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    Repo Rate में एक और वृद्धि से उद्योग जगत में चिंता, एमपीसी की तीन दिवसीय बैठक सोमवार को होगी शुरू

    By Jagran NewsEdited By: Devshanker Chovdhary
    Updated: Sun, 04 Dec 2022 09:11 PM (IST)

    महंगाई में नरमी आने के संकेत मिलने के बावजूद अर्थिवदों को उम्मीद है कि बुधवार को जब आरबीआइ के गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास एमपीसी की तीनदिवसीय बैठक में लि ...और पढ़ें

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    Repo Rate में एक और वृद्धि से उद्योग जगत में चिंता।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। महंगाई में नरमी आने के संकेत मिलने के बावजूद अर्थिवदों को उम्मीद है कि बुधवार को जब आरबीआइ के गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास एमपीसी की तीनदिवसीय बैठक में लिए गये फैसलों की घोषणा करेंगे, तो उसमें ब्याज दरों में एक और वृद्धि निश्चित है। अधिकांश जानकार मान रहे हैं कि इस बार वृद्धि ज्यादा नहीं बल्कि 25 से 35 आधार अंकों की होगी। लेकिन इस संभावना से इंडिया इंक बहुत ही ज्यादा चिंतित है।

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    पिछले पखवाड़े वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट पूर्व बैठक में ब्याज दरों के और ज्यादा बढ़ाये जाने के खतरे का मुद्दा उठाया गया तो अब सीआइआइ व एसोचैम जैसे उद्योग चैंबरों ने एक तरह से केंद्र सरकार को यह संदेश भेज दिया है कि कर्ज के और महंगा होने से उनके लिए वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा में टिके रहना मुश्किल हो जाएगा। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक सोमवार से शुरु होगी और 7 दिसंबर को इसके फैसलों की घोषणा होगी।

    कई विशेषज्ञों ने कहा है कि महंगाई थामने के अपने प्रमुख अस्त्र यानी ब्याज दरों में वृद्धि को लेकर एमपीसी का रवैया थोड़ा नरम रहेगा। बैंक आफ बड़ौदा के प्रमुख अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा है कि जीडीपी की ग्रोथ रेट में कमी आने और महंगाई की दर के भी कम होने के परिदृश्य में यह बैठक होने जा रही है। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है रेपो रेट में वृद्धि का सिलसिला जारी रखते हुए एमपीसी इस बार 0.25 से 0.35 फीसद वृद्धि का फैसला करेगा।' एमपीसी जून, 2022 के बाद से अभी तक रेपो रेट को चार फीसद से बढ़ा कर 5.90 फीसद (190 आधार अंकों की वृद्धि) कर चुका है।

    सीआइआइ का कहना है कि वैश्विक अनिश्चितता के घरेलू इकोनामी पर असर को देखते हुए आरबीआइ की ब्याज दरों में कम वृद्धि के विकल्प पर विचार करना चाहिए। 50 आधार अंकों की वृद्धि के तो सीआइआइ पूरी तरह से खिलाफ है। चैंबर ने जुलाई-सितंबर, 2022 के दौरान देश की 2000 से ज्यादा कंपनियों के आर्थिक परिणामों का आकलन करने के आधार पर कहा है कि अधिकांश कंपनियों की बिक्री भी प्रभावित होती दिख रही है और मुनाफा भी। आरबीआइ को इस स्थिति को ध्यान में रखना चाहिए। चूंकि ताजे आंकड़ों में महंगाई की दर भी कम होती दिख रही है, इसलिए भी रेपो रेट वृद्धि को लेकर संयम बरता जा सकता है।

    एक अन्य उद्योग चैंबर एसोचैम ने भी सरकार को यही सुझाव दिया है कि रेपो रेट में 25-35 आधार अंकों की ही वृद्धि की जाए। इससे ज्यादा की वृद्धि भारतीय उद्योग जगत की समस्याओं को और ज्यादा घनीभूत कर सकती हैं। कर्ज के महंगा होने से कारपोरेट सेक्टर पर असर जरूर पड़ता है लेकिन आरबीआइ के ताजे आंकड़ों को देखें तो यह साफ हो जाता है कि मई, 2022 के बाद से ब्याज दरों को महंगा करने के लिए जो उपाय किये गये हैं उसकी वजह से कर्ज की मांग पर कोई असर नहीं हुआ है।

    चालू वित्त वर्ष में 18 नवंबर, 2022 की स्थिति यह है कि बैंकिंग कर्ज में 17.2 फीसद की वृद्धि हुई है जबकि बैंक जमा की दरों में 9.6 फीसद की वृद्दि हुई है। हालांकि पिछले दो पखवाड़ों से कर्ज की रफ्तार में कमी आने के संकेत भी हैं। 18 नवंबर को समाप्त पखवाड़े में कर्ज वितरण की रफ्तार में (पिछले वर्ष की समान अवधि) 0.2 फीसद की वृद्धि हुई है।

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