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    Option trading: बदलने जा रहा एक्सपायरी का दिन, गुरुवार की जगह इस दिन हो सकती है निफ्टी की एक्सपायरी

    Updated: Thu, 22 May 2025 03:01 PM (IST)

    Nifty expiry change आने वाले समय में हो सकता है कि डेरिवेटिव ट्रेडिंग में निफ्टी इंडेक्स गुरुवार की जगह मंगलवार को ही एक्सपायर हो जाए और इसी तरह बैंक निफ्टी भी सोमवार की जगह मंगलवार को एक्सपायर हो। दरअसल बाजार नियामक सेबी हर शेयर बाजार के लिए इंडेक्स एक्सपायरी के लिए एक दिन करना चाहता है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एनएसई ने अपने लिए मंगलवार का दिन मांगा है।

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    बदलने जा रहा एक्सपायरी डे, गुरुवार की जगह इस दिन हो सकती है निफ्टी की एक्सपायरी

     नई दिल्ली। Option trading करने वाले ट्रेडर्स के लिए एक बड़ी खबर है। बाजार नियामक सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) जल्द ही अलग-अलग शेयर बाजार के लिए इंडेक्स एक्सपायरी डे अलग-अलग कर सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हाल ही में सेबी की सेकेंडरी मार्केट एडवाइजरी कमेटी की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी और नियामक जल्द ही इससे जुड़ा आदेश जारी कर सकता है।

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    मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, देश के सबसे बड़े शेयर बाजार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने मंगलवार को अपने एक्सपायरी डे के रूप में चुना है। सेबी इसके लिए मंजूरी देने पर विचार कर सकता है। पहले सेबी के कंसल्टेशन पेपर में मंगलवार और गुरुवार को एक्सपायरी डे के रूप में रखने का सुझाव दिया गया था।

    मालूम हो, डेरिवेटिव सौदों के वॉल्यूम के मामले में एनएसई दुनिया का सबसे बड़ा शेयर बाजार है। निफ्टी इंडेक्स और बैंक निफ्टी ट्रेडर्स के बीच सबसे पॉपुलर कांट्रैक्ट हैं। निफ्टी इंडेक्स की वीकली एक्सपायरी हर गुरुवार को होती है, जबकि निफ्टी इंडेक्स की मंथली एक्सपायरी महीने के आखिरी गुरुवार को होती है।

    बता दें, option trading में रिटेल निवेशकों को भारी नुकसान होने की रिपोर्ट के बाद सेबी ने इसमें कमी लाने के लिए बीते दिनों कई कदम उठाए थे। रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की मानें तो इन कदमों से इंडेक्स डेरिवेटिव्स और ऑप्शन वॉल्यूम में कम आई है।

    रेटिंग एजेंसी ने कहा कि नवंबर 2024 से सेबी द्वारा चरणबद्ध तरीके से उठाए गए कदमों से इंडेक्स ऑप्शन में ट्रेडिंग गतिविधि में तेज गिरावट आई है।

    दिसंबर 2024 और मार्च 2025 के बीच, औसत दैनिक प्रीमियम टर्नओवर अप्रैल-नवंबर 2024 की तुलना में 18 फीसदी कम हो गया। जबकि, इस दौरान ट्रेड किए गए ऑप्शन कांट्रैक्ट की संख्या में 60 फीसदी की गिरावट आई थी।