सब्जियों ने रुलाया, प्याज अस्सी रुपये प्रति किलो
नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले प्याज के दाम में लगी आग ने सरकार के होश उड़ा दिए हैं। हालत यह है कि इसकी की ...और पढ़ें

नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले प्याज के दाम में लगी आग ने सरकार के होश उड़ा दिए हैं। हालत यह है कि इसकी कीमत कम करने की कोई तरकीब सरकार की समझ में नहीं आ रही है। चुनाव से पहले प्याज के बढ़े दामों का खामियाजा पहले भी सरकारों को भुगतना पड़ा है। प्याज की रोपाई में कमी और कहीं बारिश तो कहीं सूखे के चलते कम से कम अगले दो महीने तक इसकी कीमत में कमी आने के आसार नहीं दिख रहे हैं।
राजधानी दिल्ली में प्याज का खुदरा मूल्य 70 से 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया। प्याज की महंगाई के चलते ही वर्ष 1998 में भाजपा को दिल्ली की सत्ता गंवानी पड़ी थी। प्याज फिर उसी राह पर है, जब दिल्ली समेत छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे राजनीतिक दलों के माथे की सिलवटें मोटी होने लगी हैं। देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी नासिक में मंगलवार को प्याज का थोक भाव 50 रुपये और लासलगांव में 45 रुपये प्रति किलो बोला गया। नासिक स्थित राष्ट्रीय प्याज अनुसंधान विकास फाउंडेशन के प्रमुख सीबी होल्कर ने 'दैनिक जागरण' को बताया कि आने वाले दो महीने तक कीमतों के कम होने की संभावना नहीं है। इससे उपभोक्ताओं की तकलीफ बढ़ सकती है।
पिछले साल सूखे की वजह से जहां प्याज का उत्पादन कम हुआ था, वहीं इस साल प्याज की रोपाई का रकबा भी कम रहा है। सितंबर के आखिर और अक्टूबर में आने वाली फसल भी बहुत कम आंकी गई है। आंध्र प्रदेश में प्याज की नई फसल आ गई है। यहां रोजाना डेढ़ सौ ट्रक प्याज निकल रहा है। मगर सारी फसल तमिलनाडु और केरल जा रही है। कर्नाटक में प्याज की नई फसल सितंबर के आखिर तक आनी शुरू होगी, लेकिन वहां फसल अच्छी नहीं है। बारिश से फसल प्रभावित हुई है।
नासिक में प्याज की कीमतें अक्टूबर के पहले सप्ताह तक सामान्य हो सकती है। उस समय तक वहां पूना की फसल की आवक शुरू हो जाएगी। यहां की मंडी में प्याज का स्टॉक जहां सात लाख टन होना चाहिए था, वह घटकर एक लाख टन पर सिमट गया है। केंद्रीय बागवानी आयुक्त डॉक्टर गोरख सिंह को प्याज की कीमतों में आई तेजी का कोई तुक नजर नहीं आता। उनके हिसाब से पैदावार में कोई कमी नहीं है। खरीफ की बुवाई को भी उन्होंने संतोषजनक करार दिया है। वहीं, प्याज कारोबार से जुड़े व्यापारियों के मुताबिक सरकार बिना किसी आकलन के निर्यात के फैसले लेती रहती है। यह उसी का नतीजा है। प्याज की खेती के रकबे और उत्पादन के आंकड़ों पर उन्हें यकीन नहीं है।
13 अगस्त 2012 को भाव
प्याज- 16 रुपये किलो
टमाटर- 30 रुपये किलो
आलू- 20 रुपये किलो
दूध- 29 रुपये प्रति लीटर
नमक- 13 रुपये किलो
13 अगस्त 2013 को भाव
प्याज- 65 से 75 रुपये किलो
टमाटर- 44 रुपये किलो
आलू- 22 रुपये किलो
दूध- 32रुपये प्रति लीटर
नमक- 16 रुपये किलो

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