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    बल्क ड्रग पार्क पर अब तक नहीं बढ़े कदम, संबंधित राज्यों का नहीं हो पाया है चयन, 2023 से शुरू होना है उत्पादन

    By NiteshEdited By:
    Updated: Fri, 06 Aug 2021 08:19 AM (IST)

    पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान चीन से बल्क ड्रग की सप्लाई चेन प्रभावित होने पर देश में ही बल्क ड्रग के उत्पादन को बढ़ाने के प्रयास शुरू किए गए जिसके तहत फार्मा पार्क बनाने का फैसला किया गया था।

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    4000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की गई थी

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में दवाओं के कच्चे माल यानी बल्क ड्रग के उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए सरकार ने पिछले साल तीन बल्क ड्रग पार्क शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन अब तक इन पर कोई फैसला नहीं हो पाया है। तीन पार्क के लिए 3000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी जानी है। बल्क ड्रग के मामले में भारत काफी हद तक आयात पर निर्भर है। तीन बल्क ड्रग पार्क के साथ चार मेडिकल उपकरण पार्क के लिए भी 4000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की गई थी।

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    दवा उद्यमियों ने बताया कि इस स्कीम के तहत वर्ष 2023 से बल्क ड्रग का उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य है, लेकिन अब तक पार्क किन-किन राज्यों में बनेंगे, इसे लेकर ही कोई अंतिम फैसला नहीं हो पाया है। पार्क के निर्माण के लिए राज्यों के चयन के बाद उसे विकसित करने में कम से कम डेढ़ से दो साल का समय लग जाएगा। इस स्कीम की अवधि छह साल की है। बल्क ड्रग पार्क के निर्माण के लिए सरकार ने राज्यों से आवेदन मांगे थे। जो राज्य पार्क लगाने के लिए अधिक से अधिक सुविधा देगा, वहां में पार्क लगाने के लिए केंद्र की तरफ से वित्तीय सहायता दी जाएगी।

    सुविधाओं की श्रेणी को लेकर केंद्र की तरफ से सूची बनाई गई है। सूत्रों के मुताबिक, बल्क ड्रग और मेडिकल उपकरण पार्क के लिए 17 राज्यों ने केंद्र के समक्ष अपनी दिलचस्पी दिखाई है। इनमें हिमाचल, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा मानी जा रही है। उद्यमियों ने बताया कि उन्होंने सरकार से पहले से काम कर रही बल्क ड्रग इकाइयों को ही इस स्कीम के तहत आर्थिक सहायता देने की मांग की थी। ऐसा होने पर पहले से काम कर रही या बंद पड़ी बल्क ड्रग इकाइयों में उत्पादन का काम आरंभ हो जाता।

    पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान चीन से बल्क ड्रग की सप्लाई चेन प्रभावित होने पर देश में ही बल्क ड्रग के उत्पादन को बढ़ाने के प्रयास शुरू किए गए, जिसके तहत फार्मा पार्क बनाने का फैसला किया गया था। मेडिकल उपकरण के मामले में भी भारत अपनी कुल खपत का 60 फीसद से अधिक आयात करता है।

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