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    कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता जरूरी, प्रधानमंत्री ने तेल, फर्टिलाइजर और कच्चे तेल का आयात घटाने का किया आह्वान

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Mon, 17 Oct 2022 11:26 PM (IST)

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि खाद्य तेल फर्टिलाइजर और कच्चे तेल के आयात पर सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च होती है। इन जिंसों की आयात निर्भरता घटानी होगी। देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हम सबको मिलकर काम करने की जरूरत होगी।

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    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आयात पर निर्भरता घटानी होगी।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए साझा प्रयास की जरूरत बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा 'खाद्य तेल, फर्टिलाइजर और कच्चे तेल के आयात पर सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च होती है। विदेशों की समस्याओं का असर हमारे यहां भी पड़ता है। इन जिंसों की आयात निर्भरता घटानी होगी। देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हम सबको मिलकर संकल्प करना होगा।' प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को यहां पीएम-किसान सम्मान सम्मेलन-2022 को संबोधित कर रहे थे।

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    पीएम-किसान योजना की 12वीं किस्त जारी

    इसी दौरान उन्होंने पीएम-किसान योजना की 16,000 करोड़ रुपये की 12वीं किस्त आठ करोड़ किसानों के बैंक खातों में डिजिटल तरीके से जमा की। सम्मेलन में मौजूद किसानों के अलावा वर्चुअल तरीके से जुड़े करोड़ों किसानों से बातचीत करने के अंदाज में उन्होंने फर्टिलाइजर क्षेत्र में किए गए दो प्रमुख सुधारों का जिक्र किया।

    फर्टिलाइजर दुकानों को समृद्धि केंद्रों के रूप में विकसित करने का अभियान

    देशभर में सोमवार से सवा तीन लाख से अधिक फर्टिलाइजर दुकानों को प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों के रूप में विकसित करने का अभियान शुरू किया गया है। यहां अब सिर्फ खाद ही नहीं मिलेगी, बल्कि बीज, कृषि उपकरण और मिट्टी के परीक्षण के साथ खेती से जुड़ी हर तरह की जानकारी भी प्राप्त होगी।

    'एक देश एक उर्वरक' की योजना को किया गया लागू

    इस मौके पर प्रधानमंत्री ने पूरी तरह विकसित 600 ऐसे केंद्रों की शुरुआत भी की। दूसरा सुधार, फर्टिलाइजर की मल्टी ब्रांडिंग की जगह 'एक देश एक उर्वरक' की योजना को लागू किया गया है। अब देश में एक ही भारत ब्रांड से सभी खाद बिकेंगी।

    छोटी होती जोत और जलवायु परिवर्तन का भी किया जिक्र

    कृषि क्षेत्र में लगातार छोटी होती जोत की चुनौतियां का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा 'देश में 85 प्रतिशत छोटे किसान हैं। समय के साथ परिवार के विस्तार से जमीन का टुकड़ा लगातार छोटा हो रहा है। जलवायु परिवर्तन का असर यह है कि दिवाली आने वाली है और बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है। प्राकृतिक प्रकोप जारी है।

    पानी की गुणवत्ता खराब होने से बढ़ेंगी समस्याएं

    प्राकृतिक संसाधनों में मिट्टी और पानी की गुणवत्ता खराब होने से समस्याएं बढ़ेंगी। इन सारी मुश्किलों का अनुभव किसान अपनी रोजाना की जिंदगी में करता है। इन विपरीत स्थितियों में पैदावार बढ़ाने के लिए खेती में वैज्ञानिक पद्धतियों और तकनीक को खुले मन से अपनाना होगा। सिंचाई की आधुनिक प्रणाली से गन्ने की खेती हो सकती है। पिछले सात-आठ वर्षों के भीतर देश में कुल 70 लाख हेक्टेयर जमीन में सूक्ष्म सिंचाई के दायरे में आ गई है।'

    चुनौतियों से निपटने का एकमात्र रास्ता प्राकृतिक खेती

    प्रधानमंत्री मोदी ने कहा भविष्य की चुनौतियों के समाधान का एक अहम रास्ता प्राकृतिक खेती है। इसके लिए जागरूकता का होना जरूरी है। तकनीक के उपयोग से खेत और बाजार की दूरी को कम कर रहे हैं। ई-नाम के माध्यम से पौने दो करोड़ से ज्यादा किसान और ढाई लाख से अधिक व्यापारी जुड़ चुके हैं।

    कृषि उत्पादों के निर्यात में कीर्तिमान

    कृषि उत्पादों के निर्यात में भारत दुनिया के 10 देशों में शामिल हो चुका है। कृषि निर्यात की दर 18 प्रतिशत पहुंच गई है। कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीक का उपयोग करके हमारे स्टार्टअप इसे नए युग में ले जा सकते हैं। पिछले आठ सालों के दौरान कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप की संख्या 100 से बढ़कर तीन हजार से ज्यादा हो गई है।

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