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ग्रामीण इलाकों को मिलेगा मारुति सुजुकी का खास तोहफा

घरेलू ऑटो बाजार ऐतिहासिक सुस्ती से जूझ रहा है। निराशा का माहौल कब खत्म होगा कोई नहीं जानता। इसके बावजूद देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी की बिक्री लगभग पिछले वर्ष के बराबर ही रहने की उम्मीद है। दरअसल, मारुति को ग्रामीण बाजार ने संभाल रखा है। ऐसे समय जब शहरी क्षेत्र में मारुति के कारों की बिक्र

By Edited By: Published: Tue, 24 Dec 2013 08:51 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
ग्रामीण इलाकों को मिलेगा मारुति सुजुकी का खास तोहफा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। घरेलू ऑटो बाजार ऐतिहासिक सुस्ती से जूझ रहा है। निराशा का माहौल कब खत्म होगा कोई नहीं जानता। इसके बावजूद देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी की बिक्री लगभग पिछले वर्ष के बराबर ही रहने की उम्मीद है। दरअसल, मारुति को ग्रामीण बाजार ने संभाल रखा है। ऐसे समय जब शहरी क्षेत्र में मारुति के कारों की बिक्री पांच फीसद की रफ्तार से घटी है, ग्रामीण इलाकों में बिक्री 18 फीसद बढ़ी है। कंपनी की कुल बिक्री में ग्रामीण बाजारों की हिस्सेदारी बढ़कर 30 फीसद हो चुकी है। इससे उत्साहित होकर कंपनी ने अगले पांच साल में इस बाजार की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 50 फीसद करने की योजना बनाई है।

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मारुति सुजुकी इंडिया के अध्यक्ष आरसी भार्गव ने मंगलवार को बताया कि लगातार बेहतर मानसून, अनाजों की बढ़ती कीमत, सरकार की तरफ से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में खूब वृद्धि जैसी वजहों से ग्रामीण क्षेत्र में लोगों की खरीदारी क्षमता बढ़ी है। इसका फायदा हमें मिल रहा है। चालू वित्त वर्ष की शुरुआत में हमारी पहुंच 44 हजार गांवों तक थी जो आज 60 हजार गांवों तक हो गई है। मार्च, 2014 तक एक लाख गांवों तक मारुति की कारें बिकने लगेंगी। कंपनी की योजना अगले दो वित्त वर्षो में देश के 2.50 लाख गांवों को कवर करने की है। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में रिपेएरिंग सेंटर, शोरूम, वर्कशॉप आदि बड़े पैमाने पर खोले जाएंगे।

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अभी भी ग्रामीण बाजार में मारुति के 700 आउटलेट हैं। इसके अलावा 650 मोबाइल वर्कशॉप हैं जो गांवों में घूम-घूम कर ग्राहकों को सेवा देते हैं। इनकी संख्या बढ़ाई जा रही है। भार्गव का कहना है कि इस वर्ष घरेलू कार बाजार में 8-9 फीसद की गिरावट होगी। यह लगातार दूसरा साल है जब कारों की बिक्री घटेगी। हालात में सुधार की फिलहाल कोई सूरत नहीं दिख रही है। आम चुनाव बाद जब नई सरकार आएगी और वह अपनी आर्थिक नीतियों की घोषणा करेगी तभी कुछ कहा जा सकेगा।


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