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    Bank Merger: सरकारी बैंकों के विलय में फिर आ सकती है तेजी, जल्द जारी होगा रोडमैप

    Updated: Sun, 04 Aug 2024 06:50 PM (IST)

    वित्त मंत्रालय ने वर्ष 2019 में सरकारी क्षेत्र के दस बैंकों को मिलाकर चार बैंक बना दिया गया था। इसके पहले भारतीय स्टेट बैंक में सभी सात सब्सिडियरी बैंकों और बैंक ऑफ बड़ौदा व देना बैंक को मिलाया गया था। इस बीच वर्ष 2022 के आम बजट में वित्त मंत्री सीतारमण ने दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी लेकिन वह भी नहीं हो पाया है।

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    वित्त मंत्रालय ने वर्ष 2019 में सरकारी क्षेत्र के दस बैंकों को मिलाकर चार बैंक बना दिया गया था।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वर्ष 2019 में सरकारी क्षेत्र के 10 बैंकों को मिलाकर चार बैंकों में बदलने के बाद बैंकिंग विलय पर सरकार की चुप्पी अब टूट सकती है। आम बजट 2024-25 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बारे में कुछ नहीं कहा था। लेकिन उन्होंने देश के वित्तीय क्षेत्र में बड़े सुधार व बदलाव के लिए एक विजन डाक्युमेंट और रणनीति जारी करने की बात कही थी।

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    सरकार के भीतर होने वाले इस विमर्श की जानकारी रखने वालों का कहना है कि वित्तीय क्षेत्र की यह रणनीति देश के भावी वित्तीय क्षेत्र के विस्तार, नियमन, प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल, बैंकिंग पेशेवरों के प्रशिक्षण के साथ ही यह भी बताएगा कि सरकारी क्षेत्र में कितने बैंक होने चाहिए और इन बैंकों का आकार क्या होना चाहिए। यह तय है कि अभी सरकार की मंशा बैंकिंग सेक्टर से पूरी तरह से बाहर निकलने की नहीं है। वित्त मंत्रालय की तरफ से यह प्रपत्र अगले तीन से छह महीनों के भीतर जारी होने की संभावना है।

    वित्त मंत्रालय ने वर्ष 2019 में सरकारी क्षेत्र के दस बैंकों को मिलाकर चार बैंक बना दिया गया था। इसके पहले भारतीय स्टेट बैंक में सभी सात सब्सिडियरी बैंकों और बैंक ऑफ बड़ौदा व देना बैंक को मिलाया गया था। इस बीच वर्ष 2022 के आम बजट में वित्त मंत्री सीतारमण ने दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी, लेकिन वह भी नहीं हो पाया है।

    दुनिया के 50 बैंकों में सिर्फ एसबीआई

    विलय की वजह से सरकारी बैंकों की संख्या 27 से घट कर 12 रह गई है। इसके बावजूद विश्व के 50 सबसे बड़े बैंकों में सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) 48वें स्थान पर है। ऐसे में माना जाता है कि भारतीय बैंकों का मौजूदा ढांचा वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनने के लक्ष्य की जरूरत के अनुरूप आवश्यक फंड उपलब्ध नहीं करा सकता।

    वित्त मंत्री ने इन मुद्दों को ध्यान में रखते हुए वित्तीय सेक्टर के लिए विजन डाक्युमेंट पेश करने का ऐलान किया था। अधिकारियों के मुताबिक, भारत के वित्तीय सेक्टर को भविष्य के लिए तैयार करने के उद्देश्य से भावी विजन डाक्युमेंट एक अहम कदम होगा।

    बदलाव का रोडमैप देगा विजन डाक्युमेंट

    यह डाक्युमेंट बताएगा कि वित्तीय क्षेत्र किस तरह से देश के सभी उद्योगों, स्टार्टअप और छोटे व मझोली औद्योगिक इकाइयों को विकास के लिए कर्ज मुहैया करा सकता है। साथ ही युवाओं को रोजगारपरक बनाने के लिए वित्तीय सेक्टर की मौजूदा भूमिका में भी बदलाव का रोडमैप देगा।

    यह बताएगा कि सरकारी क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों और निजी क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों की भूमिका क्या होगी। यह वित्तीय सेक्टर में विदेशी निवेश को आसान बनाएगा और इनमें प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को लेकर भी एक स्पष्ट दिशानिर्देश का संकेत होगा। इस रोडमैप को लागू करने में आरबीआइ की अहम भूमिका होगी।

    दूसरी अन्य नियामक एजेंसियां जैसे सेबी, आईआरडीए आदि के लिए भी अलग-अलग रोडमैप होगा। इस प्रपत्र के आधार पर ही भावी नियमन के लिए उक्त एजेंसियां कदम उठाएंगी।

     

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