तेल की कीमतों में रिकॉर्ड वृद्धि, 1 जुलाई को है OPEC+ की बैठक, अगस्त में निर्यात बढ़ाने पर हो सकती है चर्चा
देश में पेट्रोल डीजल के खुदरा दाम रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बीच भारत ने तेल निर्यातक देशों के संगठन ‘ओपेक’ पर कच्चे तेल के दाम को कम करने के लिए दबाव डाला है। भारत दुनिया का तीसरा बड़ा तेल आयातक देश है।
नई दिल्ली, रायटर। तेल की कीमतों में रिकॉर्ड वृद्धि अक्टूबर 2018 में देखी गई थी, लेकिन एक बार फिर इसकी कीमतें आसमान छू रही हैं। मौजूदा समय में कच्चे तेल के दाम 75 डालर प्रति बैरल से ऊपर निकल गये हैं। दरअसल, अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते को फिर से शुरू करने में देरी की वजह से ईरानी तेल निर्यात में वृद्धि हुई। इसी हफ्ते ओपेक+ की बैठक के परिणाम आने हैं, निवेशकों की नजर इस बैठक के परिणाम पर टिकी है।
अगस्त के लिए ब्रेंट क्रूड 22 सेंट या 0.3% बढ़कर 76.40 डॉलर प्रति बैरल हो गया था, जबकि अगस्त के लिए यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड 25 सेंट या 0.3% ऊपर 74.30 डॉलर प्रति बैरल था।
तेल की कीमतों में पांचवें सप्ताह भी वृद्धि हुई, जबकि पिछले सप्ताह मजबूत आर्थिक विकास और गर्मियों के दौरान लोग घूमने के लिए घरों से बाहर निकल रहे हैं इससे यात्रा में वृद्धि से ईंधन की मांग तेज हो गई। उधर, वैश्विक कच्चे तेल की आपूर्ति बनी रही जबकि, पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के सहयोगियों ने उत्पादन में कटौती की है। .
ओपेक + के रूप में जाना जाने वाला उत्पादक समूह, पिछले साल के रिकॉर्ड तेल उत्पादन प्रतिबंधों को धीरे-धीरे कम करने की योजना के तहत मई से जुलाई तक बाजार में 21 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) भेज रहा है। ओपेक+ की बैठक 1 जुलाई को होगी और अगस्त में आपूर्ति में कटौती को और कम किया जा सकता है।
विश्लेषकों का कहना है कि हमें उम्मीद है कि ओपेक + गठबंधन अगले सप्ताह की बैठक में मांग में सुधार की प्रकृति के बदले बाजार की अधिक आपूर्ति की आवश्यकता को संतुलित करने की कोशिश करेगा।
देश में पेट्रोल, डीजल के खुदरा दाम रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बीच भारत ने तेल निर्यातक देशों के संगठन ‘ओपेक’ पर कच्चे तेल के दाम को कम करने के लिए दबाव डाला है। भारत दुनिया का तीसरा बड़ा तेल आयातक देश है। कच्चे तेल के दाम बढ़ने से देश में पेट्रोल और डीजल के खुदरा दाम रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंच गये हैं। सउदी अरब जैसे ओपेक देश परंपरागत रूप से कच्चे तेल के सबसे बड़े स्रोत रहे हैं और भारत इनसे तेल का आयात करता रहता है।
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