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मोटर व्हीकल एक्ट का नहीं ITR से कोई संबंध, जानें वायरल हो रही खबर का सच

अगर व्यक्ति नौकरीपेशा है और अगर उसकी मौत सड़क दुर्घटना में होती है तो उसका परिवार ट्रिब्यूनल में मुआवजे का दावा कर सकता है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Tue, 03 Apr 2018 03:30 PM (IST)Updated: Wed, 04 Apr 2018 08:04 AM (IST)
मोटर व्हीकल एक्ट का नहीं ITR से कोई संबंध, जानें वायरल हो रही खबर का सच

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। सोशल मीडिया (फेसबुक और व्हाट्सएप) पर इन दिनों एक मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें कहा जा रहा है कि अगर किसी नौकरी पेशा व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में मौत होती है तो सरकार उसके परिवार को मुआवजा देने के लिए बाध्य है। जबकि यह खबर पूरी तरह से गलत और फेक है। इस खबर में सेक्शन 166 का हवाला दिया गया है। हम अपनी इस खबर में आपको इसके बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं।

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क्या लिखा गया है मैसेज में: व्हाट्सएप पर वायरल किए गए इस मैसेज में कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में मृत्यु होती है और अगर वह व्यक्ति पिछले तीन वर्षों से लगातार इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर रहा था तो उसकी पिछले तीन साल की औसत सालाना आमदनी की दस गुना राशि उस व्यक्ति के परिवार को देने के लिए सरकार बाध्य है। इस मैसेज में यह भी कहा गया है कि यह मोटर वाहन अधिनियम 1988 (एमवी अधिनियम) के एक विशेष खंड और संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आधारित है। हालांकि ये दोनों ही दावे झूठे हैं। हम आपको इसकी पूरी व्याख्या करके बताते हैं।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट: फाइनेंशियसल प्लानर जितेंद्र सोलंकी ने बताया कि दरअसल सड़क दुर्घटना होने की सूरत में परिवार को मुआवजा मिलने के लिए मरने वाले व्यक्ति की ओर से आईटीआर भरे जाने या फिर न भरे जाने का कोई लेना देना नहीं है। अगर व्यक्ति नौकरीपेशा है और अगर उसकी मृत्यु सड़क दुर्घटना में होती है तो उसका परिवार ट्रिब्यूनल में मुआवजे का दावा कर सकता है। इसके बाद ट्रिब्यूनल तय करेगा कि परिवार को मुआवजा दिया जाना चाहिए या नहीं और दिया जाना चाहिए तो कितना। हालांकि आप ट्रिब्यूनल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। ट्रिब्यूनल के फैसलों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ मामलों की सुनवाई के बाद एक थंब रूल निकाला है। इसमें उम्र के आधार पर तय किया है कि किसे कितना मुआवजा दिया जा सकता है। इसकी गणना इस आधार पर की जाती है कि अगर कोई व्यक्ति निश्चित पीरियड तक जिंदा रहता तो कितना कमा लेता। यानी अगर व्यक्ति की मौत 40 की उम्र में हो गई है तो वो 60 की उम्र तक कितना पैसा कमा लेता। इसी के आधार पर मुआवजा तय होता है।

क्या कहता है एमवी एक्ट का सेक्शन 166: यह एक्ट बताता है कि मुआवजे के लिए आवेदन कैसे किया जाना है। इसमें यह बताया जाता है कि मुआवजे के लिए आवेदन किया जा सकता है या नहीं। यानी जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई है उसे लिए उसका परिवार मुआवजे के लिए एप्लीकेशन दाखिल कर सकता है या फिर नहीं। आवेदकों को यह दावा एक वाजिब मोटर व्हीकल एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (एमएसीटी) में दाखिल करना होगा।


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