भारत के इस एक फैसले से टूट सकती है पाकिस्तानी इकोनॉमी की कमर
भारत अगर अरब सागर के रास्ते कराची बंदरगाह पहुचने वाले जहाजों का रास्ता बंद करता है तो कराची जाने वाले करीब 60 फीसदी जहाजों को अपना रास्ता बदलना पड़ जाएगा।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारत द्वारा जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद बौखलाए पाकिस्तान ने भारत के लिए अपना एयर स्पेस बंद करने की धमकी दी थी। पाकिस्तान ने 28 से 31 अगस्त तक कराची एयरस्पेस के तीन मार्गों को बंद करने का आदेश भी कर दिया था। पाकिस्तान के मंत्री फवाद चौधरी ने जब एयरस्पेस बंद करने की बात कही थी, तो भारत में भी सुब्रमण्यम स्वामी ने सरकार को एक सलाह दी थी। स्वामी ने कहा था कि भारत को कराची बंदरगाह के लिए अरब सागर से जाने वाले जहाजों का रास्ता बंद कर देना चाहिए। उन्होंने इसे लेकर ट्वीट भी किया था। सुब्रमण्यम स्वामी की कही इस बात का आज हम विश्लेषण करेंगे। हम जानेंगे कि कराची बंदरगाह के लिए जाने वाले जहाजों की नाकेबंदी करने के क्या मायने हैं और अगर ऐसा होता है, तो इससे पाकिस्तान को कितना बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
कराची बंदरगाह है पाकिस्तान का सबसे बड़ा और व्यस्ततम बंदरगाह
कराची बंदरगाह पाकिस्तान का सबसे बड़ा और सबसे अधिक व्यस्त रहने वाला बंदरगाह है। इस बंदरगाह से सालाना करीब 2.5 करोड़ टन के सामान का व्यापार होता है। कराची पोर्ट ट्रस्ट के अनुसार इस बंदरगाह पर हर साल 1600 जहाज आते हैं। भारत अगर अरब सागर के रास्ते कराची बंदरगाह पहुचने वाले जहाजों का रास्ता बंद करता है, तो कराची जाने वाले करीब 60 फीसदी जहाजों को अपना रास्ता बदलना पड़ जाएगा।
इस फैसले से होगा दो देशों का बड़ा नुकसान
सुब्रमण्यम स्वामी की सलाह पर अमल किया जाए, तो सिर्फ पाकिस्तान को ही नहीं बल्कि चीन को भी बड़ा नुकसान होगा। वह इसलिए क्योंकि चीन के ज्यादातर जहाज इस रास्ते से होकर ही गुजरते हैं। चीन के जहाज बंगाल की खाड़ी और श्रीलंका की तरफ से होते हुए अरब सागर के रास्ते कराची बंदरगाह जाते हैं। अगर भारत अरब सागर का यह रास्ता बंद करता है, तो चीन के जहाजों को काफी लंबा रूट लेना पड़ेगा। सिर्फ चीन ही नहीं बल्कि दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के इस रास्ते से गुजरने वाले जहाजों को भी लंबा रूट लेना होगा। उन्हें फिर अफ्रीका की तरफ से होकर जाना पड़ेगा।
जहाजों का बढ़ जाएगा यात्रा समय
भारत द्वारा अरब सागर का रास्ता ब्लॉक करने पर यहां से गुजरने वाले जहाजों को यमन, ओमान और अफ्रीका के रास्ते पाकिस्तान की तरफ जाना पड़ेगा। इससे इन जहाजों का यात्रा समय करीब एक दिन और बढ़ जाएगा। यात्रा का समय बढ़ने से ईंधन के खर्च में भी काफी बढ़ोतरी होगी।
दूसरे देशों को फायदा और पाकिस्तान को होगा नुकसान
दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के अरब सागर के रास्ते गुजरने वाले जहाजों को इस फैसले के बाद कराची बंदरगाह की बजाय अन्य देशों के बंदरगाहों पर रुकना होगा। जो जहाज पहले कराची बंदरगाह पर रुककर आगे बढ़ते थे, उन्हें अफ्रीका, यमन और ओमान जैसे देशों के बंदरगाहों पर रुकते हुए जाना पड़ेगा। इससे इन देशों को तो आर्थिक फायदा होगा, लेकिन कराची बंदरगाह की कमाई रुक जाएगी।
पाकिस्तान का हो जाएगा बड़ा नुकसान
पाकिस्तान को समुद्र के रास्ते जो कमाई होती है, उसमें कराची बंदरगाह का बड़ा योगदान है। पाकिस्तान को समुद्र के रास्ते होने वाली कमाई का करीब 61 फीसद कराची बंदरगाह से मिलता है। एक अनुमान के अनुसार भारत के इस फैसले से कराची बंदरगाह की 40 फीसद से अधिक कमाई खत्म हो जाएगी। अरब सागर के रास्ते को बंद करने से पाकिस्तान को करीब 3500 करोड़ का नुकसान हो सकता है। पहले से ही कर्ज के बोझ तले दबे पाकिस्तान को इससे बड़ा झटका लगेगा।
चली जाएगी लोगों की नौकरियां
इस फैसले से पाकिस्तान को आर्थिक नुकसान ही नहीं होगा, बल्कि कराची बंदगाह में काम करने वाले हजारों लोगों की नौकरियां भी चली जाएंगी। कराची बंदरगाह पर जहाजों का आवागमन सीमित होने से वहां माल ढुलाई जैसे कई काम रुक जाएंगे। इससे वहां कांट्रैक्ट पर काम करने वाले लोगों की नौकरियां चली जाएंगी। बताया जाता है कि अभी कराची बंदरगाह पर 4,748 कर्मचारी और 315 ऑफिसर कार्यरत हैं।
नुकसान का ट्रेलर देख चुका है पाकिस्तान
सुब्रमण्यम स्वामी की सलाह से पहले ही पाकिस्तान कराची बंदरगाह पर नुकसान झेल चुका है। फरवरी में पुलवामा आतंकी हमले के बाद जब भारत ने टैरिफ बढ़ा दिया था, तो कराची बंदरगाह पर पाकिस्तान के 800 कंटेनर्स अटक गए थे। इन कंटेनर्स में सीमेंट होने से उस समय पाकिस्तान के सीमेंट व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ था।
गैर जिम्मेदाराना है ऐसी बयानबाजी
देश के जाने-माने ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा के अनुसार इस तरह की बयानबाजी गैर जिम्मेदाराना होती है। उन्होंने कहा कि समुद्री रास्ते पर नाकेबंदी करने जैसे काम जल सेना करती है और वह हर स्थिति से निपटने में सक्षम है। साथ ही उन्होंने बताया कि ग्वादर बंदरगाह पर चीन का दबदबा होने के कारण पाकिस्तान के लिए कराची बंदरगाह बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह बंदरगाह एक तरह से पाकिस्तान की दाल-रोटी है।

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