देश में बिजली संकट गहराया, 7 साल बाद पहली बार कोयला आयात करेगी कोल इंडिया
देश में बिजली संकट गहराता जा रहा है। इस बीच कई सालों बाद सरकारी कंपनी कोल इंडिया कोयले का आयात करेगी। इससे पहले वर्ष 2015 में कोल इंडिया ने कोयले का आ ...और पढ़ें

नई दिल्ली, रॉयटर्स/पीटीआइ/बिजनेस डेस्क। देश में बिजली संकट (Power crisis) गहराता जा रहा है। इस बीच कई सालों बाद सरकारी कंपनी कोल इंडिया (Coal India) कोयले का आयात करेगी। इससे पहले वर्ष 2015 में कोल इंडिया ने कोयले का आयात किया था। उस वक्त देश भीषण बिजली कटौती का सामना कर रहा था। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, सरकारी थर्मल पावर प्लांटों के साथ ही इंडिपेंडेंट पावर प्रोड्यूस (आइपीपी) को भी आयातित कोयले से आपूर्ति की जाएगी।
महंगा कोयला आयात करने वाले प्लांट बढ़ा सकेंगे बिजली की कीमतें
केंद्र सरकार ने विदेश से कोयला आयात कर बिजली बनाने वाले थर्मल संयंत्रों को इसकी छूट दे दी है कि वह बिजली तैयार करने में आने वाली बढ़ी हुई लागत को बिजली खरीद समझौते (पीपीए) के जरिए वसूल कर सकते हैं। बता दें कि पीपीए थर्मल पावर प्लांट और डिस्काम के बीच होता है, जिसकी दर पहले से ही तय होती है।
लेकिन मौजूदा समय में जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयला काफी महंगा हो गया है और देश में बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कोयला आयात करना बेहद जरूरी है तो केंद्र सरकार ने थर्मल संयंत्रों की लागत को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है।
देश का पहला हाइब्रिड बिजली संयंत्र शुरू
अदाणी ग्रीन एनर्जी की सब्सिडियरी अदाणी हाइब्रिड एनर्जी ने राजस्थान के जैसलमैर में 390 मेगावाट का बिजली संयंत्र शुरू कर दिया है। यह देश का पहले विंड-सोलर हाइब्रिड बिजली उत्पादन संयंत्र है। अदाणी ग्रीन के सीईओ विनीज जैन ने कहा कि विंड-सोलर हाइब्रिड एनर्जी हमारी कारोबारी रणनीति का प्रमुख हिस्सा है। इसका मकसद भारत की बढ़ती हरित ऊर्जा की जरुरत को पूरा करना है।
2.69 रुपये प्रति केडब्ल्यूएच की दर पर समझौता
उन्होंने बताया कि इस संयंत्र ने सोलर एनर्जी कारपोरेशन आफ इंडिया के साथ 2.69 रुपये प्रति केडब्ल्यूएच की दर से बिजली खरीद समझौता किया है जो राष्ट्रीय औसत बिजली खरीद लागत से कम है।

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