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    पतंजलि की स्थाई पैकेजिंग: FMCG उद्योग के लिए एक उदाहरण

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 02:53 PM (IST)

    पतंजलि आयुर्वेद धरती और पर्यावरण की सेहत को अहमियत देता है। पैकेजिंग कचरे को एक गंभीर खतरे के रूप में देखते हुए पतंजलि ने सस्टेनेबल पैकेजिंग मॉडल अपनाया है। आमतौर पर ईको-फ्रेंडली पैकेजिंग पारंपरिक पैकेजिंग से महंगी होती है। यही वजह है कि कई कंपनियाँ इसे अपनाने से पीछे हट जाती हैं लेकिन पतंजलि ने इस चुनौती का हल निकाला है।

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    पतंजलि ने सस्टेनेबल पैकेजिंग मॉडल का एक नया रास्ता अपनाया है।

    नई दिल्ली। आज की दुनिया में पैकेजिंग सिर्फ किसी प्रोडक्ट को सुरक्षित रखने का साधन नहीं रह गई है, बल्कि यह बिक्री बढ़ाने का एक बड़ा जरिया बन चुकी है। आकर्षक और चमकदार पैकेजिंग देखकर ग्राहक आसानी से आकर्षित हो जाते हैं और जल्दी खरीदारी कर लेते हैं। यही कारण है कि ब्रांड्स पैकेजिंग को अपनी मार्केटिंग प्लान का अहम हिस्सा मानते हैं। लेकिन क्या पैकेजिंग का यही तरीका सही है? असल में ज्यादातर पैकेजिंग प्लास्टिक और एकबारगी (Single-use) सामग्री से बनाई जाती है, जो पर्यावरण के लिए खतरनाक है।

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    खासकर FMCG (Fast-Moving Consumer Goods) उद्योग, जो रोज़ाना इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट्स जैसे तेल, साबुन, टूथपेस्ट, खाने-पीने की चीज़ें बनाता है, सबसे ज़्यादा पैकेजिंग कचरा पैदा करता है। यही कारण है कि अब इस क्षेत्र में स्थायी (sustainable) पैकेजिंग को अपनाने की ज़रूरत और भी बढ़ गई है।

    भारतीय ब्रांडों में पतंजलि आयुर्वेद इस दिशा में एक मिसाल बनकर उभरा है। यह ब्रांड न केवल आयुर्वेद और योग से जुड़ा है, बल्कि धरती और पर्यावरण की सेहत को भी उतनी ही अहमियत देता है। पैकेजिंग कचरे को एक गंभीर खतरे के रूप में देखते हुए, पतंजलि ने एक नया रास्ता अपनाया है - सस्टेनेबल पैकेजिंग मॉडल

    यह कदम दिखाता है कि व्यवसायिक विकास और पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी, दोनों को साथ लेकर चला जा

    सकता है। आइये जानते हैं कैसे पतंजलि के उठाये कदम दूसरी FMCG कंपनियों को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।

    1. बायोडिग्रेडेबल और रीसायकल होने वाले मैटेरियल्स का उपयोग

    मेरठ के दीवान इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज में सहायक प्रोफेसर अतुल चौधरी की International

    Journal of Advances in Engineering and Management (IJAEM) में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार, पतंजलि ने ग्रीन मार्केटिंग अपनाई है, जिसका भारतीय बाज़ार पर सकारात्मक असर पड़ा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रांड ने सिंगल-यूज़ प्लास्टिक और दूसरी हानिकारक सामग्री के इस्तेमाल को कम किया है और उसकी जगह बायोडिग्रेडेबल सामग्री का उपयोग किया है, जिसे दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है,रीसायकल किया जा सकता है या फिर प्राकृतिक रूप से नष्ट हो जाती है। इस कदम से पतंजलि ने न केवल अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम किया है, बल्कि भारत के प्लास्टिक कचरा कम करने के अभियान में भी योगदान दिया है।

    2. उपभोक्ताओं को जागरूक करना

    पतंजलि का एक और महत्वपूर्ण योगदान है- जागरूकता फैलाना। जब कोई ग्राहक पतंजलि का ऐसा

    उत्पाद खरीदता है जिसकी पैकेजिंग पर्यावरण के अनुकूल हो (Eco-friendly packaging), तो वह खुद भी एक जिम्मेदार कदम उठाता है। धीरे-धीरे लोग समझने लगते हैं कि उनकी खरीदारी की आदतें पर्यावरण पर असर डाल सकती हैं। इस तरह पतंजलि केवल अपने स्तर पर बदलाव नहीं ला रहा, बल्कि उपभोक्ताओं को भी इस बदलाव का हिस्सा बना रहा है। हर घर में जागरूकता का यह संदेश पहुँचाना, अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।

    3. लागत और स्थिरता में संतुलन

    सस्टेनेबल पैकेजिंग का सबसे बड़ा सवाल है उसकी लागत। आमतौर पर ईको-फ्रेंडली पैकेजिंग पारंपरिक पैकेजिंग से महंगी होती है। यही वजह है कि कई कंपनियाँ इसे अपनाने से पीछे हट जाती हैं। लेकिन पतंजलि ने इस चुनौती का हल निकाला। बड़े पैमाने पर उत्पादन और सही स्रोत से सामग्री लेने की वजह से, पतंजलि उत्पादों की कीमतें ज़्यादा नहीं बढ़ीं। इसके अलावा, कंपनी ने रीसाइक्लिंग प्लांट्स भी लगाए हैं, जिससे कचरे को दोबारा इस्तेमाल किया जा सके। इसका नतीजा यह हुआ कि उपभोक्ताओं को टिकाऊ विकल्प भी मिले और कीमतें भी किफ़ायती बनी रहीं।

    4. साधारण और मिनिमल पैकेजिंग

    आजकल कई कंपनियाँ उत्पाद को ज़्यादा आकर्षक दिखाने के लिए ओवर-पैकेजिंग करती हैं। यानी, ज़रूरत से ज़्यादा सजावट और परतें जोड़ती हैं, जिससे कचरा और बढ़ जाता है। पतंजलि ने इस सोच को बदल दिया है। कंपनी ने पैकेजिंग में minimalist approach अपनाई है जिससे पैकेजिंग सिंपल और उपयोगी होती है। इसका मकसद सिर्फ उत्पाद को सुरक्षित रखना है, न कि दिखावे में संसाधन बर्बाद करना। यह कदम संसाधनों की बचत भी करता है और ब्रांड की सादगी और ईमानदारी को भी दर्शाता है।

    5. FMCG उद्योग के लिए उदाहरण

    FMCG क्षेत्र हर साल लाखों टन प्लास्टिक कचरा पैदा करता है, जो नदियों, मिट्टी और हवा में मिलकर गंभीर खतरे पैदा करता है। पतंजलि ने दिखाया है कि बड़े पैमाने पर उत्पादन और सस्ती कीमतों के साथ भी टिकाऊ पैकेजिंग अपनाई जा सकती है। अन्य कंपनियाँ पतंजलि से सीखकर अपनी नीतियों में बदलाव ला सकती हैं। अगर पूरा FMCG उद्योग इस मॉडल को अपनाए, तो भारत में प्लास्टिक कचरे की समस्या काफी हद तक कम हो सकती है।

    6. चुनौतियाँ और आगे का रास्ता

    हालाँकि पतंजलि ने इस दिशा में कई सराहनीय कदम उठाए हैं, लेकिन पूरी तरह प्लास्टिक हटाना अभी भी कठिन है। इसकी वजह है उत्पाद की सुरक्षा, भंडारण समय (shelf life), और वितरण की चुनौतियाँ। इसके बावजूद, पतंजलि लगातार नए प्रयोग कर रहा है। रिसर्च और इनोवेशन के ज़रिए कंपनी बेहतर विकल्प खोज रही है ताकि भविष्य और भी हरा-भरा हो सके।

    निष्कर्ष

    पतंजलि की पैकेजिंग रणनीति यह साबित करती है कि परंपरा और आधुनिकता को साथ लेकर चला जा

    सकता है। ब्रांड ने दिखाया है कि विकास और पर्यावरणीय जिम्मेदारी साथ-साथ चल सकते हैं। यह मॉडल केवल पैकेजिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि उपभोक्ताओं को जागरूक करने और अन्य कंपनियों को प्रेरित करने का भी काम करता है। अगर FMCG उद्योग सामूहिक रूप से ऐसे कदम उठाए, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण बनाना संभव होगा।