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    RBI CBDC: अमेरिकी पाबंदी का आरबीआई की मुहिम पर असर नहीं, डिजिटल करेंसी पर चलता रहेगा काम

    आरबीआई ने 01 दिसंबर 2022 को देश के कुछ चयनित बैंकों के चयनित शाखाओं के जरिए सीबीडीसी को लागू किया था। तब बताया गया था कि यह निजी क्षेत्र की डिजिटल करेंसी (क्रिप्टोकरेंसी व अन्य) की चुनौतियों को थामने का काम करेगा। लेकिन ट्रंप ने ना सिर्फ सीबीडीसी को प्रतिबंधित किया है बल्कि क्रिप्टोकरेंसी को हरी झंडी दिखाते हुए अमेरिका को क्रिप्टो कैपिटल बनाने की भी घोषणा की है।

    By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Tue, 28 Jan 2025 03:00 PM (IST)
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    नवंबर, 2020 के शिखर सम्मेलन में जी-20 देशों ने डिजिटल भुगतान की स्वीकार्यता को लेकर घोषणा की थी।

    जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। ट्रंप प्रशासन की तरफ से सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) को प्रतिबंधित करने से दुनिया भर में केंद्रीय बैंकों के निर्देश में डिजिटल करेंसी की व्यवस्था को लागू करने की भारत की मुहिम को धक्का लगा है। लेकिन घरेलू स्तर पर आरबीआई की तरफ से सीबीडीसी व्यवस्था को प्रसारित करने की योजना को लेकर ना तो सरकार की सोच बदली है और ना ही आरबीआई की।

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    आरबीआई ने 01 दिसंबर, 2022 को देश के कुछ चयनित बैंकों के चयनित शाखाओं के जरिए सीबीडीसी को लागू किया था और तब यह बताया गया था कि यह निजी क्षेत्र की डिजिटल करेंसी (क्रिप्टोकरेंसी व अन्य) की चुनौतियों को थामने का काम करेगा। लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ना सिर्फ सीबीडीसी को प्रतिबंधित किया है बल्कि क्रिप्टोकरेंसी को हरी झंडी दिखाते हुए अमेरिका को इसका सबसे बड़ा केंद्र बनाने की भी घोषणा की है।

    अमेरिका की नई सरकार के उक्त फैसलों के भारत पर प्रभाव को लेकर आधिकारिक तौर पर अभी कोई बयान नहीं आया है। लेकिन अधिकारियों का कहना है कि इसका एक स्पष्ट असर सीबीडीसी को लेकर जी-20 की तैयारियों पर होने का खतरा है। नवंबर, 2020 के शिखर सम्मेलन में जी-20 देशों ने विभिन्न देशों के बीच डिजिटल भुगतान की स्वीकार्यता को लेकर घोषणा की थी।

    तब बताया गया था कि मौजूदा भुगतान व्यवस्था के मुकाबले सीबीडीसी काफी सस्ता, पारदर्शी व सुविधाजनक होगा। बाद में जब भारत की अध्यक्षता में वर्ष 2023 की बैठक में भी इसे एक अहम मुद्दा बनाया गया। अहमदाबाद में जी-20 के केंद्रीय बैंक के गवर्नरों व आइएमएफ, विश्व बैंक जैसे दूसरे वैश्विक संस्थानों की बैठक में इस बारे में बहस हुई कि कैसे सीबीसीडी का इस्तेमाल व्यापक आर्थिक फायदे के लिए किया जाए। नई दिल्ली घोषणा-पत्र में भी इसका जिक्र किया गया।

    इस दरम्यान भारत, चीन, ब्राजील, दक्षिण कोरिया, यूएई समेत 36 देशों में सीबीडीसी पर प्रायोगिक तौर पर काम करना शुरू कर दिया है। जी-20 ने वर्ष 2027 तक सीबीडीसी की एक मजबूत व्यवस्था दुनिया भर में बनाने का लक्ष्य भी रखा है । अब दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति की तरफ से इससे हाथ खींचने से इस योजना पर उल्टा असर पड़ना संभव है।

    सीबीडीसी को बढ़ाने पर हो रहा काम

    आरबीआई की तरफ से भी सीबीडीसी को ज्यादा व्यापक बनाने का काम धीरे-धीरे चल रहा है।आरबीआई की तरफ से यह भी बताया गया था कि जून, 2024 तक भारत में 50 लाख ग्राहक सीबीडीसी का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह संख्या एक वर्ष पहले सिर्फ 13 लाख थी। हाल ही में ओडिशा सरकार ने अपनी फ्लैगशिप सुभद्रा योजना को भी आरबीआई की पायलट सीबीडीसी से जोड़ने का काम किया है।

    सीबीडीसी को लागू कर रहे दिल्ली स्थित मुख्यालय वाले एक बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आरबीआई की तरफ से ऐसा कोई संकेत नहीं आया है कि सीबीडीसी की रफ्तार धीमी करनी है। हालांकि यह भी तय है कि अभी इसे पूरी तरह से लांच करने को लेकर भी विमर्श नहीं चल रहा।

    सनद रहे कि सीबीडीसी आरबीआई की मान्यता वाला डिजिटल करेंसी है जिसका इस्तेमाल करने के लिए ग्राहकों को एक विशेष डिजिटल खाता (डिजिटल वालेट) खोलना पड़ता है और इसका खास एप ईआर डाउनलोड करना होता है। यह भारतीय रुपये में भुगतान करने या स्वीकार करने का डिजिटल माध्यम है। आरबीआई का कहना है कि इससे सेटलमेंट करना काफी आसान है। अभी 15 भारतीय बैंकों को सीबीडीसी जारी करने की मंजूरी दी गई है।

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