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    सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का असर, गरीबी कम होने के साथ ग्रामीण और शहरी कमाई का अंतर भी घटा

    By Agency Edited By: Suneel Kumar
    Updated: Tue, 27 Feb 2024 07:08 PM (IST)

    सरकार की अलग-अलग कल्याणकारी योजनाओं का सकारात्मक असर दिख रहा है। शहरी इलाकों के साथ अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों की जीवनशैली बेहतर हो रही है। ग्रामीण और शहरी मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग खर्च (MPCE) के बीच का अंतर अब 71.2 प्रतिशत है। 2009-10 में यह 88.2 प्रतिशत था। पिछड़े राज्यों की स्थिति में ज्यादा सुधार दिख रहा है।

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    2018-19 के बाद से ग्रामीण गरीबी में 440 आधार अंकों की महत्वपूर्ण कमी आई है।

    आईएएनएस, नई दिल्ली। देश में गरीबी तेजी से गरीबी घटने के साथ-साथ ग्रामीण और शहरी आय के अंतर में भी उल्लेखनीय कमी आई है। 2018-19 के बाद से ग्रामीण गरीबी में 440 आधार अंकों की महत्वपूर्ण कमी आई है। वहीं कोरोना महामारी के बाद शहरी गरीबी 170 आधार अंक घटी है।

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    इन आंकड़ों से जाहिर होता है कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का सकारात्मक असर हो रहा है। खासकर, निचले तबके के जीवन को बेहतर करने वाली योजनाओं का।

    मंगलवार को जारी किए गए उपभोक्ता खर्च सर्वे के एसबीआई रिसर्च एनालिसिस के अनुसार, ग्रामीण गरीबी अब 7.2 प्रतिशत (2011-12 में 25.7 प्रतिशत) है, जबकि शहरी गरीबी 4.6 प्रतिशत (2011-12 में 13.7 प्रतिशत) है।

    सर्वे में यह भी कहा गया है कि भारत के लोगों की जीवनशैली भी बेहतर हो रही है। इसका पता ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के उपभोग (जैसे पेय पदार्थ, नशीले पदार्थ, मनोरंजन, ड्यूरेबल गुड्स आदि) को देखकर पता चलता है।

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    एसबीआई की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ग्रामीण और शहरी मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (एमपीसीई) के बीच का अंतर अब 71.2 प्रतिशत है। 2009-10 में यह 88.2 प्रतिशत था।

    ग्रामीण एमपीसीई का लगभग 30 प्रतिशत मुख्य रूप से सरकार द्वारा डीबीटी हस्तांतरण, ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण में निवेश, किसानों की आय में बढ़ोतरी और ग्रामीण आजीविका में उल्लेखनीय सुधार के संदर्भ में उठाए गए कदमों के कारण होता है।

    जिन राज्यों को कभी पिछड़ा माना जाता था, वहां ग्रामीण और शहरी अंतर में सबसे अधिक सुधार दिखाई दे रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में इन कारकों का प्रभाव तेजी से दिख रहा है।