RBI का बड़ा फैसला, नेपाल, श्रीलंका में रुपये में कर्ज दे सकेंगे भारतीय बैंक
भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को नेपाल, भूटान और श्रीलंका के निवासियों को रुपये में ऋण देने की अनुमति दी है, जिससे सीमा पार व्यापार आसान होगा। निर्यातकों के लिए विदेशी मुद्रा खाते में अप्रयुक्त राशि वापस भेजने की समय सीमा भी बढ़ाई गई है। यह घोषणा आरबीआई ने अपनी मौद्रिक समीक्षा में की।

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को कहा कि भारत के बैंक और उनकी विदेशी शाखाएं अब भूटान, नेपाल और श्रीलंका में रहने वाले व्यक्तियों और बैंकों को भारतीय रुपये में ऋण मुहैया करा सकती हैं।
आरबीआई ने एक बयान में कहा कि यह कदम विदेशी विनिमय प्रबंधन (उधारी एवं ऋण) विनियम, 2018 और विदेशी मुद्रा खाता प्रबंधन विनियम, 2015 में संशोधनों के तहत उठाया गया है। इसका उद्देश्य ‘बाहरी व्यापार और भुगतान को सुगम बनाना’ है। रिजर्व बैंक ने कहा, ‘‘भारत में अधिकृत डीलर बैंकों और उनकी विदेशी शाखाओं को अब भूटान, नेपाल और श्रीलंका में रहने वाले व्यक्तियों और बैंकों को रुपये में ऋण देने की अनुमति है, ताकि सीमापार व्यापार लेनदेन को सुविधाजनक बनाया जा सके।’’
इसके अलावा जनवरी, 2025 में आरबीआई ने भारतीय निर्यातकों को यह मंजूरी दी थी कि वे विदेशों में किसी बैंक में विदेशी मुद्रा खाते खोलकर अपने निर्यात प्राप्तियों को संग्रहीत कर सकें। इन खातों में अप्रयुक्त शेष राशि को अब तक अगले महीने के अंत तक वापस भेज देना अनिवार्य था।
हालांकि, आरबीआई ने अब इस अवधि को बढ़ाकर तीन महीने कर दिया है, यदि विदेशी मुद्रा खाता भारत के आईएफएससी में किसी बैंक में रखा गया हो। आरबीआई ने एक अक्टूबर, 2025 को अपनी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा के दौरान इस कदम की घोषणा की थी।
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