सर्च करे
Home

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बैंकों को चूना लगाने वालों की खैर नहीं, सबको पकड़ेगी सीबीआइ

    By Edited By:
    Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

    बैंकों से कर्ज लेकर जान बूझकर नहीं लौटाने वालों के खिलाफ सीबीआइ जांच बहुत जल्द ही रफ्तार पकड़ने जा रही है। वित्त मंत्रालय हर बैंक के ऐसे तीस सबसे बड़े ग ...और पढ़ें

    Hero Image

    जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। बैंकों से कर्ज लेकर जान बूझकर नहीं लौटाने वालों के खिलाफ सीबीआइ जांच बहुत जल्द ही रफ्तार पकड़ने जा रही है। वित्त मंत्रालय हर बैंक के ऐसे तीस सबसे बड़े ग्राहकों की सूची बहुत जल्द ही सीबीआइ को सौंपने जा रहा है। वित्त मंत्रलय इस श्रेणी में आने वाले ग्राहकों से संबंधित हर जानकारी एकत्रित कर रहा है। इसे बहुत जल्द ही सीबीआइ को सौंप देगा। इन सभी कर्जदारों के पास काफी लंबे समय से बैंकों के करीब 61 हजार करोड़ रुपये फंसे हुए हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सूत्रों के मुताबिक, सरकारी क्षेत्र के नौ बैंक ऐसे हैं जिनके 30 सबसे बड़े एनपीए खाताधारकों के पास कुल फंसे कर्ज (एनपीए) का 50 से 73 फीसद हिस्सा फंसा हुआ है। इनमें बैंक ऑफ इंडिया, आंध्रा बैंक, पंजाब व सिंध बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, कॉरपोरेशन बैंक, इंडियन बैंक, विजया बैंक और यूको बैंक शामिल है। सबसे पहले उक्त नौ बैंकों के शीर्ष 30 एनपीए खाताधारकों के बारे में जानकारी दी जाएगी।

    सीबीआइ न सिर्फ समय पर कर्ज नहीं लौटाने वाले शीर्ष 20 ग्राहकों के बारे में जांच करेगी, बल्कि यह भी देखेगी कि इन ग्राहकों को कर्ज देने या उन पर बकाया कर्ज की राशि को पुनर्गठित करने में कायदे-कानून का सही तरीके से पालन किया गया है या नहीं। इन बैंकों के अलावा भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ), सिंडिकेट बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र के कुल फंसे कर्ज में शीर्ष 30 ग्राहकों की हिस्सेदारी भी काफी है। इनके बारे में बाद में सीबीआइ को आवश्यक सूचनाएं दी जाएंगी। वित्त मंत्रलय ने कुछ महीने पहले ही बैंकों से कर्ज लेकर नहीं लौटाने वाले मामलों की जांच सीबीआइ से करवाने का फैसला किया था। लेकिन अब जाकर जांच शुरू हो पाएगी।

    दरअसल, वित्त वर्ष 2012-13 के दौरान यह देखने को आया है कि बैंकों के कुल एनपीए यानी फंसे कर्जो में सबसे बड़े 30 ग्राहकों की हिस्सेदारी काफी बढ़ गई है। इससे सरकार को संदेह हुआ। मार्च, 2012 को समाप्त वित्त वर्ष में सरकारी बैंकों के कुल एनपीए में ऐसे शीर्ष ग्राहकों की हिस्सेदारी 34.5 फीसद थी। यह मार्च, 2013 को समाप्त वित्त वर्ष में बढ़कर 39.7 फीसद हो गई।

    सीबीआइ यह भी जांच करेगी कि एक बार एनपीए की श्रेणी में आने के बाद ग्राहक से बकाया कर्ज की वसूली के लिए बैंकों के स्तर पर क्या कदम उठाए गए हैं। देखने में आया है कि बैंक ऐसे ग्राहकों को कर्ज अदायगी में ज्यादा समय देने में काफी दरियादिली दिखा रहे हैं। जितना कर्ज वसूल नहीं होता उससे ज्यादा बट्टे खाते में डाल दिया जाता है।

    बिजनेस से जुड़ी हर जरूरी खबर, मार्केट अपडेट और पर्सनल फाइनेंस टिप्स के लिए फॉलो करें