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    प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत 7 सालों में 44 करोड़ हुई बैंक खातों की संख्या

    By Abhishek PoddarEdited By:
    Updated: Fri, 29 Oct 2021 03:14 PM (IST)

    वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने शुक्रवार को जानकारी देते हुए यह बयान दिया कि प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के लॉन्च होने के बाद इसके तहत 7 वर्षों में अक्टूबर 2021 तक खातों की संख्या बढ़कर 44 करोड़ हो गई है।

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    PMJDY के लॉन्च होने के बाद इसके तहत खातों की संख्या बढ़कर 44 करोड़ हो गई है।

    नई दिल्ली, पीटीआइ। प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के तहत 7 सालों में खातों की संख्या में काफी अच्छी बढ़ोतरी देखने को मिली है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने शुक्रवार को जानकारी देते हुए यह बयान दिया कि, "प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के लॉन्च होने के बाद इसके तहत 7 वर्षों में, अक्टूबर 2021 तक खातों की संख्या बढ़कर 44 करोड़ हो गई है।" प्रधानमंत्री जनधन योजना की घोषणा प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा 15 अगस्त 2014 के भाषण के दौरान की गई थी। इस योजना को 28 अगस्त 2014 को लॉन्च किया गया था।

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    प्रधानमंत्री जन धन योजना को आम लोगों की वित्तीय सेवाओं, जैसे बैंकिंग, लोन, बीमा, पेंशन तक किफायती तरीके से पहुंच सुनिश्चत करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। आर्थिक मामलों के विभाग की आर्थिक सलाहकार मनीषा सेंसारमा ने 'वित्तीय समावेशन पर राष्ट्रीय ई-शिखर - समावेशी भारत के लिए रोडमैप' पर एसोचैम एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि "पीएम जन धन योजना को लॉन्च होने के बाद से अपार सफलता मिली है।"

    "प्रधानमंत्री जन धन योजना के कार्यान्वयन के लिए एक डिजिटल पाइपलाइन बनाई गई है। अक्टूबर 2021 तक, लगभग 44 करोड़ लाभार्थियों को अब तक बैंक से जोड़ा गया है। हम इस कार्यक्रम के माध्यम से बहुत अधिक धन जुटाने में सक्षम हुए हैं। इसके अलावा, जेएएम ट्रिनिटी, जो बैंक खातों को आधार और मोबाइल नंबरों से जोड़ रही है, ने सामाजिक क्षेत्र के कार्यक्रमों के लक्ष्यीकरण को बेहतर बनाने और लोगों के सही वर्ग को संबोधित करने में भी मदद की है।"

    इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि, "पहले भी सरकार की ओर से काफी लाभ मिल रहा था लेकिन इसमें संदेह था कि वे सही लोगों तक पहुंच रहे हैं या नहीं। लेकिन प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से, यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि, लाभ अब पात्र और पहचाने गए लाभार्थी तक पहुंच रहा है ताकि संसाधनों की बर्बादी और रिसाव न हो।"