बैंकों में पड़ा पैसा सुरक्षित, अफवाहों पर ध्यान न दें लोग: पीएम मोदी
फिक्की के सालाना अधिवेशन में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा है कि एफआरडीआई के संबंध में अफवाहें फैलाई जा रही है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ फिक्की की 90वीं सालाना आम सभा में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एफआरडीआई को लेकर अफवाहें फैलाई जा रही है। सरकार जमाकर्ताओं के हितों और अधिकारों की रक्षा के लिए काम कर रही है, लेकिन जो अफवाहें फैलाई जा रही हैं वो इसके उलट है। ऐसी अफवाहों को दूर करने के लिए फिक्की जैसे संस्थानों का योगदान महत्वपूर्ण है। फाइनेंशियल रेजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इन्योक रेंस बिल (एफआरडीआई) को लोकसभा में 11 अगस्त 2017 को पेश किया गया था और यह संसद की संयुक्त समिति के समक्ष विचाराधीन है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “पहले की सरकार में बैठे लोग जानते ते, बैंक भी जानते थे, उद्योग जगत भी जानता था और बाजार से जुड़ी संस्थाएं भी जानती थीं कि गलत हो रहा है। जब सरकार में बैठे कुछ लोगों की ओर से बैंक पर दबाव डालकर कुछ विशेष उद्योगपतियों को लोन दिलवाया जा रहा था तब फिक्की जैसी संस्थाएं क्या कर रही थीं?हमारे यहां एक ऐसा सिस्टम बना, जिसमें गरीब हमेशा इस सिस्टम से लड़ रहा था, छोटी-छोटी चीजों के लिए उसे संघर्ष करना पड़ रहा था। अपनी ही पेंशन, स्कॉलरशिप के लिए यहां-वहां कमीशन देना होता था। सरकार अब सिस्टम से इस तरह की लड़ाई को खत्म करने की दिशा में काम कर रही है। हम एक ऐसा सिस्टम बनाने जा रहे हैं जो न सिर्फ पारदर्शी होगा, बल्कि संवेदी होने के साथ साथ लोगों की जरूरत को समझने वाला भी होगा।”
एनपीए पर क्या बोले पीएम मोदी: एनपीए संकट पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा, “ये एनपीए यूपीए सरकार का सबसे बड़ा घोटाला था। कॉमनवेल्थ, 2जी, कोल, सभी से कहीं ज्यादा बड़ा घोटाला। जो लोग मौन रह कर सब कुछ देखते रहे, क्या उन्हें जगाने की कोशिश किसी संस्था की ओर से की गई? ये आजकल एनपीए का जो हल्ला मच रहा है वो पहले की सरकार में बैठे अर्थशास्त्रियों की इस सरकार को दी गई सबसे बड़ी लॉयबिलिटी है।”
फिक्की इवेंट में मोदी के भाषण की पांच प्रमुख बातें:
- एफआरडीआई बिल पर सोशल मीडिया पर चल रही अफवाहों पर लोग ध्यान न दें।
- फिक्की उस वक्त क्या कर रहा था जब बैंक दबाव में आकर बड़े उद्योगपतियों को लोन दे रहे थे?
- जीएसटी जैसा सिस्टम रातों-रात नहीं लाया जा सकता है।
- बीते तीन सालों के भीतर 21 प्रमुख इंडियन सेक्टर्स में 87 प्रमुख सुधार लाए गए।
- रेरा कानून को पहले लाया जा सकता था जिसने बिल्डर्स की नाक में दम कर रखा है।