धीरे-धीरे सभी सब्सिडी को तर्कसंगत करने की जरूरत : जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2015-16 के आम बजट से पहले सोमवार को कहा कि हर तरह की सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने और नीतियों में स्थिरता सुनिश्चित करने की जरूरत है, ताकि निवेश आकर्षित हो और वृद्धि को प्रोत्साहित किया जा सके।
चेन्नई। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2015-16 के आम बजट से पहले सोमवार को कहा कि हर तरह की सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने और नीतियों में स्थिरता सुनिश्चित करने की जरूरत है, ताकि निवेश आकर्षित हो और वृद्धि को प्रोत्साहित किया जा सके।
मंत्री ने सीआइआइ के एक समारोह में कहा कि एक जनवरी से एलपीजी सब्सिडी बैंकों के जरिए दी जाएगी, हमें हर संभव धीरे-धीरे सब्सिडी को तर्कसंगत बनाना है। उम्मीद है कि सरकार पूर्व आरबीआइ गवर्नर विमल जालान की अध्यक्षता वाले व्यय वित्त आयोग के सुझाव को 2015-16 के बजट प्रस्तावों में शामिल कर सकती है। माना जा रहा है कि जालान ने अपनी अंतरिम सिफारिशें वित्त मंत्रालय को सौंप दी हैं जिसमें सब्सिडी और सार्वजनिक व्यय को तर्कसंगत बनाने का सुझाव दिया गया है।
सरकार का तेल, उर्वरक आदि से जुड़ा सब्सिडी बिल लाखों करोड़ रुपये का है। जेटली ने कर और अन्य नीतियों में स्थिरता की जरूरत को भी रेखांकित किया ताकि भारत को निवेश के लिए आकर्षक गंतव्य बनाया जा सके। जेटली ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कार्यान्वयन से देश में कारोबार का माहौल सुधारने में मदद मिलेगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी का विभिन्न राज्यों ने स्वागत किया और नई प्रत्यक्ष कर प्रणाली लागू होने पर उनमें से किसी को भी एक रुपये का भी नुकसान नहीं होगा। भूमि अधिग्रहण कानून में प्रस्तावित बदलाव का हवाला देते हुए जेटली ने कहा कि इससे आखिरकार किसानों को अपनी जमीन की बेहतर कीमत हासिल करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा ग्रामीण बुनियादी ढांचा और औद्योगिकी गलियारे से जमीन की कीमत बढ़ेगी और ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
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