New Income Tax Bill 2025 में प्रॉपर्टी टैक्स को लेकर क्या-क्या बदला? आप पर कैसे करेगा असर
कल 11 अगस्त को लोकसभा में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने New Income Tax Bill 2025 पेश किया। इसे लगभग 3 मिनट के अंतर्गत लोकसभा में पास कर दिया गया था। ये बिल जल्द पुराने नियम Income Tax Act 1961 की जगह ले सकता है। इस बिल के तहत प्रॉपर्टी टैक्स (Property Tax) को लेकर कई सुझाव दिए गए हैं। आइए इनके बारे में एक-एक करके बात करें।

नई दिल्ली। देश में बहुत जल्द एक महत्वपूर्ण कानून में संशोधन आने वाला है। कल 11 अगस्त को लोकसभा में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने New Income Tax Bill 2025 पेश किया था। इसे लगभग 3 मिनट के अंतर्गत लोकसभा में पास कर दिया गया। राज्यसभा से पास होने और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ये बिल नया कानून बनकर आएगा।
New Income Tax Bill 2025, पुराने नियम Income Tax Act 1961 को बदलने जा रहा है। इस बिल में प्रॉपर्टी टैक्स को लेकर कई बदलाव किए जाएंगे। आइए इसके बारे में जानते हैं।
Property Tax को लेकर क्या-क्या बदलेगा?
- पहले के नियमों ये स्पष्ट नहीं था कि 30 फीसदी डिडक्शन कब क्लेम करना है। अब नए बिल में ये स्पष्ट किया गया है कि Municipal Taxes के बाद 30% तक डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। ये बदलाव समिति द्वारा सुझाव किया गया था। समिति के अनुसार आयकर अधिनियम 1961 की धारा 23 और 24 को और स्पष्ट होनी चाहिए।
- Pre construction interest (ऐसा लोन ब्याज जो मकान बनाने से पहले दिया जा रहा हो) मिलने वाला डिडक्शन दोनों पर अप्लाई होगा, फिर चाहे खुद का मकान हो या किराए पर लिया गया हो।
- ऐसी बिजनेस प्रॉपर्टी जिनका इस्तेमाल न हो रहा हो या लंबे से खाली हो, उन पर टैक्स नहीं लिया जाएगा।
- Clause 20 ये सुनिश्चित करता है कि मकान से होने वाली कमाई टैक्स दायरे के अंतर्गत आएगी, सिर्फ तब नहीं आएगी जब प्रॉपर्टी का इस्तेमाल प्रोफेशनल यूज के लिए हो रहा हो।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
युजेन इंफ़्रा के डायरेक्टर,अमित ममगाँई कहते हैं कि New Income Tax Bill, 2025 की मंज़ूरी, संपत्ति कराधान में पारदर्शिता के लिए एक बड़ी जीत है। विशेष रूप से धारा 22 दो ऐसे पुराने अस्पष्ट मुद्दों को संबोधित करती है, जिनसे मकान मालिक और निवेशक लंबे समय से उलझन में थे। इसमें साफ़ कहा गया है कि अब 30% का मानक कटौती (Standard Deduction) नगर निगम कर (Municipal Taxes) घटाने के बाद की शुद्ध वार्षिक मूल्य (Net Annual Value) पर लागू होगी। यानी कानून ने उस व्यवस्था को औपचारिक रूप से मान्यता दी है, जिसे सालों से अपनाया जा रहा था। इससे न्याय और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
आम आदमी के लिए क्या बदला?
टैक्स स्लेब को लेकर कोई भी बदलाव नहीं हुआ। न्यू टैक्स रिजीम और ओल्ड टैक्स रिजीम को लेकर टैक्स स्लेब पहले जैसा ही है।
इनकम टैक्स या टैक्स नियम को आसान भाषा में करना, ताकि वे आम जनता को समझ आ सके।
अब Assessment year या Pervious Year की जगह Tax year का उपयोग होगा, ताकि टैक्सपेयर्स को आईटीआर फाइल करते वक्त परेशानी न हो।
आईटीआर फाइल चाहे डेडलाइन के बाद किया हो, लेकिन रिफंड मिलने में परेशानी नहीं होगी। ऐसे सभी clause को हटाया जाएगा, जो इसे सपोर्ट नहीं करते।
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