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    Railway Transformation: रेलवे का पूरी तरह हो जाएगा कायाकल्‍प, चार तरह के विकल्पों में बदल जाएंगी समस्त ट्रेनें

    वंदे भारत मेट्रो पर काम तेजी से चल रहा है। 50 ट्रेनें लगभग तैयार हैं। जुलाई में परीक्षण के लिए पहली ट्रेन आ भी जाएगी। इसके लिए देश भर के 124 रूटों की पहचान कर ली गई है। मेट्रो की तर्ज पर ही वंदे मेट्रो की भी गति अधिकतम 130 किमी प्रतिघंटा होगी। इसमें करीब 100 सीटें बैठने की होंगी और 200 लोग खड़े होकर यात्रा कर सकते हैं।

    By Jagran News Edited By: Praveen Prasad Singh Updated: Thu, 02 May 2024 10:00 PM (IST)
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    वंदे भारत मेट्रो के आने के बाद उपनगरीय यात्रा व्यवस्था पूर तरह से बदल जाने की उम्‍मीद है।

    अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण अभियान के तहत पुराने संस्करण की ट्रेनें पीछे छूट जाएंगी और सारी की सारी नए स्वरूप में आ जाएंगी। पटरियों पर अब चार तरह की यात्री ट्रेनें दौड़ेंगी। छोटी दूरी के लिए वंदे भारत मेट्रो, मध्यम दूरी के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस एवं लंबी दूरी के लिए दो तरह की ट्रेनें चलाई जाएंगी- वंदे भारत स्लीपर और अमृत भारत एक्सप्रेस। वंदे भारत ट्रेनों को अगले पड़ाव पर ले जाने की तैयारी है। रेलवे अब इन्हीं चार संस्करणों में सारी ट्रेनें बनाने में जुटा है।

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    सारी ट्रेनों को बदल देने की है तैयारी

    अगले सात-आठ वर्षों में सारी ट्रेनों को बदल देने की तैयारी है। वंदे भारत मेट्रो में कम से कम चार और अधिक से अधिक 16 बोगियां होंगी। यह उन बड़े शहरों के लिए चलाई जाएंगी, जिनके आसपास लगभग 100-200 किमी की दूरी पर कोई दूसरा शहर या उपनगर होगा। इसका फ‌र्स्ट लुक सामने आ चुका है। छोटे शहरों से बड़े शहरों में नौकरी या कारोबार करने के लिए रोजाना आने-जाने वाले ट्रेन यात्रियों को इससे सुविधा होगी। जैसे पटना से गया, दिल्ली से मेरठ, आगरा से मथुरा, लखनऊ से कानपुर जैसे शहरों के बीच यह ट्रेन चलाई जाएगी। भीड़ और जरूरत को देखते हुए बोगियों की संख्या घटाई-बढ़ाई जा सकती है। किराया सामान्य ट्रेनों की तरह होगा, लेकिन सुविधाएं अत्याधुनिक होंगी।

    वंदे भारत मेट्रो पर तेजी से चल रहा काम

    वंदे भारत मेट्रो पर काम तेजी से चल रहा है। 50 ट्रेनें लगभग तैयार हैं। जुलाई में परीक्षण के लिए पहली ट्रेन आ भी जाएगी। इसके लिए देश भर के 124 रूटों की पहचान कर ली गई है। मेट्रो की तर्ज पर ही वंदे मेट्रो की भी गति अधिकतम 130 किमी प्रतिघंटा होगी। इसमें करीब 100 सीटें बैठने की होंगी और 200 लोग खड़े होकर यात्रा कर सकते हैं। 500 किमी से 800 किमी के बीच के दो शहरों में आने-जाने के लिए मध्यम दूरी की वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई जा रही हैं। इसकी अधिकतम गति 160 किमी प्रतिघंटा है, किंतु बढ़ाकर 200 किमी करना है। अभी ऐसी ट्रेनों की संख्या 75 है। इसे बढ़ाकर 400 करना है।

    लंबी दूरी के लिए दो तरह की ट्रेनें हो रहीं डिजाइन

    भारतीय रेलवे द्वारा लंबी दूरी के लिए दो तरह की ट्रेनें डिजाइन की जा रही हैं। वंदे भारत स्लीपर को लगभग 800 किमी से अधिक दूरी की यात्रा के लिए चलाया जाएगा। इसमें यात्री सोकर भी जा सकते हैं। दूसरी ट्रेन वंदे भारत साधारण होगी, जो बिना एसी की होगी। इन्हें उन रूटों पर चलाया जाना है, जहां वेटिंग की समस्या ज्यादा है और रोजाना बड़ी संख्या में यात्री बड़े शहरों के लिए प्रस्थान करते हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस की अधिकतम गति अभी 183 किमी प्रतिघंटा पहुंचती है, लेकिन भविष्य में इसे और तेज करने पर काम चल रहा है। वंदे साधारण को अधिकतम 130 की गति से चलाने की तैयारी है। दोनों तरह की ट्रेनों में कम से कम 12 एवं अधिक से अधिक 16 बोगियां होंगी।