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    लीक से काफी हटकर होगा सुरेश प्रभु का पहला रेल बजट

    By Rajesh NiranjanEdited By:
    Updated: Thu, 26 Feb 2015 10:31 AM (IST)

    रेलमंत्री सुरेश प्रभु बृहस्पतिवार को लोकसभा में 2015-16 का रेल बजट पेश करेंगे। उनका प्रयास रेलवे को पुरानी जकडऩ से मुक्त कर विकास और आधुनिकीकरण के फास्ट ट्रैक पर डालना और यात्रियों को सुरक्षित व सुविधाजनक सफर का अहसास कराने का होगा। यह प्रभु का पहला रेल बजट है। लिहाजा

    नई दिल्ली, [संजय सिंह]। रेलमंत्री सुरेश प्रभु बृहस्पतिवार को लोकसभा में 2015-16 का रेल बजट पेश करेंगे। उनका प्रयास रेलवे को पुरानी जकडऩ से मुक्त कर विकास और आधुनिकीकरण के फास्ट ट्रैक पर डालना और यात्रियों को सुरक्षित व सुविधाजनक सफर का अहसास कराने का होगा। यह प्रभु का पहला रेल बजट है। लिहाजा उनसे किसी चमत्कार की उम्मीद उचित नहीं होगी। लेकिन वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई रेलवे के कायाकल्प की मुहिम को आगे बढ़ाने व मुकाम तक पहुंचाने की कोशिश अवश्य करेंगे। इसके लिए किराये-भाड़े के प्रत्यक्ष रूट के बजाय फंड जुटाने के परोक्ष व नवोन्मेषी उपायों पर जोर रहेगा। बुधवार शाम रेल बजट को अंतिम रूप देते हुए प्रभु ने कहा भी, 'कठिनाई है, लेकिन उम्मीदों को पूरा करने की कोशिश करूंगा।'

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    प्रमुख सुधारों का होगा खाका

    रेल बजट में रेलवे के प्रशासनिक, प्रबंधकीय, प्रक्रियागत व नीतिगत सुधारों का खाका होगा। निर्माणाधीन परियोजनाओं को जल्द पूरा करने, जरूरी नए प्रोजेक्टों के लिए संसाधनों का जुगाड़ करने तथा रेलवे को आधुनिक चेहरा देने के लिए निजी व विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के नवोन्मेषी उपाय भी झलकेंगे। बजट में कुछ हाईस्पीड व सेमी हाईस्पीड रेल परियोजनाओं के पीपीपी प्रमोटरों और वित्तपोषक एजेंसियों का ब्यौरा सामने आ सकता है।

    यात्रियों के लिए होंगी सौगातें

    रेल बजट में आम और खास दोनों तबकों के लिए सौगातें होंगी। इनमें संपन्न यात्री वर्ग के लिए स्टेशनों और ट्रेनों को आधुनिक व सुविधा संपन्न बनाने के उपाय होंगे। आम यात्रियों को सहज, सुलभ व किफायती यात्रा प्रदान करने के कदम उठाए जाएंगे। गरीबों के लिए ज्यादा पैसेंजर ट्रेनों व ज्यादा साधारण दर्जे की बोगियों के इंतजाम संभव हैं। छात्रों, बेरोजगारों व महिलाओं के लिए रियायतों या सहूलियतें मिलने की संभावना है।

    नई ट्रेनों व नई परियोजनाओं का एलान सीमित रहेगा। इसके बजाय ट्रेनों को समय पर व सुरक्षित ढंग से चलाने का प्रयास होगा। प्राथमिकता वाली परियोजनाओं के लिए आवंटन बढ़ेगा। राज्यों की भागीदारी बढ़ाने के प्रयास भी होंगे। नए प्रतिष्ठान खड़े करने व मौजूदा के विस्तार और स्टेशनों, लाइनों, कारखानों, पुलों, बोगियों, वैगनों को आधुनिक बनाने की योजनाएं होंगी।

    लेवल क्रॉसिंग बड़ी चुनौती

    संरक्षा व सुरक्षा पर प्रभु का संकल्प देखने लायक होगा, क्योंकि अब तक महज बातें हुई हैं। सबसे बड़ी चुनौती साढ़े बारह हजार लेवल क्रॉसिंगों पर ओवरब्रिज/अंडरब्रिज बनाने या चौकीदार तैनात करने की है। इसके लिए विशेष कोष का एलान हो सकता है। पुनर्गठन पर प्रभु का खासा जोर है। चर्चा है कि जोनों की संख्या भी घटाई-बढ़ाई जा सकती है।