रेलवे के पास रहेगी कामकाज की आजादी, उठा सकेगी वेतन का बोझ
विलय के बाद अब रेलवे को सरकारी खजाने में लाभांश जमा नहीं करना होगा और उसे अपने कामकाज से जुड़े मसलों पर पूरी आजादी होगी।
नई दिल्ली: बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने रेल बजट को आम बजट में मिलाने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। यानि कि अब रेल बजट अलग से नहीं बल्कि आम बजट के साथ ही पेश होगा। इस विलय के बाद अब रेलवे को सरकारी खजाने में लाभांश जमा नहीं करना होगा और उसे अपने कामकाज से जुड़े मसलों पर पूरी आजादी होगी। इतना ही नहीं रेलवे को अपने कर्मचारियों को वेतन देने और पूर्व कर्मचारियों को पेंशन देने के साथ-साथ सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का बोझ खुद ही उठाना होगा।
रेलवे के खर्चे:
वर्तमान में रेलवे का वेतन बिल 70,125 करोड़ रुपए और पेंशन बिल करीब 45,500 करोड़ रुपए है जबकि सालाना ईंधन बिल 23,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का है। 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को अमल में लाने के लिए रेलवे को 30,000 करोड़ रुपए का भार सहना होगा। इसके साथ ही यात्री सेवाओं पर दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की सब्सिडी के मद में भी रेलवे को सालाना 33,000 करोड़ रुपए का खर्च उठाना होगा।
एक बहुत ही महत्वपूर्ण बजट सुधार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को रेल बजट को आम बजट में मिलाने को मंजूरी दे दी। केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि हालांकि रेलवे की एक अलग पहचान और कार्यात्मक स्वायतता कायम रहेगी।
जहां तक बात विभिन्न श्रेणियों (खिलाड़ी और रोगियों समेत) में रियायती किराए के बोझ की है, तो यह एक चिंता की बात है, सरकार इस समस्या का हल निकालने के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन करेगी।