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    Reliance oil Deal: भारतीयों को मिलता रहेगा 'सस्ता तेल', मुकेश अंबानी की रिलायंस ने रूसी कंपनी से की डील

    क्रूड ऑयल के उत्पादक देशों का समूह ओपेक+ (OPEC+) जून 2024 से आगे भी तेल सप्लाई में कटौती जारी रखेगा। इससे दुनियाभर में तेल के दाम बढ़ने की आशंका रहेगी। लेकिन रिलायंस इंडस्ट्रीज की Rosneft के साथ टर्म डील के चलते भारत में जनता को रियायती दर पर तेल उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। सबसे अहम बात की इसमें भुगतान रूसी करेंसी रूबल (roubles) में किया जाएगा।

    By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Tue, 28 May 2024 08:08 PM (IST)
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    रिलायंस मौजूदा वित्त वर्ष में कम से 30 लाख बैरल रूसी तेल का आयात करेगी।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अरबपति कारोबारी मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) ने रूस की तेल कंपनी रोसनेफ्ट (Rosneft) के साथ महत्वपूर्ण डील की है। रिलायंस इस करार के तहत मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2024-25 में कम से 30 लाख बैरल रूसी तेल का आयात करेगी। सबसे अहम बात की इसमें भुगतान रूसी करेंसी रूबल (roubles) में किया जाएगा। यह खबर समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने 4 सूत्रों के हवाले से दी है।

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    रॉयटर्स के मुताबिक, रिलायंस भारत के HDFC Bank और रूस के Gazprombank के जरिए रूसी रूबल से तेल का पेमेंट करने पर सहमत है। हालांकि, पेमेंट सिस्टम के बारे में अभी ज्यादा डिटेल सामने नहीं आई है।

    आम लोगों को मिलेगी राहत?

    क्रूड ऑयल के उत्पादक देशों का समूह ओपेक+ (OPEC+) जून 2024 से आगे भी तेल सप्लाई में कटौती जारी रखेगा। इससे दुनियाभर में तेल के दाम बढ़ने की आशंका रहेगी। लेकिन, रिलायंस इंडस्ट्रीज की Rosneft के साथ टर्म डील के चलते भारत में जनता को रियायती दर पर तेल उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।

    पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) और रूस सहित अन्य सहयोगियों वाले देशों को मिलाकर OPEC+ ग्रुप बना है। यह 2 जून 2024 को एक ऑनलाइन मीटिंग में तेल उत्पादन में कटौती का फैसला लेगा।

    भारत तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक

    भारत का कच्चे तेल का आयात और उपभोग करने के मामले में दुनियाभर में तीसरे नंबर पर है। 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिमी देशों ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के रूस पर कई कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाएं। कई पश्चिमी देशों ने रूस से व्यापार, खासकर तेल और अन्य ऊर्जा संसाधनों की खरीद कम कर दी।

    लेकिन, भारत ने इस मौके का फायदा उठाया। वह अमेरिकी दबाव की परवाह किए बगैर समुद्री रूसी कच्चे तेल (seaborne Russian crude) का सबसे बड़ा खरीदार बन गया। भारत ने रूसी कच्चे तेल के लिए रुपये, दिरहम (dirhams) और यहां तक कि चीन की करेंसी युआन (yuan) में भी पेमेंट किया है।

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