाव देते हुए कहा गया था कि बहुमत के आधार पर सात सदस्यीय एमपीसी को ब्याज दरों पर फैसला लेना चहिए। आरबीआइ के गवर्नर रघुराम राजन भी वीटो पावर को खत्म करने का समर्थन कर चुके हैं।
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