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GST का दायरा बढ़ाने की तैयारी; राज्यों के बीच बनी सहमति, अब फैसले की बारी, जानें कौन से सामान हो सकते हैं महंगे

जीएसटी काउंसिल की 47वीं बैठक के पहले दिन कई वस्तुओं को टैक्‍स के दायरे में लाने पर राज्यों के बीच सहमति बन गई है। कौन से सामान होंगे महंगे और किस पर कितना लगेगा टैक्‍स जानने के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 10:33 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jun 2022 08:22 AM (IST)
GST का दायरा बढ़ाने की तैयारी; राज्यों के बीच बनी सहमति, अब फैसले की बारी, जानें कौन से सामान हो सकते हैं महंगे
दही, पापड़ जैसे कई पैक्ड फूड आइटम पर जीएसटी लग सकता है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दही, पापड़ जैसे कई पैक्ड फूड आइटम पर जीएसटी लग सकता है। साथ ही प्रिंटिंग, राइटिंग, ड्राइंग स्याही, एलईडी लाइट व लैंप सहित सोलर वाटर हीटर पर कर का दायरा बढ़ाने की तैयारी है। चंडीगढ़ में चल रही जीएसटी काउंसिल की 47वीं बैठक के पहले दिन ऐसी कई वस्तुओं को दायरे में लाने पर राज्यों के बीच सहमति बन गई है, जो कर दायरे से बाहर थीं। बैठक के दौरान मुख्य रूप से तीन रिपोर्ट काउंसिल के समक्ष पेश की गई।

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आज हो सकता है फैसला 

इनमें इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के तहत जीएसटी की दरों में बदलाव से जुड़ी रिपोर्ट, जीएसटी प्रणाली में सुधार की रिपोर्ट और सोने के मूवमेंट से जुड़ी रिपोर्ट शामिल हैं। काउंसिल ने इन तीनों रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है और बहुत उम्मीद है कि बुधवार को इन पर अंतिम फैसला हो जाए।

काफी अधिक वित्तीय घाटा हुआ

मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित जीएसटी काउंसिल की बैठक के पहले दिन क्षतिपूर्ति बढ़ाने को लेकर भी राज्यों की तरफ से मांग की गई। विपक्षी पार्टी वाले राज्यों की दलील थी कि कम से कम दो साल के लिए उन्हें दी जाने वाली क्षतिपूर्ति की अवधि बढ़ाई जाए, क्योंकि उन्हें जीएसटी लागू होने से काफी अधिक वित्तीय घाटा हुआ है।

राज्यों के बीच बनी सहमति

केरल, बंगाल, छत्तीसगढ़, दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों की तरफ से यह भी दलील दी गई कि क्षतिपूर्ति की अवधि नहीं बढ़ाए जाने पर जीएसटी में उनकी हिस्सेदारी बढ़ाई जाए। जीएसटी दायरे से बाहर कई आइटम पर जीएसटी लगाने पर फैसला हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक इस मामले में राज्यों के बीच सहमति भी बन गई है। हालांकि कुछ वस्तुओं पर जीएसटी हटाने पर भी सहमति बनी है।

सोने के कारोबार के लिए ई-वे बिल हो सकता है जरूरी

कम से कम दो लाख रुपये तक के सोने के मूवमेंट को ई-वे बिल के दायरे में लाने की तैयारी है। हालांकि राज्यों को दो लाख की सीमा बढ़ाने का अधिकार होगा। अभी 50,000 रुपये से अधिक कीमत वाली वस्तुओं को दूसरी जगह पर भेजने के लिए ई-वे बिल जेनरेट करना पड़ता है। सोने की तस्करी रोकने के लिए की यह सिफारिश की गई है।

इनपुट क्रेडिट घटाने का प्रयास

सरकार इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में इसलिए बदलाव करना चाहती है, क्योंकि इसके तहत किसी वस्तु के कच्चे माल पर जीएसटी की दर अधिक होती है जबकि तैयार वस्तु पर जीएसटी की दर कम होती है। ऐसे में सरकार को इनपुट क्रेडिट अधिक देना पड़ता है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक फिलहाल इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के तहत उन्हीं वस्तुओं की जीएसटी दरें बढ़ाई जा सकती हैं जिससे खुदरा महंगाई दर को हवा नहीं मिले।

कौन-कौन से बदलाव हो सकते हैं

  • होटल में 1000 रुपये से कम किराये वाले कमरे पर लग सकता है 12 प्रतिशत जीएसटी
  • निजी अस्पतालों में 5,000 रुपये से अधिक के कमरे पर लग सकता है पांच प्रतिशत जीएसटी
  • पोस्टकार्ड जैसे आइटम को छोड़ सभी तरह की डाक सेवा पर लग सकता है जीएसटी
  • जीएसटी से बाहर कई बैंकिंग सेवाएं भी आ सकती हैं दायरे में
  • कैसिनो, हार्स रेसिंग, लाटरी, आनलाइन गेमिंग पर जीएसटी को लेकर बुधवार को होगी चर्चा

कर्नाटक के सीएम की अध्यक्षता में बनाया गया था जीओएम

इससे पहले हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर की वजह से जीएसटी दरों में बदलाव के साथ जीएसटी प्रणाली में सुधार और सोने के मूवमेंट को ई-वे बिल के दायरे में लाने के लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री बसवराज बोम्मई की अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह की कमेटी बनाई गई थी। 


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