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    PLI Scheme: 8 सेक्टर में पीएलआई के तहत मैन्यूफैक्चरिंग शुरू, स्कीम के तहत अब तक 53,500 करोड़ रुपए का निवेश

    By Jagran NewsEdited By: Shashank Mishra
    Updated: Wed, 26 Apr 2023 09:49 PM (IST)

    डीपीआईआईटी के अतिरिक्त सचिव राजीव सिंह ठाकुर ने बताया कि उत्पादन शुरू नहीं करने वाले सेक्टर की दिक्कतों को दूर किया जा रहा है और उन्हें गति बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगला दो-तीन साल पीएलआई स्कीम के लिए काफी महत्वपूर्ण है।

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    14 सेक्टर को पीएलआई स्कीम के तहत इंसेंटिव देने के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपए का फंड रखा गया है।

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मैन्यूफैक्चरिंग व निर्यात बढ़ाने के उद्देश्य से तीन साल पहले शुरू की गई प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम के तहत अब तक आठ सेक्टर में उत्पादन शुरू हो गया है। इन आठ सेक्टर में पांच लाख करोड़ रुपए का इंक्रिमेंटल उत्पादन किया जा चुका है जिससे तीन लाख रोजगार का सृजन हुआ है। इन आठ सेक्टर ने इस साल 31 मार्च तक पीएलआई के तहत 3420.05 करोड़ रुपए इंसेंटिव का दावा किया है।

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    पीएलआई स्कीम के तहत उत्पादन शुरू करने वाले सेक्टर

    उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के मुताबिक इन दावों में से कंपनियों को 2874 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया है। पीएलआई स्कीम के तहत उत्पादन शुरू करने वाले सेक्टर में बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग, इलेक्ट्रॉनिक व टेक्नोलॉजी उत्पाद, बल्क ड्रग्स, मेडिकल उपकरण, फार्मास्युटिकल्स ड्रग्स, टेलीकॉम व नेटवर्किंग उत्पाद, खाद्य उत्पाद एवं ड्रोन व ड्रोन कंपोनेंट्स शामिल हैं।

    वर्ष 2020 के अप्रैल में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के लिए पीएलआई स्कीम की घोषणा की गई थी और उसके बाद से कुल 14 सेक्टर के लिए पीएलआई की घोषणा की जा चुकी है। सभी 14 सेक्टर को पीएलआई स्कीम के तहत इंसेंटिव देने के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपए का फंड रखा गया है। लेकिन छह सेक्टर में अब तक पीएलआई के तहत उत्पादन शुरू नहीं हो सका है। इन छह सेक्टर में सोलर पीवी मोड्यूल्स, विशेष स्टील, एसीसी बैट्री, टेक्सटाइल, व्हाइट गुड्स व आईटी हार्डवेयर शामिल हैं।

     कई सेक्टर की दिक्कतों को दूर किया जा रहा: राजीव सिंह ठाकुर

    डीपीआईआईटी के अतिरिक्त सचिव राजीव सिंह ठाकुर ने बताया कि उत्पादन शुरू नहीं करने वाले सेक्टर की दिक्कतों को दूर किया जा रहा है और उन्हें गति बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगला दो-तीन साल पीएलआई स्कीम के लिए काफी महत्वपूर्ण है। पीएलआई के तहत इंसेंटिव के लिए कंपनियों को हर साल अपना उत्पादन और निर्यात एक निश्चित अनुपात में बढ़ाना होगा। ऐसा नहीं करने पर उन्हें पीएलआई स्कीम के तहत इंसेंटिव नहीं दिए जाएंगे।

    वैश्विक स्तर पर वस्तुओं की मांग कम होने की आशंका से पीएलआई स्कीम के तहत चालू वित्त वर्ष 2023-24 में खास इंसेंटिव दिए जाने की उम्मीद नहीं की जा रही है। पीएलआई स्कीम का लाभ पाने के लिए निवेश भी बड़े पैमाने पर करना है जिससे एमएसएमई को इसका खास लाभ नहीं मिल रहा है। ठाकुर ने बताया कि फिलहाल पीएलआई स्कीम की शर्तों में बदलाव करने की योजना नहीं है।

    इस साल 31 मार्च तक पीएलआई के तहत इंसेंटिव का दावा व भुगतान लेने वाले सेक्टर

    1. बड़े इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में -

    • इंसेंटिव दावा- 1651.45 करोड़
    • भुगतान- 1649 करोड़

    2. इलेक्ट्रॉनिक-टेक्नोलॉजी उत्पाद सेक्टर में -

    • इंसेंटिव दावा- 70.6 करोड़
    • भुगतान- 5.3 करोड़

    3. बल्क ड्रग्स सेक्टर में -

    • इंसेंटिव दावा- 5.43 करोड़
    • भुगतान- 4.34 करोड़

    4. मेडिकल उपकरण सेक्टर में -

    • इंसेंटिव दावा- 16 करोड़ 
    • भुगतान- 12.8 करोड़

    5. फार्मास्युटिकल्स ड्रग्स सेक्टर में -

    • इंसेंटिव दावा- 898.62 करोड़ 
    • भुगतान-652 करोड़

    6. टेलीकॉम-नेटवर्किंग सेक्टर में -

    • इंसेंटिव दावा- 36 करोड़ 
    • भुगतान- 35 करोड़

    7. फूड उत्पाद सेक्टर में -

    • इंसेंटिव दावा- 700 करोड़ 
    • भुगतान- 486 करोड़

    8. ड्रोन व ड्रोन उपकरण सेक्टर में -

    • इंसेंटिव दावा- 41 करोड़ 
    • भुगतान- 30 करोड़

    डीपीआईआईटी पीएलआई स्कीम के तहत अबतक की उपलब्धियां 14 सेक्टर के तहत अब तक 717 आवेदन को मंजूरीगत दिसंबर तक 53,500 करोड़ रुपए का वास्तविक निवेशतीन लाख रोजगार का सृजन पांच लाख करोड़ का इंक्रिमेंटल उत्पादन-बिक्री 3400 करोड़ के इंसेंटिव का दावा 176 एमएसएमई को प्रत्यक्ष लाभ

     

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