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पाकिस्तान के बिजनेस पर भी है आर्मी का दबदबा, बेचती है बीमा से लेकर खाना तक

सेना के स्वामित्व वाले वेंचर्स की संख्या सैकड़ों में है और खबरों के मुताबिक इन कंपनियों में सेना का निवेश 100 अरब डॉलर से भी अधिक है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 05:19 PM (IST)Updated: Fri, 04 Oct 2019 07:32 AM (IST)
पाकिस्तान के बिजनेस पर भी है आर्मी का दबदबा, बेचती है बीमा से लेकर खाना तक
पाकिस्तान के बिजनेस पर भी है आर्मी का दबदबा, बेचती है बीमा से लेकर खाना तक

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। पाकिस्तान में राजनीति, विदेश नीति और आंतरिक सुरक्षा से लेकर हर मोर्चे पर पाक आर्मी की दखल से शायद ही कोई अंजान होगा। हालांकि, बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि पाकिस्तान की आर्मी वहां के दूसरे सबसे बड़े बिजनेस ग्रुप को चलाती है। इस ग्रुप का नाम है 'फौजी फाउंडेशन।' न्यूज एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक फौजी फाउंडेशन का कारोबार खाने से लेकर बिजली तक के क्षेत्र में फैला हुआ है। इस तरह देखें तो हर पाकिस्तानी के जीवन के लगभग हर क्षेत्र में सेना की मौजूदगी है। 

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'एशिया टाइम्स' में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में पाकिस्तान की सीनेट को सूचित किया गया था कि फौजी फाउंडेशन सहित पाक आर्मी के कॉमर्शियल विंग्स शाहीन फाउंडेशन, बहरिया फाउंडेशन, आर्मी वेलफेयर ट्रस्ट और डिफेंस हाउसिंग अथॉरिटीज के पास 20 अरब डॉलर से अधिक की आवासीय परिसंपत्तियां हैं। 

हालांकि, ताजा आंकड़ों के मुताबिक सेना के स्वामित्व वाले वेंचर्स की संख्या सैकड़ों में है और खबरों के मुताबिक इन कंपनियों में सेना का निवेश 100 अरब डॉलर से भी अधिक है।

रिपोर्ट के मुताबिक आर्मी ने हाल में ईंधन क्षेत्र के कारोबार में कदम रखा है। पाकिस्तान में सेना पहले से बैंकिंग, फूड, रिटेल, सुपरस्टोर, सीमेंट, रीयल एस्टेट, हाउसिंग, कंस्ट्रक्शन, प्राइवेट सिक्योरिटी सर्विसेज से लेकर बीमा कंपनियां तक चलाती है। 

इस रिपोर्ट में 'मिलिट्री इंक' की लेखिका डॉक्टर आयशा सिद्दीका के हवाले से लिखा है कि पाकिस्तान के प्राइवेट बिजनेस सेक्टर में आर्मी का 100 अरब डॉलर से अधिक की हिस्सेदारी है। 

सिद्दीका ने साथ ही इस बात का खुलासा किया है कि 2005 में एक विवादित कारोबारी लेनदेन पर सवाल उठाने पर पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय एवं वहां की चुनी हुई संसद के बीच गतिरोध देखने को मिला था। 

इस रिपोर्ट के मुताबिक फ्रंटियर ऑयल कंपनी आर्मी के प्रबंधन वाले फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन की सब्सिडरी है। इस कंपनी को 37 करोड़ डॉलर की 470 किलोमीटर लंबी तेल पाइपलाइन परियोजना का ठेका दिया गया था। 


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