आर्थिक प्रबंधन पर राजन की सरकार को दो टूक
आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन ने रेपो रेट में कटौती कर भले ही संकेत दिए हों कि ब्याज दरों को लेकर उनके विचार वित्त मंत्रालय से मेल खाते हैं, लेकिन अर्थव्यवस्था के समझ जो चुनौतियां उन्होंने गिनाई हैं उससे तस्वीर का दूसरा पहलू ही सामने आता है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन ने रेपो रेट में कटौती कर भले ही संकेत दिए हों कि ब्याज दरों को लेकर उनके विचार वित्त मंत्रालय से मेल खाते हैं, लेकिन अर्थव्यवस्था के समझ जो चुनौतियां उन्होंने गिनाई हैं उससे तस्वीर का दूसरा पहलू ही सामने आता है।
साल की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए राजन के भाषण का 'टोन' कई जगह राजग सरकार के आर्थिक प्रबंधन पर सवाल उठाने वाला है। राजन ने खराब मानसून, कृषि और निर्यात क्षेत्र की स्थिति, खाद्यान्न प्रबंधन और औद्योगिक सुस्ती को लेकर सरकार को आईना दिखाने का काम किया है।
समीक्षा करने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजन ने कहा कि ब्याज दरों को कटौती करने का फायदा अर्थव्यवस्था को तभी होगा, जब सरकार की नीति भी मांग और निवेश को बढ़ाने वाली हो। इसी तरह महंगाई पर सरकार को अपने खाद्यान्न प्रबंधन को लेकर और चौकस रहने की जरूरत है, क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों में अगर तेजी आती है तो मौजूदा अनुमान गलत भी साबित हो सकते हैं।
साथ ही बीज, खाद की समय पर आपूर्ति करने, फसल बीमा व समय पर पर्याप्त कर्ज देने को लेकर भी ठोस कदम उठाने की दरकार है। राजन ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर भी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि खाद्य क्षेत्र में महंगाई को रोकने के लिए इस पर लगाम लगाना भी जरूरी है।
औद्योगिक उत्पादन को लेकर हाल ही में सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों को लेकर भी गवर्नर के विचार खास उत्साहजनक नहीं है। पिछले हफ्ते जारी आर्थिक विकास दर के आंकड़ों में मैन्यूफैक्चरिंग के 7.2 फीसद की रफ्तार से बढ़ने की बात कही गई है।
जबकि राजन ने मंगलवार को कहा है कि औद्योगिक क्षेत्र की स्थिति संतोष से परे है। कुछ क्षेत्रों से सुस्ती टूटती दिख रही है, लेकिन अधिकांश जगह क्षमता से कम उत्पादन हो रहा है। बिजली क्षेत्र को खास तौर पर समस्याओं से ग्रस्त बताया गया है। बिजली वितरण कंपनियों की स्थिति सुधारने में हो रही देरी पर चिंता जताई गई है। इसी तरह से बैंकिंग क्षेत्र को लेकर सरकार की नीतियों से भी राजन मुतमइन नहीं दिखते हैं। उन्होंने कहा है कि बैंकों को सरकार की तरफ से और ज्यादा फंड दिए जाने चाहिए। सेवा क्षेत्र की तरफ से भी बहुत अच्छे संकेत नहीं मिल रहे हैं।
खुदरा महंगाई दर के पांच फीसद पर सिमट आने पर आरबीआइ गवर्नर ने खुशी जताई है, लेकिन यह भी कहा है कि इसके भविष्य को लेकर निश्चिंत नहीं हुआ जा सकता। यही वजह है कि उन्होंने साफ कह दिया कि ब्याज दरों में अगली कटौती तभी होगी, जब सरकार बेहतर प्रबंधन करे और पर्याप्त मानसूनी बारिश हो।
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