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    शेयर बाजार में कोहराम, आर्थिक मंदी और महंगाई का भी खतरा; अब आगे क्या होगा?

    Updated: Fri, 28 Feb 2025 07:08 PM (IST)

    भारतीय शेयर बाजार 28 फरवरी 2025 को जबरदस्त गिरावट के साथ बंद हुआ। सेंसेक्स 1414 अंक और निफ्टी 420 अंक लुढ़क गया। FII की बिकवाली ट्रंप की टैरिफ नीति और घरेलू आर्थिक अनिश्चितताओं के चलते बाजार पर दबाव बढ़ा। रुपये में 28 पैसे की गिरावट आई जिससे महंगाई का खतरा बढ़ गया। टेक और ऑटो सेक्टर के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट रही।

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    अमेरिका में मंदी का खतरा भी गहरा रहा है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पहले से ही मंदी के थपेड़े झेल रहा देश का शेयर बाजार राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से कनाडा, मैक्सिको, चीन समेत कई देशों के आयात पर पारस्परिक कर लगाने की संभावनाओं के मजबूत होते ही 28 फरवरी (शुक्रवार) को जबरदस्त मंदी के साथ बंद हुआ। मुंबई शेयर बाजार और निफ्टी का सूचकांक लगभग दो फीसद गिरावट के साथ बंद हुआ, जो पिछले 52 महीनों के इनके उच्चतम सूचकांकों से 15 फीसद कम है। सेंसेक्स 1414 अंकों की गिरावट के साथ 73,198 अंकों पर और एनएनई निफ्टी 420 अंकों की गिरावट के साथ 22,125 अंकों पर बंद हुआ।

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    बाजार की गिरावट में भारत की आर्थिक विकास दर को लेकर बनी अनिश्चितता और अमेरिका के विकास दर की उम्मीदों से कम होने का असर भी बताया जा रहा है।शेयर बाजार की मौजूदा गिरावटों के दौर के लिए विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की भारत से पैसे निकालने को दिया जा रहा है। इसका असर शुक्रवार को मुद्रा बाजार पर कुछ ज्यादा ही दिखा। डॉलर के मुकाबले रुपये 28 पैसे कमजोर हो कर 87.46 के स्तर पर बंद हुआ। अमेरिका की नई सरकार की तरफ से कई देशों पर पारस्परिक शुल्क (जितना शुल्क दूसरे देश अमेरिकी उत्पादों पर लगाएंगे, अमेरिका भी इन देशों के आयात पर उतना ही लगाएगा) लगाने की नीति को लेकर भविष्य में डॉलर को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।

    रुपये में गिरावट रोकने की कोशिश

    वैसे रुपये को स्थिर करने में आरबीआई की तरफ से मुद्रा बाजार में ज्यादा सक्रिय होने के भी संकेत है लेकिन साफ है कि इससे बात नहीं बन रही। डॉलर की कीमत की अनिश्चितता को देखते हुए आयातकों ने डॉलर जमा करना भी शुरू कर दिया है। रुपये की लगातार कमजोरी देश की इकोनमी की चुनौतियां बढ़ा सकती हैं। इससे तेल आयात करना महंगा होता जा रहा है। भारत बड़े पैमाने पर उद्योग जगत के लिए कच्चे माल का आयात करता है जो महंगा हो रहा है। इससे घरेलू बाजार में महंगाई बढ़ने का खतरा है, इसकी तरफ विश्व बैंक ने शुक्रवार को भारतीय इकोनमी पर जारी एक रिपोर्ट में संकेत दिया है।

    28 फरवरी, 2025 को सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों के शेयर भाव पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है। वजह यह है कि अमेरिकी इकोनॉमी की विकास दर को लेकर जो रिपोर्ट आई है वह उम्मीद के मुताबिक नहीं है। इससे भारतीय आइटी कंपनियों के राजस्व पर उसर पड़ना संभव है। निफ्टी आइटी सूचकांक में चार फीसदी की गिरावट हुई है। टेक महिंद्राके शेयरों में छह फीसदी की गिरावट हुई है।

    बड़ी कंपनियों का भाव आया काफी नीचे

    वैसे भारती एयरटेल, महिंद्रा, टाटा मोटर्स, टाइटन, नेस्ले, मारुति जैसी तमाम दिग्गज कंपनियों के शेयर भाव काफी नीचे आ गये हैं। दक्षिण कोरिया, जापान, शंघाई, हांगकांग समेत अधिकांश एशियाई शेयर बाजारों ने मंदी की मार पड़ी है। एक दिन पहले ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि मैक्सिको व कनाडा पर 04 मार्च, 2025 के आयात पर ज्यादा कर लगाया जाएगा और चीन से आयात पर शुल्क की दर को दोगुना किया जाएगा।

    कोई भी बाजार विशेषज्ञ साफ साफ यह बताने के लिए तैयार नहीं है कि आने वाले दिनों में क्या होगा। सैमको सिक्यूरिटीज के विश्लेषक धुपेश धमीजा का कहना है कि, “भारतीय शेयर बाजार में पिछले पांच महीनों से लगातार गिरावट है। हर महीने पिछले महीने से ज्यादा बिक्री हो रही है। इससे गिरावट को थामने का मौका नहीं मिल रहा। बाजार में पूरी तरह से मंदडि़यों के गिरफ्त में है। ऐसे में निवेशकों को बहुत ही ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत है। अगर निफ्टी 22 हजार के स्तर से भी नीचे जाती है तो और ज्यादा गिरावट हो सकती है।''

    एचडीएफसी सिक्योरिटीज के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट नागराज शेठ्ठी भी मानते हैं कि आने वाले हफ्तों में और गिरावट की संभावना है। दरअसल, जब तक अमेरिकी नीति की घोषणा और इसके असर को लेकर जारी अनिश्चितता खत्म नहीं हो जाती तब तक भारतीय शेयर बाजार दूसरे कई देशों के बाजारों की तरफ मंदी का खतरा बना रहेगा।

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