8 डॉलर से शुरू किया था सफर, आज $100 अरब की कंपनी के मालिक; 75 साल का ये शख्स कैसे बना कनाडा का सबसे अमीर भारतीय?
प्रेम वत्स की कहानी एक प्रेरणा है। हैदराबाद से कनाडा जाकर उन्होंने 8 डॉलर से शुरुआत की और 100 अरब डॉलर की कंपनी खड़ी कर दी। 'वैल्यू इन्वेस्टिंग' के सिद्धांत और भारत में निवेश ने उनकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सादा जीवन और उच्च विचार के धनी प्रेम वत्स आज कनाडा के सबसे अमीर भारतीय हैं।
-1763036136759.webp)
8 डॉलर से शुरू किया था सफर, आज $100 अरब की कंपनी के मालिक; 75 साल का ये शख्स कैसे बना कनाडा का सबसे अमीर भारतीय?
Prem Watsa Success Story: कभी पढ़ाई के लिए एसी और भट्टी बेचने वाले इस युवक ने सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन उसे दुनिया 'कनाडा का वॉरेन बफे' कहेगी। हैदराबाद का एक युवक जब सिर्फ 8 डॉलर लेकर कनाडा पहुंचा, तो न पैसा था, न कोई पहचान। था तो बस- पिता का आशीर्वाद और खुद पर भरोसा। आज वही शख्स 100 अरब डॉलर की कंपनी का मालिक बन गया है। इसी के साथ उसने एक और उपबल्धि हासिल कर ली है। वह अब कनाडा का सबसे अमीर भारतीय भी बन गया है।
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर वो शख्स है कौन? तो जवाब है- प्रेम वत्स (Prem Watsa), जो कनाडा की फेयरफैक्स फाइनेंशियल होल्डिंग्स (Fairfax Financial Holdings) नाम की कंपनी के मालिक हैं। 75 साल की उम्र में भी वत्स की आंखों में वही चमक है, जो उस वक्त थी, जब उन्होंने सपना देखा था कि, ईमानदारी और धैर्य से सब मुमकिन है।" अब सवाल यह है कि आखिर प्रेम वत्स ने सिर्फ 8 डॉलर से 100 अरब डॉलर की कंपनी कैसे खड़ी कर दी? चलिए जानते हैं प्रेम वत्स की प्रेरणा देने वाली कहानी और कैसे एक फिलॉसफी ने उनकी जिंदगी बदलकर रख दी।
75 साल की उम्र में उत्तराधिकारी तय किया
75 साल के प्रेम वत्स ने अपनी कंपनी की अगली पीढ़ी तय कर दी है। उनका बेटा बेंजामिन वत्स भविष्य में फेयरफैक्स फाइनेंशियल होल्डिंग्स (Fairfax Financial Holdings) का चेयरमैन बनेगा। इकोनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने पहली बार अपनी उत्तराधिकार योजना (succession plan) पर खुलकर बात की है। 1985 में टोरंटो में शुरू हुई फेयरफेक्स आज 100 अरब डॉलर की संपत्ति वाली कंपनी है, जिसमें भारत का बड़ा निवेश हिस्सा है।
हैदराबाद से टोरंटो तक का सफर
1950 में हैदराबाद में एक स्कूल टीचर के घर जन्मे प्रेम वत्स ने आईआईटी मद्रास (IIT Madras) से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर MBA के लिए कनाडा चले गए। पढ़ाई के दौरान खर्च चलाने के लिए उन्होंने एयर कंडीशनर और फर्नेस बेचने तक का काम किया। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि, "मेरा भारत छोड़ने का कोई मन नहीं था, लेकिन 22 साल की उम्र में पिता की बात मानी और देश छोड़ दिया।"
यह भी पढ़ें- इस भारतीय के पास है स्विट्जरलैंड में स्थित दुनिया की सबसे बड़ी गोल्ड रिफाइनरी, कभी गैरेज में बनाते थे गहने
'वैल्यू इन्वेस्टिंग' से बदली किस्मत
प्रेम वत्स ने साल 1974 में कॉन्फ्रेडेशन लाइफ इंश्योरेंस (Confederation Life Insurance) में बतौर एनालिस्ट करियर शुरू किया। यहीं उन्हें बेंजामिन ग्राहम (Benjamin Graham) की 'वैल्यू इन्वेस्टिंग' फिलॉसफी ने प्रभावित किया, यानी अंडरवैल्यू कंपनियों में निवेश कर लंबे समय तक धैर्य से इंतजार करना। 1985 में उन्होंने मार्केल फाइनेंशियल (Markel Financial) नाम की एक घाटे में चल रही बीमा कंपनी खरीदी और उसका नाम बदलकर फेयरफैक्स (Fairfax) रखा। जिसका मतलब है- Fair and Friendly Acquisitions यानी निष्पक्ष और मैत्रीपूर्ण अधिग्रहण।
भारत में 7 अरब डॉलर का निवेश
वत्स की कंपनी का भारत से गहरा जुड़ाव है। फेयरफैक्स इंडिया होल्डिंग्स (Fairfax India Holdings) ने अब तक 7 अरब डॉलर का निवेश भारत में किया है और अगले पांच साल में 5 अरब डॉलर और लगाने की योजना है। कंपनी के निवेश आईआईएफएल ग्रुप (IIFL Group), बेंगलुरु एयरपोर्ट, सन्मार केमिकल्स (Sanmar Chemicals) जैसी कंपनियों में हैं। वत्स मानते हैं कि भविष्य में निवेश के लिए भारत सबसे बेहतर जगह है।
सादा जीवन और उच्च विचार
अपार संपत्ति के बावजूद प्रेम वत्स हमेशा मीडिया से दूर रहे। उन्हें साल 2020 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वो कहते हैं कि, "जितनी मेहनत कर सकते हो, करो। जैसे सब कुछ तुम पर निर्भर है। और उतनी ही ईमानदारी से प्रार्थना करो। जैसे सब कुछ भगवान पर निर्भर है।" और उनकी यही सोच आज फेयरफैक्स को दुनिया की सबसे भरोसेमंद कंपनियों में से एक बनाती है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।