'ट्रेड डील पर अमेरिका से वार्ता जारी', क्या ई-कॉमर्स बंद किया जा सकता है? पीयूष गोयल ने दिया जवाब
India US trade deal 2025 वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ट्रेड डील को लेकर अमेरिका से अभी बातचीत चल रही है। हम अपने हितों को संरक्षित करके अपना निर्णय लेते हैं। वार्ता का क्या परिणाम आता है यह कहना बड़ा मुश्किल है। उन्होंने ई-कॉमर्स व्यापारियों और टेक्नोलॉजी पर भी बात की।
नई दिल्ली| वैश्विक व्यापार में भारत की स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया के सभी प्रमुख विकसित देशों के साथ दर्जन भर से अधिक देश इन दिनों भारत के साथ व्यापार समझौता के लिए बातचीत कर रहे हैं या करने वाले हैं। वैश्विक व्यापार भले ही गिर रहा है, लेकिन भारत का कुल निर्यात लगातार बढ़ रहा है। गत वित्त वर्ष में भी देश का वस्तु व सेवा निर्यात 825 अरब डालर रहा है। पेश हैं निर्यात व उद्योग प्रोत्साहन को लेकर सरकार की मंशा व नीति से जुड़े मुद्दों पर (Piyush Goyal interview) वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से राजनीतिक संपादक आशुतोष झा और सहायक संपादक राजीव कुमार की बातचीत के प्रमुख अंश...
सवाल: पिछले 11 सालों में निर्यात में 120 अरब डालर की वृद्धि कैसे हुई?
जवाबः नया उत्पाद, नया बाजार और नए निर्यातकों पर हमारे प्रधानमंत्री ने जोर दिया। हमने 20 संभावित बाजार को चिह्नित किया और निर्यात के छह सेक्टर पर खासा जोर दिया। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) जैसी स्कीम लाई गई। इन सबका नतीजा यह हुआ कि वित्त वर्ष 2014-15 में देश का वस्तु निर्यात जो 310 अरब डालर था, वह वित्त वर्ष 2024-25 में बढ़कर 437 अरब डालर तक पहुंच गया। सर्विस निर्यात को भी इसमें मिला दें तो यह आंकड़ा 825 अरब डालर तक पहुंच जाता है। पिछले 11 सालों में सालाना 5.8 प्रतिशत की दर से निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। इलेक्ट्रानिक्स उत्पाद के निर्यात में तो सालाना 19.9 प्रतिशत, इंजीनियरिंग गुड्स में 4.8 प्रतिशत तो फार्मा में 7.1 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
सवाल: अमेरिका से ट्रेड डील के बारे में क्या स्थिति है?
जवाब: भारत के हित को संरक्षित करते हुए दोनों पक्षों को लाभ देने वाली डील भारत की प्राथमिकता है। भारत के किसान, एमएसएमई और छोटे कारोबारियों के हितों को सुरक्षित रखना, हमारे सर्विस सेक्टर में जहां लाखों लोगों को नौकरी मिलती है, इनका हम किसी भी डील में ख्याल रखते हैं। देश हित में करार मोदी सरकार की विशेषता है। अमेरिका से अभी बातचीत (India US trade deal 2025 trade negotiations India USA) चल रही है। हम अपने हितों को संरक्षित करके अपना निर्णय लेते हैं। वार्ता का क्या परिणाम आता है, यह कहना बड़ा मुश्किल है।
सवाल: विभिन्न देशों के साथ एफटीए से भारत को कितना लाभ मिलेगा और यह माहौल कैसे बन सका?
जवाब: यह माहौल इसलिए बन सका क्योंकि हमारे प्रधानमंत्री ने पूरी दुनिया का विश्वास जीता है। दुनिया समझने लगी है कि भारत का नेतृत्व निर्णायक है। इज आफ डूइंग बिजनेस किया जा रहा है। हमने सैकड़ों नियमों को खत्म कर दिया। कौशल विकास पर लगातार बल दिया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह समझा जाने लगा कि भारत एक भरोसेमंद पार्टनर बन सकता है। वे भारत को अपनी सप्लाई चेन का हिस्सा बनाना चाहते हैं, क्योंकि भारत कभी किसी को धोखा नहीं देता है। हर प्रमुख देश भारत के साथ व्यापार भी बढ़ाना चाहता है और निवेश भी करना चाहता है।
सवाल: खुदरा व्यापारी ई-कामर्स कंपनियों के रवैये से दुखी हैं, ई-कामर्स नीति कब ला रहे हैं?
जवाब: आधुनिक युग में ई-कामर्स को पूरी तरह से बंद नहीं किया जा सकता है। छोटे व्यापारियों के घरों में भी ई-कामर्स से सामान मंगाया जा रहा है। ऐसे में, सिर्फ नीति से काम नहीं होगा, व्यापारियों का भला एक्शन से होगा। सभी छोटे व्यापारियों को आधुनिक टेक्नोलाजी से जोड़ने की आवश्यकता है। ओएनडीसी और जीईएम पोर्टल के साथ मिलकर रास्ता बनाने की बात चल रही है। अब मुद्रा योजना के तहत 20 लाख रुपये तक का लोन मिल रहा है। इससे वे अपनी दुकानों को आधुनिक बना सकते हैं। स्थानीय क्षेत्र में सेवा देने के लिए ई-कामर्स कंपनियों से भागीदारी कर सकते हैं। व्यापारियों के लिए अलग-अलग माडल पर काम कर रहे हैं ताकि व्यापारियों को ई-कामर्स में आत्मनिर्भर बनाया जाए।
सवाल: चीन की चुनौतियों से कैसे निपटेंगे?
जवाब: भारत हर चुनौती को अवसर में बदलना जानता है। कोरोनाकाल में हमने यह कर दिखाया है। कई वस्तुओं के लिए हम आयात पर निर्भर थे, जिनका अब हम निर्यात कर रहे हैं। वर्क फ्राम होम का कल्चर शुरू हुआ, जिससे एक नया इको सिस्टम तैयार हुआ और हमारा सर्विस निर्यात तेजी से बढ़ा। चुनौती अगर चीन से भी आएगी तो हम उससे निपटेंगे। हम अनुसंधान करेंगे, नवाचार करेंगे। अनुसंधान व नवाचार के लिए सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये की राशि को मंजूरी दी है। यह विदेश के मुकाबले बड़ी राशि है क्योंकि हमारे यहां लागत कम है।
सवाल: बजट में घोषित नेशनल मैन्यूफैक्चरिंग मिशन की विस्तृत रूपरेखा कब तक तैयार हो जाएगी?
जवाब: पारंपरिक रूप से हमारा मैन्यूफैक्चरिंग सिस्टम मजबूत था। लेकिन बिना गुणवत्ता का ध्यान दिए हमने जमकर आयात किया। 2004-14 के बीच चीन से हमारा व्यापार घाटा कई गुना बढ़ा। मैन्यूफैक्चरिंग अब सरकार की प्राथमिकता है, जिससे घरेलू मांग की पूर्ति के साथ निर्यात बढ़ सकता है। इसे देखते हुए ही नेशनल मैन्यूफैक्चरिंग मिशन लाया जा रहा है। इसकी गाइडलाइंस नीति आयोग बना रहा है। जल्द ही इसे सार्वजनिक किया जाएगा।
सवाल: एनडीए के कार्यकाल में स्टार्टअप्स की यात्रा कैसी रही है?
जवाब: आज की तारीख में देश में 1.8 लाख से अधिक पंजीकृत स्टार्टअप्स है। ये स्टार्टअप्स 55 प्रकार के उद्योगों में नवाचार का काम कर रहे हैं। इनमें रक्षा, अंतरिक्ष, बायोटेक, ग्रीन टेक्नोलाजी, हेल्थकेयर, रोबोटिक्स जैसे कई सेक्टर शामिल है। अब हमारे स्टार्टअप्स तेजी से मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में भी आ रहे हैं।
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