SIP Calculation: ₹3000, ₹5000 और ₹10,000 निवेश कर कब बनेंगे करोड़पति, देखें पूरा कैलकुलेशन
एसआईपी (Systematic Investment Plan) म्यूचुअल फंड में निवेश का सबसे आसान तरीका है। एसआईपी के जरिए आप म्यूचुअल फंड में किस्तों में पैसे निवेश कर सकते हैं। ये निवेशकों के बीच अपने तगड़े रिटर्न के चलते पॉपुलर है। आज हम जानेंगे कि अगर किसी ने 3000 5000 और 10000 रुपये निवेश किए है तो उसे करोड़पति बनने के लिए कितना निवेश करना होगा।

नई दिल्ली। म्यूचुअल एसआईपी के जरिए कुछ समय निवेश कर, अच्छा खासा फंड तैयार किया जा सकता है। हालांकि इसमें मिलने वाला रिटर्न बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है। म्यूचुअल फंड से न्यूनतम 12 से 14 फीसदी अनुमानित रिटर्न मिलता है।
अगर आप भी म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं, तो नीचे कैलकुलेशन से इसे बेहतर समझ सकते हैं। हमने कैलकुलेशन में तीन अलग-अलग अमाउंट 3000, 5000 और 10,000 रुपये निवेश किए हैं। इसमें अनुमानित रिटर्न 12 फीसदी माना गया है। हालांकि ये लाभ बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है।
कैलकुलेशन
3000 रुपये
अगर कोई व्यक्ति म्यूचुअल फंड एसआईपी में हर महीने 3000 रुपये निवेश करता है, तो 12 फीसदी रिटर्न के हिसाब से उसे करोड़पति बनने के लिए 31 साल तक निवेश करना होगा। 31 साल बाद आपको मैच्योरिटी पर 1,03,90,369 रुपये मिलेंगे। इन सालों में आपने 11,16,000 रुपये निवेश किए हैं, वहीं आपको कुल 92,74,369 रुपये रिटर्न के रूप में मिले हैं।
5000 रुपये
ऐसी ही अगर हर महीने 5000 रुपये निवेश किए जाते हैं, तो 27 सालों बाद करोड़पति बना जा सकता है। 27 सालों में आपने 16,20,000 रुपये निवेश किए है, आपका कुल रिटर्न 91,91,565 रुपये है। इसके साथ ही मैच्योरिटी पर आपको 1,08,11,565 रुपये मिलेंगे।
10,000 रुपये
अगर हर महीने 10 हजार रुपये निवेश किए जाते हैं, तो 12 फीसदी रिटर्न के हिसाब से करोड़पति 21 साल बाद बना जा सकता है। इन 21 सालों में आपको मैच्योरिटी पर 1,04,30,067 रुपये मिलेंगे। वहीं इन सालों में आपकी निवेश राशि 25,20,000 रुपये होगी।
एसआईपी के फायदे
एसआईपी में निवेश करने से कम्पाउंडिंग का फायदा भी मिलता है। इसलिए अगर आप लंबे समय के लिए पैसा निवेश कर रहे हैं, तो आपको एसआईपी का ज्यादा से ज्यादा फायदा मिलता है।
एसआईपी में आप जितना चाहे, उतना निवेश कर सकते हैं। इसमें निवेश करने की कोई सीमा नहीं रखी गई है। हालांकि ये ध्यान रखें की पोर्टफोलियो में डाइवर्सिफिकेशन हो। जिसका मतलब हुआ कि अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश किया हो।
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