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निफ्टी की तुलना में म्युचुअल फंडों की मल्टीकैप कैटेगरी में कम गिरावट, लंबे समय के लिए कर सकते हैं निवेश

बाजार की तुलना में इस कैटेगरी में गिरावट कम आती है। दूसरी ओर जब बाजार में तेजी आती है तो मल्‍टीकैप कैटेगरी का प्रदर्शन तुलनात्‍मक तौर पर बेहतर रहता है।

By Manish MishraEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 01:07 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 06:35 PM (IST)
निफ्टी की तुलना में म्युचुअल फंडों की मल्टीकैप कैटेगरी में कम गिरावट, लंबे समय के लिए कर सकते हैं निवेश

नई दिल्‍ली, बिजनेस डेस्‍क। हाल के समय में शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली है। आर्थिक पैकेज जारी होने के बाद भी बाजार में कोई खास तेजी नहीं दिखी है। लेकिन अगर आप इस तरह के अस्थिर बाजार से बचना चाहते हैं तो आपको म्युचुअल फंडों की मल्टीकैप कैटेगरी का सहारा लेना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि बाजार की तुलना में इस कैटेगरी में गिरावट कम आती है। दूसरी ओर, जब बाजार में तेजी आती है तो मल्‍टीकैप कैटेगरी का प्रदर्शन तुलनात्‍मक तौर पर बेहतर रहता है। 

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विशेषज्ञों की मानें तो म्युचुअल फंड की मल्टीकैप कैटेगरी सभी मार्केट साइकल के लिए उचित है। वैल्‍यू रिसर्च के आंकड़ों के मुताबिक तीन साल में (15 मई 2017-15 मई 2020) निफ्टी-500 की गिरावट 2.29 फीसद रही है। जबकि इसी अवधि में मल्टीकैप कैटेगरी में गिरावट इससे काफी कम रही है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन साल में मल्टीकैप कैटेगरी में प्रमुख म्युचुअल फंड की स्कीम्स में काफी कम गिरावट रही है। इस दौरान महिंद्रा बढ़त योजना में तीन साल में 0.2 फीसद का रिटर्न मिला है। हालांकि कई अन्य फंडों ने इस दौरान निराशाजनक प्रदर्शन किया है। फ्रैंकलिन इंडिया फोकस्ड इक्विटी फंड ने 3.7 फीसद का घाटा दिया है। 

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इसी तरह इसी अवधि में डीएसपी फोकस्‍ड फंड ने 2.8 फीसद का घाटा दिया है। जबकि एडलवाइस मल्टीकैप फंड ने एक फीसद का घाटा दिया है। आईडीएफसी फोकस्ड इक्विटी फंड ने 1 फीसद का घाटा दिया तो यूनियन मल्टीकैप फंड ने 0.9 फीसद का घाटा दिया है। पीजीआईएम इंडिया ने 0.4 फीसद का घाटा दिया है। महिंद्रा बढ़त योजना एक और 3 साल में चौथे रैंक पर रही है।  

महिंद्रा म्युचुअल फंड के एमडी एवं सीईओ आशुतोष बिश्नोई कहते हैं कि मल्‍टीकैप फंड के मामले में कंपनियों के पोर्टफोलियो की पहचान अच्‍छे रिसर्च के साथ की जाती है। केवल उन कंपनियों को पोर्टफोलियो में शामिल किया जाता है, जिनके कारोबार में मजबूत 'कैश फ्लो' की संभावना ज्यादा होती है, और उसमें आगे चलकर वृद्धि की संभावना भी रहती है। ऐसी कंपनियां जिनमें अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में ज्यादा लाभ कमाने की काबलियत हो। वैसी कंपनियां जो लंबे समय तक अपने बिज़नेस में स्थापित रह सकती हैं। वैसी कंपनियां जिन्हें ग्रोथ के लिये बाहरी कैपिटल की आवश्यकता नहीं होती। ऐसी कंपनियों के शेयर अक्सर ऊंचे वैल्यूएशन पर उपलब्ध होते हैं। फिर भी इन में अधिक रिटर्न की बेहतर संभावना होती है।

विश्लेषकों के मुताबिक इक्विटी बाजार का उतार-चढ़ाव बहुत ही अनिश्चितता भरा है। हालांकि, अगर किसी को लंबी अवधि के लिए निवेश करना है तो उसे इक्विटी ओरिएंटेड म्युचुअल फंड की स्कीमों पर फोकस करना चाहिए। क्योंकि इक्विटी वाले म्युचुअल फंड लंबी अवधि में वेल्थ का निर्माण करने में अहम भूमिका निभाते हैं। मिडकैप फंड आमतौर पर हाई क्वालिटी वाले बिजनेस की पहचान कर उनके स्टॉक में निवेश करते हैं। ये फंड ग्रोथ ओरिएंटेड कंपनियों पर फोकस करते हैं।


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