देश में जैसे महंगे घर-गाड़ियों की मांग बढ़ी, वैसा ही ट्रेंड बैंकों में भी; इसलिए 'अफ्लुएंट' ग्राहकों पर फोकस
देश के चौथे सबसे बड़े निजी बैंक kotak Mahindra bank की नजरें टॉप-3 के स्लॉट पर हैं। बैंक अगले छह साल में एक्सिस बैंक को पीछे छोड़ देश के तीन सबसे बड़े निजी बैंकों में शुमार होना चाहता है। कारोबार को बढ़ाने के लिए कोटक का फोकस रईस ग्राहकों पर है। बैंक ने हाल में ही अफ्लुएंट ग्राहकों के लिए अलग सर्विस ‘सॉलिटायर’ शुरू की है।

रियल एस्टेट, गाड़ियों और कॉस्मेटिक्स में लग्जरी उत्पादों की बढ़ती मांग की खबरें तो आपने सुनी होंगी, लेकिन अब बैंकिंग में भी लग्जरी की मांग बढ़ने लगी है। देश के प्रमुख प्राइवेट बैंक कोटक महिंद्रा बैंक (kotak mahindra bank) ने हाल में 'अफ्लुएंट' ग्राहकों के लिए अलग सर्विस शुरू की है। इसके अलावा बैंक डिजिटल बैंकिंग पर भी फोकस कर रहा है। बैंक की रणनीति एवं योजनाओं को लेकर अफ्लुएंट बैंकिंग के प्रमुख और सीएमओ रोहित भसीन से जागरण बिजनेस के संपादक स्कन्द विवेक धर ने बात की।
कई प्राइवेट बैंक जहां अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए छोटे शहरों का रुख कर रहे हैं, कोटक महिंद्रा बैंक इसके विपरीत अफ्लुएंट बैंकिंग की ओर रुख कर रहा है। हाल में आपने अमीर ग्राहकों के लिए 'सॉलिटेयर' प्रोग्राम शुरू किया? इस अलग रणनीति की क्या वजह है?
हमारे रिसर्च से पता चला कि 'अफ्लुएंट' यानी समृद्ध ग्राहकों का सेगमेंट बाकी बाजार के मुकाबले दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। आज देश में सबसे ज्यादा बिकने वाली कार हुंडई क्रेटा है। मुझे याद है दस साल पहले यह मारुति 800, फिर जेन और फिर ऑल्टो हुआ करती थी, जो हमेशा एंट्री लेवल की कार थी। यह देश में बढ़ती समृद्धि का एक सूचक है। आप देश में सभी ब्यूटी ब्रांड्स को देखें। सभी प्रीमियम ब्यूटी ब्रांड्स तेजी से बढ़ रहे हैं। होटलों को देखें, टॉप-एंड होटलों की ऑक्यूपेंसी ज्यादा है। आप अपने आस-पास कहीं भी देखें, आपको इस देश में समृद्धि की वृद्धि दिखाई देगी और हम बैंकिंग में भी समृद्धि की यही वृद्धि देख रहे हैं।
लेकिन 'अफ्लुएंट' लोगों की संख्या तो कम ही है? क्या इससे पर्याप्त बिजनेस मिल जाएगा?
हमारी एचएनआई बैंकिंग की कुल खातों में हिस्सेदारी 1 फीसदी है, लेकिन यहां से हमारा 35 फीसदी बिजनेस आता है। हमारे यह ग्राहक ज्यादा प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करते हैं और उसकी लाइफटाइम वैल्यू ज्यादा होती है। हमारी हमेशा से यही कोर स्ट्रेंथ रही है, इसलिए हमने इस सेगमेंट पर फोकस बढ़ाने का फैसला किया। 'सॉलिटेयर' इसी सोच का नतीजा है, जो इन ग्राहकों की खास जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया है।
एक 'अफ्लुएंट' ग्राहक की परिभाषा आपके लिए क्या है?
हम एक ग्राहक को उसके बैंक के साथ टोटल रिलेशनशिप वैल्यू के आधार पर परिभाषित करते हैं। अगर कोई सैलरीड कस्टमर है और उसकी रिलेशनशिप वैल्यू (जिसमें डिपॉजिट, इन्वेस्टमेंट, लोन आदि शामिल हैं) 75 लाख रुपये से ज्यादा है, या फिर बिजनेस कस्टमर के लिए यह वैल्यू एक करोड़ रुपये से अधिक है, तो वह हमारे लिए अफ्लुएंट की श्रेणी में आता है।
क्या यह आपके सिर्फ मौजूदा ग्राहकों के लिए है, या नए ग्राहक भी ज्वाइन कर सकते हैं?
यह प्रोग्राम इनविटेशन बेस्ड है। हमारे 1% से भी कम मौजूदा ग्राहक इसके लिए क्वालिफाई करते हैं, हालांकि वे हमारे बिजनेस के 35% से ज्यादा के लिए जिम्मेदार हैं। हम अपने रिचेस्ट ग्राहकों को इसमें शामिल होने का निमंत्रण दे रहे हैं। साथ ही, हम एक ऐड कैंपेन भी चला रहे हैं। कोई भी नया ग्राहक अपनी इनकम और रिलेशनशिप वैल्यू के आधार पर पात्रता जांच सकता है और अगर वह क्राइटेरिया पूरा करता है, तो उसे प्रोग्राम में शामिल किया जा सकता है।
मार्केट कैप के लिहाज से कोटक चौथा बड़ा प्राइवेट बैंक है, लेकिन ब्रांच और एटीएम की संख्या के मामले में काफी पीछे है, ऐसा क्याें?
हम मानते हैं कि भविष्य सही फिजिकल और डिजिटल बैलेंस पर टिका है। हमारा लक्ष्य बैंकिंग को 'दृश्यमान' (visible) बनाना है, लेकिन बैंक को 'अदृश्य' (invisible) यानी बहुत सीमलैस। हम हाई-वैल्यू वाले इलाकों में ब्रांचेज खोलते हैं ताकि हमारी मौजूदगी बनी रहे, लेकिन साथ ही हमारा ऐप इतना मजबूत है कि ज्यादातर ग्राहकों को ब्रांच में जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
कोटक महिंद्रा बैंक का भविष्य के लिए क्या विजन है?
हमारा लक्ष्य 2030 तक भारत के टॉप 3 प्राइवेट सेक्टर बैंकों में शामिल होना है। आज हम चौथे नंबर पर हैं। हमें विश्वास है कि हमारी सेगमेंट-स्पेसिफिक रणनीति, जैसे 811 (डिजिटल-फर्स्ट), सॉलिटेयर (अफ्लुएंट), एनआरआई और प्राइवेट (अल्ट्रा-HNI) प्रोग्राम, हमें इस लक्ष्य तक पहुंचाने में मदद करेंगे। हम प्रतिस्पर्धा को एक चुनौती के साथ-साथ सीखने के मौके के तौर पर देखते हैं जो हमें और बेहतर बनाती है।
बाजार में नए बैंकों की एंट्री शुरू होने वाली है। एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक को यूनिवर्सल बैंकिंग का लाइसेंस मिल चुका है। जियो समेत कुछ और बड़े प्लेयर बैंकिंग में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। क्या आप इन्हें एक चुनौती के रूप में देखते हैं?
हम प्रतिस्पर्धा को सकारात्मक चीज के रूप में देखते हैं, न कि एक खतरा। इसके दो मुख्य कारण हैं। कोई भी नया खिलाड़ी तभी बाजार में आता है जब उसे मौजूदा प्लेयर्स द्वारा न सुलझाया गया कोई पेन प्वाइंट दिखाई देता है। वे अक्सर इनोवेशन के जरिए उस समस्या का बेहतर समाधान लेकर आते हैं। यह पूरे उद्योग को बेहतर बनाने और मौजूदा बैंकों को आत्मसंतुष्ट होने से रोकता है। एक नया कंपटीटर हमें झटका देकर और बेहतर तरीके से सुधार करने के लिए मजबूर करता है। यह हमें हमारे ग्राहकों की जरूरतों को और गहराई से समझने और उन्हें पूरा करने के नए तरीके खोजने के लिए प्रेरित करता है।हमारा मुख्य फोकस अपनी रणनीति पर टिके रहना है। हमारी एक स्पष्ट पोजिशनिंग और सेगमेंट-स्पेसिफिक प्रोपोजिशन है। हम अपने ग्राहकों की सेवा करते रहेंगे। प्रतिस्पर्धा जो भी नया लेकर आएगी, हम उसके आधार पर उसका जवाब देंगे। उम्मीद है, इस प्रक्रिया में हम पहले से ज्यादा मजबूत बनेंगे।
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