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    RBI गवर्नर ने निवेश के लिए कॉरपोरेट और बैंकों को साथ आने की जरूरत बताई, टैरिफ के दौर में मदद का भी आश्वासन

    RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि अमेरिकी टैरिफ (Trump Tariffs) से अर्थव्यवस्था के जिन सेक्टर पर प्रभाव पड़ेगा उनकी मदद की जाएगी। केंद्रीय बैंक के प्रमुख का कहना है कि कॉरपोरेट और बैंकों की बैलेंस शीट अभी सबसे अच्छे स्तर पर है इसलिए दोनों को निवेश के लिए आगे आना चाहिए।

    By Jagran News Edited By: Sunil Kumar Singh Updated: Mon, 25 Aug 2025 04:30 PM (IST)
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    RBI गवर्नर ने निवेश के लिए कॉरपोरेट और बैंकों को साथ आने की जरूरत बताई

    RBI Governor संजय मल्होत्रा ​​ने टैरिफ की अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक चिंताओं से उपजी चुनौतियों के बीच निवेश बढ़ाने के लिए कॉरपोरेट जगत और बैंकों को साथ आने की जरूरत बताई है। फाइबैक (FIBAC) कार्यक्रम में उन्होंने कहा, उम्मीद है कि अमेरिका और भारतीय व्यापार प्रतिनिधियों के बीच चल रही बातचीत से ऐसा निर्णय निकलेगा जिससे घरेलू अर्थव्यवस्था पर टैरिफ का प्रभाव न्यूनतम हो जाएगा।

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    भारतीय वस्तुओं पर 27 अगस्त से अमेरिका 50 प्रतिशत टैरिफ (Trump Tariffs) लगाने जा रहा है। टेक्सटाइल, झींगा आदि पर इसके प्रभाव को लेकर चिंताओं का जिक्र करते हुए आरबीआई गवर्नर ​​ने आश्वासन दिया कि अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों को अगर जरूरत पड़ी तो उनकी मदद की जाएगी।

    उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक मोर्चे और टैरिफ से उत्पन्न चुनौतियों के कारण हम एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं। हम विकास सुनिश्चित करने के तरीकों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। मल्होत्रा ​​ने स्पष्ट किया कि मौद्रिक नीति में महंगाई और विकास, दोनों को ध्यान में रखा जाएगा। RBI प्रमुख ​​ने कहा, ऐसे समय में जब बैंक और कॉर्पोरेट की बैलेंस शीट सबसे अच्छे स्तर पर हैं, उन्हें साथ आकर निवेश चक्र बनाना चाहिए।

    बैंक कर्ज बढ़ाने के उपायों पर विचार

    मल्होत्रा ​​ने कहा कि वित्तीय स्थिरता और कीमतों स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने से विकास में बाधा नहीं आती है। वित्तीय स्थिरता और विकास के बीच कोई टकराव नहीं है। वित्त वर्ष 2024-25 में कर्ज वृद्धि दर तीन साल के निचले स्तर पर आ गई। इस पर मल्होत्रा ​​ने कहा, हम विभिन्न क्षेत्रों में बैंक कर्ज का विस्तार करने के उपायों पर विचार कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने इसके बारे में विस्तार से नहीं बताया।

    मल्होत्रा ​​ने बताया कि आरबीआई रेगुलेटेड संस्थाओं के लिए बिजनेस आसान बनाने पर भी काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि बैंकों को अधिक स्वायत्तता देने पर आरबीआई के जोर के कारण बैंकों के बोर्ड पर अत्यधिक बोझ पड़ा है। इसलिए आरबीआई कुछ ऐसी नीतियों को तर्कसंगत बनाने की कोशिश कर रहा है।

    बेसल-III मानदंड जल्द लागू किए जाएंगे

    उन्होंने कहा कि आरबीआई जल्द ही बेसल-III मानदंडों को लागू करना चाहता है। इससे कर्ज में अपेक्षित कमी के लिए दिशानिर्देश भी जल्द ही टिप्पणियों के लिए जारी किए जाएंगे। मल्होत्रा ने फाइनेंशियल इनक्लूजन का विस्तार, छोटे व्यवसायों को ऋण तथा ग्राहक सेवा बेहतर बनाने को आरबीआई की प्राथमिकता बताया। उन्होंने कहा, हालांकि जन-धन योजना के माध्यम से लगभग पूरी वयस्क आबादी के लिए खाते खोले गए हैं, फिर भी इसे बढ़ाने की गुंजाइश है।

    SBI ने अधिग्रहण की फाइनेंसिंग की अनुमति मांगी

    इसी कार्यक्रम में एसबीआई चेयरमैन और आईबीए प्रमुख सी.एस. शेट्टी ने बताया कि कंपनियों की तरफ से कर्ज की मांग कम हो गई है, क्योंकि वे फाइनेंसिंग के लिए कॉरपोरेट डिपॉजिट और पूंजी बाजार का रुख कर रही हैं। उन्होंने कहा, “बैंकों को दीर्घकालिक कैपेक्स व्यय की अगली लहर के लिए फाइनेंसिंग बढ़ाने पर विचार करना होगा। यह भारत के विकास की महत्वाकांक्षा के लिए आवश्यक है।”

    एसबीआई चेयरमैन ने बैंकों को शीर्ष कंपनियों के लिए अधिग्रहण की फाइनेंसिंग की अनुमति देने का भी अनुरोध किया। अभी रेगुलेटर की तरफ से इस पर प्रतिबंधित है। कंसल्टेंसी फर्म बीसीजी के रुचिन गोयल ने कहा कि कॉरपोरेट कर्ज में पिछले कुछ समय में कमी आई है। उन्होंने बताया कि अब यह कुल सिस्टम एक्सपोजर का 36 प्रतिशत है, जो कुछ साल पहले 60 प्रतिशत था।

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