नए बैंक खोलने के लिए रिजर्व बैंक का गाइडलाइन जारी
बहुत जल्द ही देश के बैंकिंग क्षेत्र में टाटा और रिलायंस जैसे औद्योगिक समूह प्रवेश कर जाएंगे। भारतीय रिजंर्व बैंक (आरबीआइ) ने देश के वित्तीय क्षेत्र में सुधार से जुड़ा अहम कदम उठाते हुए नए बैंक खोलने संबंधी दिशानिर्देश जारी कर दिए। इसके बाद निजी व सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बहुत जल्द ही देश के बैंकिंग क्षेत्र में टाटा और रिलायंस जैसे औद्योगिक समूह प्रवेश कर जाएंगे। भारतीय रिजंर्व बैंक (आरबीआइ) ने देश के वित्तीय क्षेत्र में सुधार से जुड़ा अहम कदम उठाते हुए नए बैंक खोलने संबंधी दिशानिर्देश जारी कर दिए। इसके बाद निजी व सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) बैंकिंग क्षेत्र में उतर सकेंगी।
आरबीआइ ने वर्ष 1993 के बाद से निजी क्षेत्र में सिर्फ 12 बैंकों को खोलने की इजाजत दी है। केंद्रीय बैंक ने तकरीबन सात साल से किसी भी नए निजी बैंक को अनुमति नहीं दी है। लंबे अरसे बाद एक बार फिर आरबीआइ निजी क्षेत्र को बैंक लाइसेंस देगा। इसके लिए नए नियम बनाने का सिलसिला पिछले तीन वर्षो से जारी था।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम रिजंर्व बैंक पर लगातार दबाव बनाए हुए थे कि वह नए बैंक लाइसेंस जारी करे। लेकिन बैंकिंग कानून में संशोधन से पर्याप्त अधिकार मिलने के बाद आरबीआइ ने नए बैंकों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन नियमों से यह भी स्पष्ट हो गया है कि रीयल एस्टेट, सरकारी उपक्रम, शेयर ब्रोकिंग या बीमा क्षेत्र की कंपनियां भी बैंकिंग कारोबार में उतर सकेंगी।
केंद्रीय बैंक ने स्पष्ट कर दिया है कि वह एनबीएफसी को बैंकिंग क्षेत्र में उतरने के खिलाफ नहीं है। मौजूदा एनबीएफसी को भी बैंक में तब्दील करने की छूट मिलेगी बशर्ते वे सभी शर्तो को पूरा करे। इन दिशानिर्देशों में यह कहा गया है कि रिजर्व बैंक पुराने रिकॉर्ड साफ होने पर ही किसी एनबीएफसी को बैंकिंग कारोबार में उतरने की अनुमति देगा। साथ ही अगर दूसरे क्षेत्र की कंपनियां बैंकिंग में उतरना चाहती हैं तो आरबीआइ पहले उस क्षेत्र के नियामक से भी मशविरा करेगा।
नए बैंकों को अपनी एक चौथाई शाखाएं 10 हजार से कम आबादी वाले गांवों में खोलनी होंगी। साथ ही प्राथमिक क्षेत्र और गैर प्राथमिक क्षेत्र को कर्ज बांटने संबंधी सभी नियमों का पालन करना होगा। बैंक खोलने के लिए इच्छुक कंपनी या समूह को एक पूर्ण स्वामित्व वाली गैर संचालित फाइनेंशियल होल्डिंग कंपनी स्थापित करनी होगी। बैंक के अलावा उस समूह के सभी अन्य वित्तीय गतिविधियों वाले कारोबार की मुख्य हिस्सेदारी इस एनओएफएचसी के पास ही होनी चाहिए। लेकिन समूह की अन्य किसी भी अन्य सहयोगी कंपनी के पास बैंक की दस फीसद से ज्यादा हिस्सेदारी नहीें होनी चाहिए। बैंक के निदेशक बोर्ड में अनिवार्य रूप से आधे स्वतंत्र विशेषज्ञ सदस्य होने चाहिए।
क्या हैं प्रमुख शर्ते :-
1. निजी क्षेत्र, एनबीएफसी या सरकारी उपक्रम खोल सकेंगे बैंक
2. कम से कम 500 करोड़ रुपये का करना होगा निवेश
3. ग्रामीण क्षेत्रों में खोलनी होंगी कम से कम 25 फीसद शाखाएं
4. विदेशी कंपनियां रख सकेंगी 49 फीसद तक हिस्सेदारी
5. एनबीएफसी को बैंक में तब्दील करना भी होगा संभव
6. बैंक के बोर्ड में होगा स्वतंत्र निदेशकों का बहुमत
7. एक जुलाई, 2013 तक करने होंगे आवेदन
दर्जन भर निजी कंपनियां दौड़ में
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। रिजर्व बैंक के दिशानिर्देश जारी होने के बाद अब कुछ महीनों में नए बैंकों के अस्तित्व में आने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। वित्त मंत्रालय ने उम्मीद जताई है कि तय योजना के मुताबिक काम हुआ तो वित्त वर्ष 2013-14 के अंत तक कुछ नए बैंकों को लाइसेंस मिल जाएगा।
नए दिशानिर्देश से टाटा, रिलायंस, बिड़ला जैसे बड़े औद्यगिक घरानों के अलावा पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन, एलआइसी हाउसिंग फाइनेंस और आइएफसीआइ के बैंकिंग में उतरने का रास्ता साफ हो गया है। अनिल अंबानी समूह की रिलायंस कैपिटल के सीइओ सैम घोष ने कहा भी है कि उनकी कंपनी भी जल्दी ही आवेदन करेगी।
महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंस, श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस, मुथूट फाइनेंस, आइआइएफसीएल, बंधन फाइनेंशियल, एसकेएस माइक्रोफाइनेंस लिमिटेड जैसी एनबीएफसी भी बैंक लाइसेंस लेने की कतार में होंगी। इनमें से कई कंपनियों ने इसकी तैयारियां पहले से ही शुरू कर दी हैं। वैसे, देश की सबसे बड़ी एनबीएफसी चलाने वाले सहारा समूह के लिए राह कठिन होगी, क्योंकि रिजर्व बैंक पुराने रिकॉर्ड साफ होने पर ही बैंकिंग कारोबार में उतरने की अनुमति देगा। इन सबसे अलग देश में डेढ़ लाख से ज्यादा डाकघरों में धन जमा करने की सुविधा देने वाले इंडिया पोस्ट की नए बैंक खोलने को लेकर उम्मीदें भी बढ़ गई हैं। वह पोस्ट बैंक ऑफ इंडिया के नाम से अपना बैंक खोलना चाहता है।
वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवा सचिव राजीव टकरू ने कहा कि आरबीआइ की एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति बैंकों के आवेदन का मूल्यांकन करेगी। सब कुछ समय से चला तो वित्त वर्ष के अंत तक लाइसेंस जारी हो जाएगा। भारत में बैंकिंग कारोबार अभी 73 खरब रुपये का है। अभी भी देश के 40 फीसद वयस्क आबादी के पास बैंक खाता नहीं है। ऐसे में नए बैंकों के समक्ष बाजार की कमी नहीं है।
इंडिया इंक ने रिजर्व बैंक के ताजा कदम का स्वागत किया है। उद्योग चैंबर एसोचैम के अध्यक्ष राजकुमार धूत ने कहा कि नए निजी बैंकों के आने से देश में बैंकिंग सेवाओं का और विस्तार होगा। साथ ही इससे बैंकिंग क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
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