Interest Rate बढ़ने का हमारे निवेश पर कैसे पड़ता है असर, ये रहा मुनाफा कमाने का पूरा गणित
Interest Rate हम हमेशा कहीं भी निवेश करने से मिलने वाले फायदे के बारे में चेक करते हैं। कभी आपने सोचा है कि देश में सबकी नजर केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति पर क्यों होती है... देश में हर किसी की नजर रेपो रेट और ब्याज दर पर क्यों होती है। आखिर ब्याज दर का हमारे निवेश से क्या कनेक्शन है?

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए जाने वाले रेपो रेट की तरफ सबकी नजर होती है। हम कहीं भी निवेश करने से पहले वहां मिलने वाले इंटरेस्ट रेट के बारे में पता करते हैं। जहां हमें लगता है कि ज्यादा रिटर्न मिलता है, हम उस ही योजना या फिर फंड में निवेश करते हैं। देश की अर्थव्यवस्था के लिए ब्याज दर एक मशीन का काम करती है। आइए जानते हैं कि हमारे पैसे और ब्याज दर के बीच का क्या संबंध है।
इंटरेस्ट रेट हर किसी की लाइफ में बहुत अहम भूमिका निभाता है। अर्थव्यवस्था के लगभग हर पहलू के लिए ये बहुत जरूरी है। जब भी निवेश की बात आती है, खासकर शेयर बाजार में, तो ब्याज दर महत्वपूर्ण संकेतकों में से एक होता है। जैसे ही कभी ब्याज दर में बदलाव आता है, वैसे ही स्टॉक मार्केट में भी बड़ा बदलाव देखने को मिलता है। इसका असर अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों पर पड़ता है।
ब्याज का पेंचीदा गणित
ब्याज दर से कंपनी की कमाई, पैसे उधार लेने की लागत और स्टॉक की मांग को प्रभावित करता है। ब्याज दर के बदलाव के बाद तो कई मापदंडों पर असर पड़ता है। आपको इन मापदंडों की तरफ भी गौर करना चाहिए।
ब्याज दर का इन मापदंडों पर पड़ता है असर
जब भी केंद्रीय बैंक ब्याज दर में बदलाव करता है, तब इसका असर कई मापदंड पर देखने को मिलता है। इसका सबसे ज्यादा असर महंगाई पर देखने को मिलती है। इसी के साथ सिस्टम की लिक्विडिटी, ट्रेड, राजकोषीय अधिशेष, घरेलू और वैश्विक आर्थिक आउटलुक पर भी इसका असर देखने को मिलता है। एक तरह से कहें तो इसका असर देश के सभी सेक्टर पर देखने को मिलता है।
कई बार वैश्विक पैरामीटर का भी असर देश की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलता है। देश की महंगाई को नियंत्रित करने के लिए आरबीआई रेपो रेट पर फैसला लेती है। आइए जानते हैं कि रेपो रेट का देश और आम जनता के पॉकेट पर क्या असर पड़ता है?
उधार पर प्रभाव
बढ़ती ब्याज दर की वजह से कॉरपोरेट्स की उधार लेने की लागत बढ़ जाती है। इससे स्टॉक की कीमतें गिरने लगती हैं। कई बार इसका विपरीत भी होता है।
इनकम पर असर
बढ़ती ब्याज दर के बाद लोगों की की उधार लेने की लागत बढ़ जाती है। इसका असर इनकम पर भी पड़ता है। ऐसे में वस्तुओं की मांग कम हो जाती है और कंपनी का राजस्व और मुनाफा कम हो जाता है।
बाजार में कैश फ्लो पर दिखता है असर
ब्याज दरों में बदलाव होने के बाद कंपनियों और उनके शेयरों के मूल्यों पर असर पड़ता है। ऐसे में कैश फ्लो को बनाए रखने के लिए निवेशक को रिटर्न दिया जाता है। ये मौजूदा दर का उपयोग के आधार पर दी जाती है। वहीं, जैसे ही ब्याज दर गिरती है बाकी सब चीजें स्थिर रहती हैं। इसी के साथ शेयर का मूल्य बढ़ जाता है।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
जब भी ब्याज दरों को बढ़ाया जाता है तब देश के आर्थिक विकास प्रभावित होता है। ये आर्थिक विकास की गति को धीमा कर सकती है। इससे स्टॉक की कीमतों में गिरावट आ सकती है।
डिविडेंड यील्ड
जब भी ब्याज दरों को बढ़ाया जाता है तब निवेशकों की इनकम ज्यादा होती है। ऐसे में स्टॉक की कीमतों में कमी आ जाती है। ब्याज दरों के बढ़ जाने पर कंपनियां द्वारा ज्यादा लाभांश देने की संभावना भी कम हो सकती है।
क्या होता है इंटरेस्ट रेट के बढ़ जाने पर ?
जब भी आरबीआई द्वारा ब्याज दर को बढ़ाया जाता है, वैसे ही उसका सबसे पहला असर अल्पकालिक उधार लेने की लागत पर पड़ता है। वित्तीय संस्थानों को पैसे उधार लेने में ज्यादा लागत की जरूरत होती है, जिसकी वजह से ग्राहक से भी ज्यादा फीस ली जाती है। इसलिए क्रेडिट कार्ड के ब्याज दरों में भी बढ़ोतरी की जाती है। जब भी इन इंटरेस्ट रेट को बढ़ाया जाता है, तब लोगों द्वारा खर्च करने वाली राशि में कमा आ जाती है।
इसलिए जैसे ही दरों को बढ़ाया जाता है, व्यवसाय के साथ लोन की लागत को भी प्रभावित करता है। उपभोक्ता की मांग में गिरावट आने की वजह से इनकम और स्टॉक की कीमतों को प्रभावित करता है।
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