Financial Fraud: 3 साल में आधे भारतीय धोखाधड़ी के शिकार, इन लोगों को बनाया गया निशाना
बीते शुक्रवार को हुए एक सर्वे में जानकारी मिली है कि पिछले तीन साल में 47 प्रतिशत भारतीयों ने एक या एक से अधिक बार वित्तीय धोखाधड़ी का अनुभव किया है। इसमें यूपीआई और क्रेडिट कार्ड सबसे से जुड़े फ्रॉड बहुत आम हैं। लोकलसर्किल्स ने बताया कि 302 जिलों के 23000 उत्तरदाताओं ने घरेलू और/या अंतर्राष्ट्रीय व्यापारियों/वेबसाइटों द्वारा अपने क्रेडिट कार्ड से जुड़े चार्ज पर फ्रॉड का अनुभव किया।

पीटीआई, नई दिल्ली। पिछले 3 साल में करीब आधे भारतीय वित्तीय धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं। लोकल सर्किल्स द्वारा किए गए एक नए सर्वे में पता चला है कि भारत में वित्तीय धोखाधड़ी बुहत आम बात हो गई है। इससे फ्रॉड की चिंताजनक तस्वीर सामने आई है। सर्वे में 302 जिलों के 23,000 उत्तरदाताओं में से करीब आधे (47%) ने पिछले तीन साल में किसी न किसी तरह की वित्तीय धोखाधड़ी के अनुभव की पुष्टि की है।
इन फ्रॉड की घटनाओं में यूपीआई और क्रेडिट कार्ड से जुड़े मामले सबसे ज़्यादा सामने आए है। आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
यूपीआई यूजर निशाने पर
हाल ही में हुए सर्वे में दो मुख्य क्षेत्रों यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) और क्रेडिट कार्ड पर प्रकाश डाला गया है।
क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी: क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी का अनुभव करने वाले आधे से ज़्यादा (53%) उत्तरदाताओं ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय व्यापारियों या वेबसाइटों द्वारा लगाए गए अनधिकृत शुल्कों की सूचना दी है।
यूपीआई धोखाधड़ी: इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले लोगों की एक बड़ी संख्या (36%) ने यूपीआई के जरिए धोखाधड़ी वाले लेन-देन की भी सूचना दी है।
सर्वे में ये बात भी सामने आई है कि कम रिपोर्टिंग दर ने समस्या को और बढ़ा दिया है। लोकलसर्किल्स का अनुमान है कि 10 में से 6 भारतीय अधिकारियों को वित्तीय धोखाधड़ी की सूचना नहीं देते हैं। रिपोर्टिंग की कमी के कारण समस्या के सही पैमाने को ट्रैक करना और उसपर कार्रवाई करना मुश्किल हो जाता है।
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तुरंत कार्रवाई की जरूरत
सर्वे में इस समस्या से निपटने के लिए कुछ उपाय भी बताए गए हैं, जिनकी मदद से आप आसानी से इससे बच सकते हैं। कंज्यूमर की सुरक्षा के लिए मजबूत सुरक्षा उपायों और धोखाधड़ी रोकथाम प्रणालियों को लागू करना जरूरी है।
लोगों के बीच वित्तीय सुरक्षा के सही तरीकों और धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने के जरूरत को लेकर जागरुकता फैलाना ताकि उन्हें खुद की सुरक्षा करने के लिए सशक्त बनाया जा सकें।
RBI के आंकड़ों में दिखा वृद्धि का रुझान
सर्वे में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों पर भी बात की गई है। वित्त वर्ष 24 में धोखाधड़ी के मामलों का कुल आकड़ा 13,930 करोड़ रुपये था, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग आधा है। हालांकि मामलों की संख्या में 166% की चौंका देने वाली वृद्धि देखी गई है।
वित्तीय धोखाधड़ी की बढ़ोतरी और कम रिपोर्टिंग दर को बताते हुए सर्वे में अधिकारियों और नागरिकों दोनों के लिए एक चेतावनी जारी की है। इस बढ़ते खतरे से निपटने के लिए मजबूत सुरक्षा उपायों को लागू करना और जागरूकता बढ़ाना आवश्यक कदम हैं।
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