Yashobhoomi में अगले 2 साल में होंगे 200 से भी ज्यादा इवेंट्स, MICE इंडस्ट्री में दोगुनी बढ़ोतरी की उम्मीद
देश के सबसे बड़े सम्मेलन केंद्र यशोभूमि में अगले दो वर्षों के लिए 200 से अधिक प्रदर्शनियों और सम्मेलनों की योजना बनाई गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने 17 सितंबर को अपने जन्मदिन पर दिल्ली के द्वारका में इसका उद्घाटन किया था। वर्तमान में कम कार्यक्रम आयोजित होने की संख्या के कारण भारत का स्थान 28वां है। पढ़िए क्या है पूरी खबर।

नई दिल्ली, एजेंसी: देश के सबसे बड़े कन्वेंशन सेंटर यशोभूमि (Yashobhoomi) में अगले 2 साल में 200 से अधिक प्रदर्शनियों और सम्मेलनों की योजना बनाई गई है।
पीएम मोदी ने 17 सितंबर यानी अपने जन्मदिन पर दिल्ली के द्वारका स्थित इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर (आईआईसीसी) - यशोभूमि का उद्धाटन किया था।
इन सेक्टर से जुड़े होंगे इवेंट
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक इन आयोजनों का फोकस डिजिटल नवाचार, आतिथ्य, मनोरंजन, स्वास्थ्य सेवा, ऑटोमोबाइल, बुनियादी ढांचा, यात्रा और पर्यटन और स्मार्ट विनिर्माण होंगे।
MICE इंडस्ट्री में होगी दोगुनी बढ़ोतरी
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा कि यह कन्वेंशन सेंटर भारत को बढ़ते MICE (बैठकें, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनियां) उद्योग को दोगुना करने में मदद करेगा। 25 लाख करोड़ रुपये के MICE सेक्टर में भारत की हिस्सेदारी 1 फीसदी से भी कम है।
कम कार्यक्रम आयोजित होने के कारण भारत का स्थान 28वां
देश में कम संख्या में कार्यक्रम आयोजित होने के कारण 2019 इंटरनेशनल कांग्रेस एंड कन्वेंशन एसोसिएशन (ICCA) की सूची में भारत 158 बैठकों के साथ 28वें स्थान पर है। दिल्ली की बात करें तो वो 475 शहरों की सूची में 75वें स्थान पर है।
221 एकड़ से भी अधिक क्षेत्र में फैला है यशोभूमि
यशोभूमि की पूरी परियोजना 25,703 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर द्वारका सेक्टर 25 में 221.37 एकड़ क्षेत्र में बनाई गई है। परियोजना का कुल क्षेत्रफल भारत मंडपम के 123 एकड़ से भी अधिक है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, उम्मीद है कि सरकार, नई दिल्ली को प्रदर्शनी बाजार के क्षेत्र में शंघाई, हांगकांग और सिंगापुर की लिस्ट में शामिल करना चाहती है।
एशिया में चीन पहले स्थान पर
एशिया की बात करें तो, चीन में प्रदर्शनी सुविधाओं के लिए कुल उपलब्ध स्थान का 68 प्रतिशत (4.1 मिलियन वर्ग मीटर) से अधिक हिस्सा है, जबकि भारत के पास केवल 0.3 मिलियन वर्ग मीटर है, जो एशिया का 4.9 प्रतिशत हिस्सा है।
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