नीतिगत सुधारों से बदल जाएगी कृषि क्षेत्र की तस्वीर, प्राइवेट ट्रेड ही पहुंचाएगा किसानों तक खुशहाली
सरकार की ओर से पहली बार कृषि क्षेत्र में 1.60 लाख करोड़ रुपये का आवंटन फसल विशेष के लिए किया गया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। नीतिगत सुधारों के जरिए किसानों की दशा व दिशा बदलने में लगी सरकार के प्रयासों को बल मिलने लगा है। कृषि व्यापार पर कसा कानूनी शिकंजा टूटने लगा है। प्राइवेट ट्रेड के मार्फत ही किसानों तक खुशहाली पहुंच सकेगी। कृषि कारोबार में संलग्न कंपनी आईटीसी का कहना है कि कृषि क्षेत्र की वैश्विक श्रृंखला में प्रतिस्पर्धी होने के लिए घरेलू कृषि में सतत विकास का होना जरूरी है।
आईटीसी कंपनी के एग्री बिजनेस के डिवीजनल चीफ एक्जीक्यूटिव रजनीकांत राय ने वीडियो पर आयोजित प्रेसवार्ता में जोर देकर कहा कि सरकार के नीतिगत बदलावों से कृषि क्षेत्र में छोटे उद्यमियों की बाढ़ आएगी जो पंचायत स्तर से लेकर ब्लॉक तक में सक्रिय होंगे। किसानों की निर्भरता भला न्यूनतम समर्थन मूल्य क्यों हो। उन्हें इससे अधिक मूल्य मिलने चाहिए। लेकिन इसके लिए सरकार का हस्तक्षेप हटना जरूरी है। किसानों तक बाजार को ले जाने का दायित्व प्राइवेट कंपनियों का है जिससे मांग आधारित उपज तैयार होगी।
सरकार की ओर से पहली बार कृषि क्षेत्र में 1.60 लाख करोड़ रुपये का आवंटन फसल विशेष के लिए किया गया है। राय ने कहा कि उनकी ई-चौपाल का चौथा चरण शुरु हुआ है, जिसमें नई पीढ़ी के किसानों के लिए डिजिटल कनेक्टिविटी व टेक्नोलॉजी के मद्देनजर वैल्यू चेन को आगे बढ़ाया जाएगा। किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में 'बारह महीने हरियाली' प्रोग्राम शुरु किया गया है। इसमें उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में दो फसली भूमि को बहु फसली बनाने पर जोर दिया गया है। इसमें खेत की उपयोगिता और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए मदद दी जाती है।
कृषि उत्पादकता और भूमि की उपयोगिता बढ़ाने से ही किसानों की आमदनी में वृद्धि संभव है। इसके साथ मांग आधारित फसलों की खेती पर भी जोर देने की जरूरत है। एक सवाल के जवाब में राय ने कहा कि कानूनी शिकंजा खत्म होने से कृषि व्यापार मुक्त होकर काम करेगा। अब जरूरत कृषि निर्यात नीति को भी तर्कसंगत बनाने की है। प्राइवेट ट्रेड को पहली बार स्थानीय स्तर से लेकर वैश्विक बाजार तक में बेझिझक काम करने का मौका मिला है। कृषि क्षेत्र में कृषि उद्यमिता गेम चेंजर हो सकती है।