ऑनलाइन गेमिंग के नए टीडीएस प्रावधानों से यूजर्स और इंडस्ट्री के लिए नई चुनौतियां पैदा होने की आशंका: रिपोर्ट
केंद्रीय बजट 2023 में वित्त मंत्री ने ऑनलाइन गेमिंग पर टीडीएस के लिए एक अलग नए खंड 194बीए की घोषणा की। नए खंड के अंतर्गत ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म से शुद्ध जीत पर 30% टीडीएस कटौती किए जाने की अपेक्षा है। नेट जीत की गणना अलग से की जाएगी।
2 मार्च, 2023: करारोपण में विशेषज्ञता रखने वाली प्रमुख संपूर्ण-सेवा भारतीय विधिक फर्म, लक्ष्मीकुमारन एंड श्रीधरन (एलकेएस) ने एक रिपोर्ट में यूनियन बजट 2023 में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के लिए घोषित प्रस्तावित टीडीएस परिवर्तनों का विश्लेषण किया है। इसमें ऑनलाइन गेमिंग के प्रत्यक्ष करारोपण को स्पष्ट करने के लिए सरकार की पहल का स्वागत किया गया है और संभावित चुनौतियों, उपयोगकर्ताओं और उद्योग पर उनके प्रभाव को उजागर किया गया है एवं उन्हें संबोधित करने के लिए समाधान प्रस्तावित किया गया है।
अब तक ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में धारा 194बी के तहत जीत पर टीडीएस में कटौती की जा रही थी, जिसमें 10,000 रुपये प्रति गेम की सीमा थी, जिसके बाद 30%की दर से कर लगाया जाता था। केंद्रीय बजट 2023 में, वित्त मंत्री ने ऑनलाइन गेमिंग पर टीडीएस के लिए एक अलग नए खंड 194बीए की घोषणा की। नए खंड के अंतर्गत, ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म से शुद्ध जीत पर 30% टीडीएस कटौती किए जाने की अपेक्षा है। 'नेट जीत' की गणना अलग से निर्धारित की जाएगी।
यह उद्योग के लिए एक स्वागतयोग्य कदम है, लेकिन इसने एक पहेली भी बना दी है। इसका कारण यह है कि धारा 194बी में संशोधन 01 अप्रैल, 2023 से शुरू हो रहा है, लेकिन नई धारा 194बीए 01 जुलाई, 2023 को लागू हो रही है।
इसका अनिवार्य रूप से मतलब है कि अप्रैल 01- 30 जून, 2023 के बीच 3 महीने की अवधि के लिए, ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को संशोधित 194बी का पालन करना होगा और तीन महीनों के भीतर दो अलग-अलग अनुपालन ढांचा परिवर्तनों से गुजरना होगा। यह उपयोगकर्ताओं के लिए बहुत बड़ा भ्रम और उद्योग के लिए एक बड़ी अनुपालन चुनौती पैदा कर सकता है।
व्यवस्था | समय-सीमा |
वर्तमान - जीत पर कर कटौती के लिए प्रति गेम आधार पर 10,000 रुपये की सीमा है | 31 मार्च, 2023 को समाप्त हो रही है |
नया - सीमा हटा दी गई है और वित्तीय वर्ष में शुद्ध जीत पर टीडीएस की गणना किए जाने का प्रस्ताव है | 1 जुलाई, 2023 से प्रभावी |
अंतरिम - जीत पर कर कटौती के लिए वित्तीय वर्ष के आधार पर 10,000 रुपये की सीमा है | 1 अप्रैल, 2023 - 30 जून, 2023 तक प्रभावी |
रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए, एलकेएस के कार्यकारी पार्टनर, एल बद्री नारायणन ने कहा, "जबकि नए प्रस्तावित टीडीएस परिवर्तन ऑनलाइन गेमिंग के लिए अत्यावश्यक मान्यता लाते हैं, लेकिन अनुपालन जटिलताएं चुनौती पैदा करती हैं। एक ही वित्तीय वर्ष में दो अलग-अलग कर कटौती लागू किए जाने से उन खिलाड़ियों के लिए बड़े पैमाने पर भ्रम पैदा हो सकता है। यह ओजीआईएस द्वारा रिपोर्ट की गई जीत और उपयोगकर्ताओं की वास्तविक कर योग्य शुद्ध जीत के बीच बेमेल हो सकता है। 20+ करोड़ ऑनलाइन गेमिंग खिलाड़ियों के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता की आवश्यकता होगी, जो एक कठिन काम होगा।”
उन्होंने आगे कहा, "ऐतिहासिक रूप से, जब इस तरह के बदलाव किए जाते हैं, तो केवल एक व्यवस्था परिवर्तन को लागू करने के लिए पर्याप्त समय की अनुमति दी जाती है। सरकार को आदर्श रूप से उनकी चिंताओं को समझने और तदनुसार नियमों को सूचित करने के लिए उद्योग परामर्श का संचालन करना चाहिए।”
रिपोर्ट के अनुसार, इन संभावित मुद्दों का प्रस्तावित समाधान यह होगा कि धारा 194बी में सीमा संशोधन को 1 जुलाई, 2023 से सुचारू संक्रमण के लिए लागू किया जाना चाहिए जैसा कि पहले संशोधनों के लिए किया गया है। यह भी महत्वपूर्ण है कि वित्तीय वर्ष के अंत में उपयोगकर्ताओं के लिए टैक्स रिटर्न फाइलिंग प्रक्रिया सहज बनी रहे। रिपोर्ट में कुछ सिद्धांतों का भी प्रस्ताव है जो इन संशोधनों को लाने के इरादे को दर्शाते हुए, शुद्ध जीत की गणना के लिए अपनाया जा सकता है।
सरकार और उद्योग इस उदीयमान क्षेत्र के लाभों को प्राप्त कर सकते हैं, बशर्ते सभी चिंताओं को समग्र तरीके से हल किया जाए। भारत ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में अग्रणी देश के रूप में उभरा है और इस उद्योग का राजस्व में 22,000 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान है। 38%की अनुमानित मिश्रित वार्षिक विकास दर (सीएजीआर) के साथ, इस उद्योग में "मेक इन इंडिया" और "ब्रांड इंडिया" विजन को सशक्त बनाने की क्षमता है।
लक्ष्मीकुमारन एंड श्रीधरन के बारे में
लक्ष्मीकुमारन एंड श्रीधरन (LKS) एक प्रीमियम फुल सर्विस इंडियन लॉ फर्म है। ये कॉर्पोरेट और M&A/PE, विवादों के निस्तारीकरण, कराधान और बौद्धिक सम्पत्ति के क्षेत्र में विशिष्ट योग्यता प्राप्त लॉ फर्म है। इस फर्म के देश भर में 14 से ज्यादा ऑफिस हैं और ये मुकदमेबाजी और कॉमर्शियल लॉ से जुड़े मुद्दे को संभालते हैं व देश व विदेश में अपने ग्राहकों को सलाह देने और उनका प्रतिनिधित्व करते हैं। इस फर्म ने अबतक विभिन्न फोरम में 30,000 से ज्यादा मुकदमे देखे हैं, जिसमें से 2000 से ज्यादा केस देश के सुप्रीमकोर्ट में थे। पिछले 37 सालों में इस फर्म के 15,500 से ज्यादा ग्राहक रह चुके हैं, जिसमें स्टार्ट अप, छोटे व लघु उद्योगों के साथ-साथ देश व विदेश की बड़ी और मल्टीनेशनल कम्पनियां भी शामिल हैं।
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