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    'Gensol के पुणे EV प्लांट में नहीं हो रहा था उत्पादन, सिर्फ दो-तीन मजदूर मिले'; SEBI का खुलासा

    सेबी ने कहा कि पुणे स्थित जेनसोल इंजीनियरिंग के इलेक्टि्रक वाहन (ईवी) संयंत्र में किसी प्रकार के निर्माण का कोई सबूत नहीं मिला है। सेबी ने कहा कि एक अधिकारी ने इस संयंत्र का दौरा किया था। मौके पर केवल दो तीन मजदूर ही मिले। 15 अप्रैल को जारी किए गए सेबी के अंतरिम आदेश में जानकारी आई सामने। जेनसोल पर शेयर मूल्य में हेरफेर का आरोप लगा है।

    By Agency Edited By: Abhinav Tripathi Updated: Sun, 20 Apr 2025 06:00 PM (IST)
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    Gensol के पुणे EV प्लांट में नहीं हो रहा था उत्पादन। (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा है कि जब नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के एक अधिकारी ने पुणे स्थित जेनसोल इंजीनियरिंग के इलेक्टि्रक वाहन (ईवी) संयंत्र का दौरा किया तो उन्हें वहां किसी तरह का कोई निर्माण देखने को नहीं मिला।

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    उन्होंने कहा कि वहां केवल दो-तीन मजदूर मौजूद थे। ये जानकारी जून, 2024 में प्राप्त एक शिकायत के बाद 15 अप्रैल को जारी किए गए सेबी के अंतरिम आदेश का हिस्सा थे, जिसमें जेनसोल के शेयर मूल्य में हेरफेर और धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था।

    सेबी ने क्या कहा? 

    सेबी ने कहा कि यह पाया गया कि संयंत्र में किसी तरह की निर्माण गतिविधि नहीं हो रही थी और केवल दो से तीन मजदूर वहां थे। नौ अप्रैल को जब एनएसई अधिकारी ने वहां का दौरा किया तो बिजली बिलों का विवरण मांगा और यह पाया कि पिछले 12 महीनों के दौरान बिल की गई अधिकतम राशि दिसंबर, 2024 के लिए 1,57,037.01 रुपये थी।

    संयंत्र स्थल पर नहीं मिले निर्मांण के कोई सबूत

    सेबी ने 15 अप्रैल को जारी अपने अंतरिम आदेश में कहा कि इसलिए, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि संयंत्र स्थल पर किसी तरह का कोई निर्माण नहीं हुआ। यह पट्टे पर दी गई थी संपत्ति है। यह दौरा 28 जनवरी, 2025 को जेनसोल द्वारा शेयर बाजारों को दी गई उस घोषणा के बाद किया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि उसे भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो-2025 में प्रदर्शित अपनी नई पेश की गई ईवी की 30,000 इकाइयों के लिए आर्डर मिले हैं।

    हालांकि, कंपनी द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों की समीक्षा करने पर, सेबी ने पाया कि ये आर्डर 29,000 कारों के लिए नौ संस्थाओं के साथ किए गए समझौता ज्ञापन (एमओयू) थे। ये एमओयू इच्छा की अभिव्यक्ति की प्रकृति के थे, जिनमें वाहन की कीमत या डिलिवरी का कोई उल्लेख नहीं था।

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